Ghosi By Election: पूर्वांचल एक बार फिर पिछड़े वोटों का दमखम दिखाने के लिए तैयार है. उपचुनाव की घोषणा के साथ ही यूपी की एकमात्र घोसी विधानसभा सीट पर जनता की निगाहें और राजनीतिक दलों की उम्मीदें लगी हैं. सबके मन में सवाल है कि यहां पिछड़े वोटर्स की लहलहाती सियासी फसल किसके हिस्से आएगी? लेकिन इससे भी दिलचस्प ये है कि इस बार घोसी में दारा सिंह चौहान की सबसे बड़ी और कड़ी परीक्षा होनी तय है. घोसी उपचुनाव का मझधार दारा सिंह चौहान और BJP दोनों के लिए बराबर अहमियत रखता है. अगर वो 2022 वाला करिश्मा दोहराने में कामयाब हो जाते हैं, तो योगी सरकार में मंत्री बनना तय है. लेकिन, वो चुनाव नहीं जीत सके तो पूर्वांचल में BJP की नैया डगमगा सकती है. क्योंकि, इस नतीजे का असर और संदेश 2024 के लोकसभा चुनाव तक जाएगा.1996 से लेकर 2022 तक दारा सिंह चौहान बसपा से लेकर सपा और BJP के साथ वक्त और मौका देखकर रिश्ता जोड़ते और तोड़ते आए हैं. ऐसा पहली बार है, जब किसी दल से हाथ छुड़ाकर उन्होंने दोबारा इतनी जल्दी हाथ मिला लिया. 2022 के चुनाव से ठीक पहले BJP से अलग होकर दारा चौहान ने सपा का दामन थाम लिया था. हालांकि, अखिलेश की सरकार नहीं बन सकी, तो उन्होंने फौरन ‘भूल सुधार’ करते हुए BJP में वापसी कर ली.
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Ghosi By Election: UP में होगा उपचुनाव, फिर दिखेगी BJP और SP की जंग
Ghosi By Election: पूर्वांचल एक बार फिर पिछड़े वोटों का दमखम दिखाने के लिए तैयार है. उपचुनाव की घोषणा के साथ ही यूपी की एकमात्र घोसी विधानसभा सीट पर जनता की निगाहें और राजनीतिक दलों की उम्मीदें लगी हैं. सबके मन में सवाल है कि यहां पिछड़े वोटर्स की लहलहाती सियासी फसल किसके हिस्से आएगी
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