16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

डार्विन थ्योरी में आया पाकिस्तान-धर्म, BHU के प्रोफेसर ने कहा भटक जाएगी बंदर से मुनष्य बनने की विकास यात्रा

लाखों साल के बदलावों के बाद बंदर से इंसान की प्रजाति का विकास हुआ. विश्व के महानतम वैज्ञानिक चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन के विकासवाद के इस सिद्धांत को NCERT ने 9वीं -10वीं के कोर्स से हटा दिया है. सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है. मीम्स बन रहे हैं. क्रिया-प्रतिक्रया हो रही है. इसमें BHU की एंट्री हो चुकी है.

लखनऊ. लाखों साल के बदलावों के बाद बंदर से इंसान की प्रजाति का विकास हुआ. विश्व के महानतम वैज्ञानिक चार्ल्स रॉबर्ट डार्विन के विकासवाद के इस सिद्धांत को एनसीईआरटी ने 9वीं और 10वीं के पाठ्यक्रम से हटा दिया है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गयी है. किसी का तर्क है कि पाकिस्तान ने 2010 में इस थ्योरी का पाठ्यक्रम से हटा दिया था. भारत भी उसी का अनुसरण कर रहा है. कोई सरकर के इस निर्णय को धर्म से जोड़कर देख रहा है. इस बहस के बीच में बीएचयू के प्रोफेसरों ने सनसनीखेज जानकारी दी है.

एनसीईआरटी ऐसा क्यों कर रही है, हम नहीं जानते : प्रो लखोटिया

‘ एनसीईआरटी डार्विन की थ्योरी ‘ विवाद पर बीएचयू जूलॉजी विभाग के साइटोजेनेटिक्स प्रो एससी लखोटिया कहते हैं कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसे (डार्विन थ्योरी) स्थायी रूप से हटाया जा रहा है. जैविक विकास एक मौलिक प्रक्रिया है और जीव विज्ञान आवेदकों और सामान्य लोगों के लिए इसे समझना महत्वपूर्ण है. वैज्ञानिक रूप से क्या सही है छात्रों को यह जानने का अधिकार है. एनसीईआरटी ऐसा क्यों कर रही है, हम नहीं जानते.

बोझ कम करने को हटाया, थ्योरी सभी वेबसाइट पर उपलब्ध

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार का कहना है एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए इस मामले में सफाई दी है. केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार ने कहा कि डार्विन की थ्योरी को एनसीईआरटी के करिकुलम से हटाने का भ्रामक प्रचार हो रहा है. कोविड-19 की वजह से कोर्स में बदलाव किए गए हैं, ऐसा इसलिए ताकि स्टूडेंट्स के ऊपर से पढ़ाई का दबाव कम किया जा सके. अगर दसवीं तक का कोई स्टूडेंट इसे पढ़ना चाहता है, तो ये सभी वेबसाइट्स पर उपलब्ध है. शिक्षा मंत्री ने ये भी बताया कि 12वीं क्लास के सिलेबस में पहले से ही डार्विन की थ्योरी मौजूद है, तो इसलिए किसी भी तरह का झूठा प्रचार नहीं किया जाना चाहिए.

24 नवंबर 1859 को  प्रकाशित डार्विन की किताब का पाठ है थ्योरी

24 नवंबर 1859 को चार्ल्स डार्विन की किताब ‘ऑन द ओरिजन ऑफ स्पेशीज बाय मीन्स ऑफ नेचुरल सिलेक्शन’ प्रकाशित हुई थी. इस किताब में ‘थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन’ का वह पाठ था जिसे दुनिया डार्विन के सिद्धांत के नाम से जानती है. वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने अपनी किताब के इस पाठ में बहुत ही सरलता से बताया है कि आज का मनुष्य बीते कल का बंदर था. बंदर से मनुष्य तक की क्रमिक विकास की उसकी यात्रा कैसे हुई इसका ब्यौरा है.

हम और आप इस तरह बने बंदर से इंसान

पाठ ‘थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन’ में डार्विन बताते हैं कि हमारे पूर्वज बंदर विभिन्न स्थानों पर विभिन्न तरीकों से रहने लगे इससे उनमें बदलाव आने लगे. बंदरों की एक खास प्रजाति ओरैंगुटैन का एक बेटा पेड़ दूसरा जमीन पर रहने लगा. जमीन पर रहने वाले बंदर ने जिंदा रहने के लिए खड़ा रहना, दो पैरों पर चलकर दो हाथों का उपयोग करना सीखा. . नई कलाओं में उसने भूख लगने पर शिकार -खेती करना सीखा. करोड़ों साल में सीखी गईं इन कलाओं से ओरैंगुटैन का बेटा बंदर से इंसान बना.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें