लखनऊ: चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस (Dibrugarh Train Accident) कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से पटरी पर उतरी थी. यदि समय से 30 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से चलने का कॉशन लगा दिया जाता तो, ये हादसा नहीं होता. न तो 4 लोगों की मौत होती और न ही 48 लोग घायल होते. रेलवे की शुरुआती जांच में जो निष्कर्ष निकला है, वो यही है. इस मामले में रेलवे ट्रैक में गड़बड़ी की सूचना देने वाले कीमैन और जेई का वीडियो भी वायरल होने की जानकारी सामने आई है. इसमें कीमैन रेलवे ट्रैक में फैलाव और क्लिप ढीली होने की बात कह रहा है. इसके बावजूद समय पर कॉशन न दिए जाने से चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस 86 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजरी और दुर्घटनाग्रस्त हो गई.
1.30 बजे मिली गड़बड़ी, 2.30 बजे दिया कॉशन
जांच रिपोर्ट के अनुसार 1.30 बजे मोतीगंज-झिलाही के बीच 638/16-14 पर आईएमआर डिफेक्ट डिटेक्ट किया गया. लेकिन इसके एक घंटे बाद 2.30 बजे स्टेशन मास्टर मोतीगंज को 30 किलोमीटर प्रतिघंटे का कॉशन लागू करने मेमो दिया गया. लेकिन इससे पहले 2.28 बजे चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस 15904 डाउन मोतीगंज स्टेशन क्रॉस हो चुकी थी. जांच दल का ये भी निष्कर्ष है कि आईएमआर डिटेक्ट होने के बाद गाड़ी को कॉशन ऑर्डर मिलने से पहले तक साइट का प्रोटेक्शन करना चाहिए था, जो नहीं किया गया. इसके चलते ट्रेन डिरेल हुई. जांच दल ने निष्कर्ष में दुर्घटना का जिम्मेदार इंजीनियरिंग विभाग को बताया है.
बकलिंग को भी नहीं किया ठीक
चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस को समय पर कॉशन मिल जाता तो इस दुर्घटना को रोका जा सकता था. मोतीगंज से तेज रफ्तार चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन के लोको पायलट को गड़बड़ी वाले ट्रैक पर जब झटका महसूस हुआ तो उसने अचानक इमरजेंसी ब्रेक लगा दी थी. इससे ट्रेन पटरी से उतर गई. इससे बाईं ओर का 3.09 मीटर पटरी का टुकड़ा गायब हो गया. 350 मीटर ट्रैक क्षतिग्रस्त मिला. डाउन ट्रैक के दाहिनी ओर पटरी पर फैलाव भी मिला है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि बकलिंग (ट्रैक में फैलाव) को ठीक किया जाना चाहिए था.
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