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सीएम योगी आदित्यनाथ बोले- पहले नौकरी निकलने पर वसूली के लिए निकल पड़ते थे चाचा-भतीजा, अब नहीं उठते सवाल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर प्रदेश में नियुक्ति प्रक्रिया के पारदर्शी होने का दावा करते हुए कहा कि 2017 के बाद यूपी का माहौल पूरी तरह से बदल गया है. उन्होंने कहा कि अब चयन में पारदर्शिता है. आयोग पर किसी तरह का सवाल नहीं उठा सकते हैं.

Lucknow: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में 1573 एएनएम को मंगलवार को लोकभवन में नियुक्ति पत्र वितरित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 1573 एएनएम प्रदेश की तस्वीर बदलने के लिए है. नीति आयोग की रिपोर्ट बता रही है कि उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य से बाहर निकला है.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले करीब पौने छह करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे दीन हीन स्थिति में थे. अब इनके जीवन यापन में सुधार हुआ है. पहले जहां 37.68 प्रतिशत लोग गरीबी के कारण प्रभावित थे, वहीं प्रदेश सरकार अपने प्रयासों से इसे 22 फीसदी तक लाने में सफल हुई है. दो साल में स्वास्थ्य, शिक्षा क्षेत्र में लगातार सुधार हो रहा है. यूपी विकास की प्रक्रिया से जुड़ा है.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बहराइच, बस्ती संभल, खीरी, बांदा सहित कई जिलों में पूर्वर्ती सरकार ने ध्यान नहीं दिया. यहां अभियान चलाया गया, जिसकी वजह से व्यापक स्तर पर सुधार हुआ. 100 असेवित ब्लॉक चुने गए, जिसकी वजह से वहां सुधार हुआ.

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उन्होंने कहा कि अब टीकाकरण का कवरेज 98 फीसदी हो गया है. इसमें एएनएम की बड़ी भूमिका है. आशा और एएनएम की ताकत का मूल्यांकन नहीं किया गया. लेकिन, अब इनकी ताकत का एहसास हो गया है. पहले गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस से बच्चे मरते थे. लेकिन, 2017 के बाद बच्चों की मौत नहीं हो रही है.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले 10 से 15 जिलों में कोई मेडिकल कॉलेज नहीं था. सिर्फ गोरखपुर में था, जहां बच्चों की निरंतर मौत होती थी. लेकिन, 2017 के बाद हालात बदले हैं. अब पूर्वांचल में बच्चे को लेकर भय नहीं है. लोगों को भरोसा है. स्वस्थ विभाग को नोडल बनाया गया.

उन्होंने कहा कि अब यह बीमारी यूपी से समाप्त हो गई है. अब इंसेफेलाइटिस से एक भी बच्चे की मौत नहीं होती है. पहले 1200-1500 बच्चों की मौत हुई. इस मौत को रोकने के लिए टीम लगी, जिसमें डॉक्टर से लेकर एएनएम तक ने भूमिका निभाई.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ने कहा कि पहले नौकरी निकलती थी तो चाचा भतीजा झोला लेकर वसूली के लिए निकल पड़ते थे. लेकिन, अब पारदर्शिता है. प्रदेश में नियुक्ति की प्रक्रिया से जुड़े हुए जो भी आयोग और बोर्ड हैं, उन पर कोई भी उंगली नहीं उठा सकता. तकनीक का प्रयोग करते हुए सारी प्रक्रियाएं पारदर्शी रुप से सम्पन्न की जा रही हैं. देश के नौजवानों में एक नया उत्साह देखने को मिल रहा है, उनमें प्रदेश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया का कोई भी मामला न्यायालय में लम्बित नहीं है. प्रदेश सरकार का किसी भी आयोग या बोर्ड के कार्य में हस्तक्षेप नहीं है. नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से कराना आयोग और बोर्ड का अधिकार है. वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग के आंकड़ों के अनुसार बीते छह वर्षों में उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी से उबर कर विकसित राज्य बनने की ओर अग्रसर है. वर्ष 2015-16 में प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या लगभग पौने छः करोड़ थी.

प्रदेश सरकार के विभिन्न कदमों के परिणामस्वरूप गरीबी की दर 37.68 प्रतिशत से घटकर 2019-21 के बीच मात्र तीन चार वर्षाें में ही 22 प्रतिशत करने में सफलता मिली है. उन्होंने कहा​ कि बीते दो वर्षों में स्वास्थ्य, शिक्षा और गरीब कल्याण आदि विभिन्न क्षेत्रों में किए गए प्रयासों के परिणाम स्वरूप गरीबी की दर लगभग 11 से 12 फीसदी रह गई है.

कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि पहले एक जाति के लोग एक इलाके के लोगों को नौकरी मिलती थी. अब प्रदेश की मेधा को नौकरी मिल रही है. स्वास्थ्य विभाग सेवा का विभाग है. यह रहकर जीविका के साथ सेवा का भी मौका मिलेगा. आज 25845 उपकेंद्र पर सीएचओ तैनात किए जा रहे हैं. पांच हजार आबादी पर एक केंद्र खोल रहे हैं. सभी के लिए नि:शुल्क दवा का प्रावधान है.

कार्यक्रम में इन्हें दिया गया प्रमाण पत्र

कार्यक्रम में अमेठी से नेहा, अयोध्या से प्रतिमा, अंबेडकरनगर से निर्मला प्रजापति, बाराबंकी से सुधा रावत, लखनऊ से प्रतिभा त्रिपाठी, फतेहपुर से रेखा पाल, हरदोई से अपर्णा शुक्ला, कानपुर नगर से पारुल गुप्ता व सपना गौतम, लखीमपुर खीरी से अनुराधा वर्मा, प्रतापगढ़ से रानी, रायबरेली से ममता यादव, उन्नाव से एकता पटेल, सीतापुर से नूरजहां और सुलतानपुर से स्वाति सिंह को प्रमाण पत्र दिया गया.

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