Lucknow : उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को जल्द ही रजिस्टरों पर लिखा-पढ़ी से निजात मिलेगी. अब शिक्षकों को अपनी और विद्यार्थियों की हाजिरी रजिस्टरों में नहीं लगानी होगी. इसके लिए शिक्षकों के पास डिजिटल रजिस्टर रहेंगे. स्कूलों को टैब मिलते ही इस पर काम होने लगेगा. इससे आंकड़ों का रखरखाव बेहतर हो जाएगा.
परिषदीय स्कूलों में प्रधानाध्यापकों व शिक्षकों को कई तरह के रजिस्टर मेनटेन करने होते हैं. इसमें अधिक समय लगता है और जब कभी आंकड़े आदि मांगे जाते हैं तो इन्हें बार बार लिखकर या डिजिटल फीडिंग कर देना होता है. समय की बचत और आंकड़ों के बेहतर रखरखाव के लिए अब 12 ऐसे रजिस्टर लिए गए हैं, जिनका डिजिटाइजेशन किया जा रहा है. इन पंजिकाओं का उपयोग वास्तविक समय (रियल टाइम) के लिए हो सकेगा.
राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक डॉ. पवन कुमार ने जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के उप शिक्षा निदेशक को पत्र भेजा है जिसमें डिजिटाइजेशन की जानकारी दी गई है. यह सभी रजिस्टर प्रेरणा पोर्टल पर उपलब्ध रहेंगे.
उपस्थिति पंजिका, प्रवेश पंजिका, कक्षावार छात्र उपस्थिति पंजिका, एमडीएम पंजिका, समेकित निःशुल्क सामग्री वितरण पंजिका, स्टॉक पंजिका, आय व्ययक एवं इश्यू पंजिका (बजटवार), बैठक पंजिका, निरीक्षण पंजिका, पत्र व्यवहार पंजिका, बाल गणना पंजिका और पुस्तकालय एवं खेलकूद पंजिका.
रजिस्टरों के डिजिटाइजेशन से कई तरह के लाभ होंगे. सभी हाजिरी रजिस्टर आदि ऑनलाइन रहेंगे. इससे बार बार आंकड़ों को भेजना नहीं होगा. वर्तमान में सभी जानकारियां ऑनलाइन बाद में भेजनी होती हैं. अगले माह से शिक्षकों का प्रशिक्षण शुरू होगा. एससीईआरटी यह काम डायट के माध्यम से करेगा.
उत्तर प्रदेश मुख्य बाल सेवा योजना के तहत जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या दोनो में से किसी को खो दिया है, ऐसे 18 से 23 वर्ष तक के अधिकतम दो बच्चों को 2500 रुपए प्रति बालक-बालिका आर्थिक सहायता मिलेगी. यह धनराशि ऐसे बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार देगी. जिलाधिकारी नितीश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना बेहद ही जनकल्याणकरी एवम् महत्त्वपूर्ण योजना है.
उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य 18 वर्ष से कम आयु के ऐसे बच्चे जिन्होंने कोविड- 19 से भिन्न अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों अथवा माता या पिता में से किसी एक अथवा अभिभावक को खो दिया है और जो 18 से 23 वर्ष के हैं उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाएगा.
ऐसे बच्चे जो कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त राजकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय अथवा तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री अथवा डिप्लोमा प्राप्त करने के लिए शिक्षा प्राप्त कर रहें हों या नीट, जेईई, क्लैट जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले या जिनकी माता तलाकशुदा स्त्री या परित्यक्ता है अथवा जिनके माता-पिता या परिवार का मुख्यकर्ता जेल में है उन्हें भी आर्थिक सहायता दी जाएगी.
जिलाधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) के पात्रता की श्रेणी में आने वाले परिवार के अधिकतम दो बच्चों को प्रतिमाह प्रति बालक-बालिका 2500 रुपए की सहायता धनराशि प्रदान की जाएगी.