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बदायूं में पोस्टमार्टम के दौरान मृतक महिला की आंखें निकालने के मामले में CMO भी निलंबित, DY CM ने दिए आदेश

जनपद बदायूं में मृतक महिला के पोस्टमार्टम के दौरान उसकी आँखे निकाले जाने के मामले में सरकार मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी निलंबित कर दिया है. पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल आफिसर पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं.

लखनऊ : जनपद बदायूं में मृतक महिला के पोस्टमार्टम के दौरान उसकी आँखे निकाले जाने के मामले में सरकार मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी निलंबित कर दिया है. पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल आफिसर पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं. राज्य के उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘ एक्स’ पर यह जानकारी दी है. उपमुख्यमंत्री ने बृजेश पाठक ने बताया कि मृतक महिला के पोस्टमार्टम के दौरान उसकी आँखे निकाले जाने के आरोपों संबंधी अत्यंत दुःखद प्रकरण पर गंभीरता से संज्ञान लिया गया है. मेरे द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बदायूं को अपने दायित्वों व कर्तव्यों के प्रति लापरवाही करने व प्रशासनिक नियंत्रण शिथिल होने के परिणाम स्वरूप तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.

अपर निदेशक बरेली को सौंपी गई जांच

राज्य के उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि सीएमओ के विरुद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही करने व निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य से आरोपों की जांच कराए जाने के भी निर्देश प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को दिए गए हैं. प्रथम बार पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों एवं कार्मिकों का विवरण उपलब्ध कराये जाने के लिए अपर निदेशक, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण बरेली मंडल बरेली को निर्देश दिये हैं. स्वास्थ्य विभाग में अपराध कारित करने वालों व ऐसे घृणित कृत्य करने वालों का कोई स्थान नहीं. उक्त प्रकरण में संलिप्त सभी दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी.

बदायूं के कुतराई गांव निवासी गंगाचरण की बेटी पूजा की शादी करीब नौ माह पूर्व हुई थी. पिता का आरोप है कि ससुराल वाले दहेज के लिए पुत्री को परेशान कर रहे थे. रूपयों की मांग करते थे. आरोप लगाया कि उनकी पुत्री की हत्या सुसराल वालों ने कर दी. घटना के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. परिजनों के अनुसार उस वक्त शव की दोनों आंखें थीं. परिजनों का आरोप है कि पोस्टमार्टम के बाद जब शव का बैग खोला तो उसमें पूजा की दोनों आंखे नहीं थीं. आरोप है कि लालच में शव का अपमान कराया गया. इस संबंध में परिजनों ने जिलाधिकारी से शिकायत की. बीती 11 दिसंबर को अपर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई. त्रिस्तरीय जाँच समिति ने 12 दिसंबर को रिपोर्ट तैयार की। जिसमें पोस्टमार्टम टीम दोषी पाई गई. बदायूं के मुख्य चिकित्साधिकारी ने अपने दायित्वों का निवर्हन सजग होकर नहीं किया था.

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