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Cyber Crime: सिम कार्ड से जुड़े फ्रॉड से कैसे रहें सुरक्षित, जानें नियम कानून और शिकायत का सही तरीका

सिम स्वैप फ्रॉड सहित इस तरह के मामलों में साइबर क्रिमिनल नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं. इन पर लगाम कसने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन लोगों का सजग होना बेहद जरूरी है. साइबर फ्रॉड होने पर केंद्र सरकार की साइबर क्राइम संबंधी वेबसाइट पर शिकायत जरूर दर्ज करानी चाहिए.

SIM Swap Fraud: देश में अब टेलीकॉम सब्सक्राइबर्स की संख्या 1,173.89 मिलियन हो गई है जो कि मई में 1,172.57 मिलियन थी. जिस तरह से टेलीकॉम सब्सक्राइबर्स की संख्या बढ़ रही है, उसी तर्ज पर इससे जुड़े क्राइम में भी इजाफा हुआ है. सिम स्वैप (SIM swap) इन्हीं में से एक है, जो आज साइबर क्राइम का अहम जरिया हो गया है.

उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में इससे जुड़े मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इनमें सिम स्वैपिंग करके जालसाज लोगों के बैंक खाते से रुपए उड़ा लेते हैं और जब तक उन्हें भनक लगती है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है.

सिम स्वैप (SIM swap) क्या है?

सिम कार्ड को बदल देना या उसी नंबर से दूसरा सिम निकलवा लेना ही सिम स्वैप (SIM swap) है. इसमें साइबर अपराधी सिम स्वैपिंग में किसी व्यक्ति के मोबाइल नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन करते हैं. इसके बाद उस शख्स का सिम कार्ड बंद हो जाता है और उसके मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है. ऐसे में साइबर अपराधी के पास उसके मोबाइल नंबर से सिम चालू हो जाता है और इसी का फायदा उठाकर वह उस नंबर पर ओटीपी मंगाता है और फिर आपके खाते से रुपए निकाल लिए जाते हैं.

हैकिंग के इस तरीके से जालसाजों को फ्रॉड को अंजाम देने में कुछ पल ही लगते हैं, लेकिन इसकी वजह से किसी की सालों की जमा पूंजी पल भर में खत्म हो जाती है. इस वजह से अब सिम स्वैप फ्रॉड की अक्सर चर्चा हो रही है.

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अब तक हजारों करोड़ों रुपए का लगा चुके हैं चूना

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक यूं तो 2011 के बाद से इस तरह के अपराध में काफी इजाफा हुआ है. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में सिम स्वैपिंग के अपराध का ग्राफ काफी बढ़ गया है. जानकारों का कहना है कि सिम स्वैपिंग सिर्फ एक शख्स नहीं करता बल्कि इस तरह के काम में कई लोग शामिल रहते हैं.

संगठित गिरोह इस तरह करते हैं टारगेट

संगठित गिरोह इसे अंजाम देते हैं और अब तक कई हजार करोड़ रुपये उड़ा चुके हैं. ये लोग अलग-अलग तरह के मीडिया, सोशल मीडिया के जरिये पहले तो आप पर नजर रखते हैं और आपकी जानकारी जुटाते हैं. कई बार आपको किसी अनजान नंबर से कॉल आती है और उसके जरिए भी जानकारी ली जाती हैं.

सिम कार्ड स्वैपिंग के लिए लोगों के पास ये ठग फोन करते हैं और दावा करते हैं कि वे संबंधित व्यक्ति के सिम कार्ड की कंपनी के ऑफिस से बोल रहे हैं. ये ठग लोगों से इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने और कॉल ड्रॉप को ठीक करने का दावा करते हैं. इसी बातचीत के दौरान ये आपसे 20 अंकों का सिम नंबर मांगते हैं जो कि सिम कार्ड के पीछे लिखा होता है. जैसे ही आप नंबर बताते हैं तो वे आपसे 1 दबाने के लिए कहते हैं. 1 दबाने के साथ ही नया सिम कार्ड जारी करने का ऑथेंटिकेशन पूरा हो जाता है और फिर आपके फोन से नेटवर्क गायब हो जाता है.

जैसे ही आपके सिम का नेटवर्क गायब होता है वैसे ही ठग के पास आपके नंबर से मौजूद सिम कार्ड में नेटवर्क आ जाता है. दरअसल ये लोग पहले से डुप्लिकेट सिम कार्ड निकलवाते हैं, जिसके चलते ओरिजिनल सिम तुरंत ब्लॉक हो जाता है. ऐसा होने पर फ्रॉड करने वाला पीड़ित के बैंक खाते और ओटीपी को एक्सेस कर पाता है और आराम से सारे ट्रांसैक्शन हो जाते हैं. ये ठग बड़े स्मार्ट होते हैं. ये पहले से ही लोगों पर नजर बनाए रखते हैं और इंटरनेट बैंकिंग की आईडी और पासवर्ड इनके पास पहले से ही होता है. ट्रांजेक्शन के लिए इन्हें सिर्फ ओटीपी की जरूरत होती है जिसे ये लोग सिम स्वैप करके पूरा कर लेते हैं.

फर्जी बैंकिंग वेबसाइट को गूगल में कराते हैं रैंक

ये ठग ऑनलाइन विज्ञापन का सहारा लेकर फर्जी बैंकिंग वेबसाइट को गूगल में रैंक कराते हैं. इसके बाद जब आप लापरवाही से गूगल में अपने इंटरनेट बैंकिंग सर्च करते हैं तो इनकी फर्जी वेबसाइट का लिंक सबसे ऊपर दिखता है. ऐसे में आपको लगता है कि सबसे ऊपर दिखने वाला लिंक सही है. इसके बाद आप एक फर्जी वेबसाइट पर अपने इंटरनेट बैंकिंग का पासवर्ड और आईडी डाल देते हैं और यहीं से आपकी बैंकिंग डिटेल इन जालसाजों के पास पहुंच जाती है. इसलिए हर व्यक्ति के लिए जरूरी है कि इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल अपने बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से ही करें. वेबसाइट के बारे में जानकारी आपको बैंक से मिली किट में मिल जाएगी.

बैंक खाते में रुपए निकालने की लिमिट ​करें तय

सिम स्वैप फ्रॉड का शिकार होने से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप अपनी निजी जानकारी किसी के साथ शेयर नहीं करें और हमेशा एक मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें. इसके अलावा साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की ये भी सलाह है कि अपने बैंक खाते में रुपए निकालने की लिमिट सेट करें और अगर आप अपने क्षेत्र में खराब नेटवर्क कनेक्टिविटी एक्सपीरिएंस करते हैं तो तुरंत अपनी नेट बैंकिंग बंद कर दें.

भूलकर भी नहीं करें ये काम

कई मामलों में ऐसा भी हुआ है कि ये जालसाज लगातार फोन करके परेशान करते हैं. ऐसे में आप तंग आकर फोन को बंद कर देते हैं और उन्हें इसी का इंतजार होता है. दरअसल एक सिम को एक्टिव होने में करीब चार घंटे का समय लगता है. ऐसे में वे आपको परेशान करके आपका फोन बंद कराना चाहते हैं ताकि उन्हें सिम कार्ड को चालू कराने का समय मिल जाए.

कैसे करें बचाव?

अपनी जरूरी जानकारी किसी के साथ भी शेयर न करें और एक मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें. आप गूगल ऑथेंटिकेटर जैसे ऑथेंटिकेशन ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आपको टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन देता है और आपके फोन नंबर के बजाय आपके फिजिकल डिवाइस से जुड़ा होता है.

कैसे पहचानें कि सिम कार्ड क्लोन हुआ है या नहीं?

  • कुछ घंटों तक आपका मोबाइल गायब हो गया हो, फिर अचानक ऐसा लगे किसी ने आपके आसपास रख दिया हो. इसका मतलब आपके फोन से छेड़छाड़ की गई है.

  • मोबाइल बिल में अनजान कॉल दिख रहे हो.

  • आप कॉल पर बात नहीं कर रहे हों, फिर भी आपका फोन बिजी जा रहा हो.

  • लगातार नेटवर्क नेटवर्क डिस्कनेक्ट या क्रॉस कनेक्शन की दिक्कत आ रही हो.

  • आपको बहुत ज्यादा रॉन्ग नंबर्स से कॉल आ रही हो.

साइबर अपराध के मामले में ऐसे करें कंप्लेन

किसी भी तरह के फ्रॉड होने पर अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन की साइबर सेल में जानकारी दें. वहां से आपको मदद मिलेगी. अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड को कस्टमर केयर में फोन करके ब्लॉक कराएं और इसके बाद बैंक को इसकी लिखित सूचना दें. इसके अलावा आप केंद्र सरकार के https://cybercrime.gov.in/ पर भी जाकर इसकी शिकायत कर सकते हैं.

  • साइबर क्राइम के आर्थिक मामलों में शिकायत करने के लिए आप सीधे https://cybercrime.gov.in/Webform/Crime_AuthoLogin.aspx?rnt=5 पर क्लिक कर सकते हैं.

  • अगर आपने पहले कभी इस पर अकाउंट नहीं बनवाया है तो अपनी शिकायत दर्ज करवाने के लिए सबसे पहले आपको अपना पंजीकरण करवाना होगा. इसके लिए आपको Cyber Portal Registration पर क्लिक करना है.

  • अब आपको सबसे पहले अपने राज्य को चुन लेना है. यानी आप किस राज्य से हैं वह बताना है.

  • इसके बाद आपको Login ID के ऑप्शन में अपना ईमेल आईडी डाल देना है.

  • ईमेल आईडी डालने के बाद आपको अपना मोबाइल नंबर डालना है.

  • आप जो भी मोबाइल नंबर डालेंगे उस पर एक आपको ओटीपी प्राप्त होगा जिससे आपको ओटीपी के ऑप्शन में डालना है.

  • अब आपको अंत में कैप्चा कोड को फिल करना है और सबमिट का ऑप्शन पर क्लिक कर देना.

  • इसके बाद आपको पंजीकरण सफलतापूर्वक हो जाएग.

  • अब आपको Login करने की आवश्यकता है इसके लिए आपको लॉगइन पेज पर जाना होगा.

  • यहां पर आपको जो भी जानकारी मांगी जाती है उसे फिल कर देना है.

  • अंत में आपको कैप्चा कोड डालकर सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक कर देना है.

  • जैसे ही आप सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक करेंगे, आप सफलतापूर्वक लॉगिन कर पाएंगे और आपके सामने डैशबोर्ड ओपन हो जाएगा.

  • यहां से आपको किसी भी प्रकार की साइबर क्राइम से रिलेटेड समस्या है उसे चुन लेना है.

  • इसके अलावा जो भी जानकारी मांगी जाती है वह सारी दे देना है और अंत में कंप्लेंट दाखिल कर देना है.

साइबर क्राइम में ऐसे जानें शिकायत की स्थिति

  • अगर आप अपनी शिकायत की स्थिति जानना चाहते हैं तो इसका भी आप पता कर सकते हैं.

  • इसके लिए आपको https://cybercrime.gov.in वेबसाइट में ट्रेक योर कंप्लेंट का ऑप्शन दिखेगा.

  • उस पर क्लिक करना है आपको जैसे ही आप क्लिक करें आपके सामने एक नया पेज ओपन हो जाएगा.

  • यहां आपको कंप्लेन नंबर दर्ज करना होगा फिर आपको गेट ओटीपी पर क्लिक करना है आप कंप्लेन में जो भी मोबाइल नंबर डाले हैं उस पर एक ओटीपी जाएग.

  • ओटीपी डालने के बाद सबमिट पर क्लिक करना है.

  • फिर आपके सामने स्टेटस का पूरा रिपोर्ट आ जाएगा आपका रिपोर्ट कहां है रिजेक्ट हुआ या पेंडिंग है या प्रोसेसिंग में है.

  • इस प्रकार आप आसानी से साइबर क्राईम कंप्लेंट स्टेटस चेक कर सकते हैं.

साइबर अपराध रोकने के लिए उठाए गए कदम

मोबाइल फोन के सिम कार्ड के जरिए होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए हाल ही में सिम कार्ड बेचने वाले डीलरों के लिए पुलिस वेरिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया गया है. साथ ही थोक में सिम कार्ड कनेक्शन देने के प्रावधान पर भी रोक लगा दी गई है. केंद्र सरकार ने 52 लाख मोबाइल कनेक्शन को बंद करने के साथ 67,000 सिम कार्ड डीलरों को ब्लैकलिस्ट किया है.

मई 2023 के बाद से सिम कार्ड डीलरों के खिलाफ 300 एफआईआर दर्ज की गई हैं. इसके साथ ही व्हाट्सएप ने अपनी तरफ से 66,000 अकाउंट्स को ब्लॉक किया है जो धोखाधड़ी में लगे हुए हुए थे. इसके साथ ही अब अगर सिम कार्ड डीलर किसी नियम का उल्लंघन करते हुए पाये गए तो उन पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.

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