Lucknow News: लखनऊ ने जिस तरह पहली जंग-ए-आजादी (स्वतंत्रता संग्राम) में भूमिका निभाई थी, उसी तरह आजादी की दूसरी निर्णायक जंग व आंदोलन में भी वह शामिल रहा. कई दशक बीतने के बावजूद आज भी शहर की कई इमारतों में आजादी के वो अक्स बाकी हैं. भले ही कई ऐतिहासिक स्थल समय के साथ गुम या धुंधले हो गए हों, लेकिन जो इमारतें कभी क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ हुआ करती थीं, वहां उनके निशान किसी न किसी रूप में अब भी मौजूद हैं. महात्मा गांधी आजादी के आंदोलन के तहत दूसरी बार आठ अगस्त 1921 को राजधानी आए थे और गूंगे नवाब पार्क में स्वदेशी का प्रचार किया था. गांधी ने स्वदेशी पर बल देते हुए कहा था कि हम लोग अपने देश में बनने वाली वस्तुओं का इस्तेमाल करेंगे तो अंग्रेजों के व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद होंगे. आर्थिक कमजोरी के साथ स्वदेशी मजबूती आएगी. उनके इस भाषण से प्रभावित होकर यहीं पर एक देशभक्त ने स्वदेशी के प्रचार के लिए गांधी को घड़ी भेंट की थी जिसे उन्होंने 100 रुपये में नीलाम कर दिया था.
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Lucknow News: स्वतंत्रता संग्राम के कई दशक बाद भी लखनऊ की इन इमारतों में बाकी हैं आजादी के अक्स
Lucknow News: लखनऊ ने जिस तरह पहली जंग-ए-आजादी (स्वतंत्रता संग्राम) में भूमिका निभाई थी, उसी तरह आजादी की दूसरी निर्णायक जंग व आंदोलन में भी वह शामिल रहा. कई दशक बीतने के बावजूद आज भी शहर की कई इमारतों में आजादी के वो अक्स बाकी हैं.
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