लखनऊ: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईमेल आईडी पर एक ज्ञापन भेजेते हुए पुरानी पेंशन के लिए विकल्प खोलने की मांग की है. उन्होंने प्रधानमंत्री से 12 मार्च 2022, 8 अप्रैल 2023 ,24 अप्रैल 2023, 11 जुलाई 2023 को पत्र लिखकर कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने के लिए विकल्प खोलने की मांग की है.
जेएन तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल 2004 से पुरानी पेंशन समाप्त कर दिया था. केंद्र सरकार की तर्ज पर ही देश के अन्य राज्यों में भी पुरानी पेंशन समाप्त करते हुए नई पेंशन योजना लागू कर दी गई. नई पेंशन का कर्मचारी संगठनों द्वारा लगातार विरोध हो रहा है. कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन को फिर से अपना लिया है, लेकिन तकनीकी दिक्कतें बनी हुई है. जिन राज्यों ने पुरानी पेंशन अपनाया है उन राज्यों के कर्मचारियों का एनपीएस के अंतर्गत किए गए अंशदान की कटौती आधर में लटकी हुई है.
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केंद्र सरकार ने 2009 तक के कर्मचारियों को कुछ शर्तों के आधार पर विकल्प खोला है, लेकिन यह विकल्प सभी कर्मचारियों के लिए खोला जाना चाहिए. जिस तरह से सरकार ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को विकल्प खोलकर नई पेंशन योजना में शामिल किया है, उसी प्रकार देश एवं राज्यों के कर्मचारियों को भी एक अवसर देकर नई पेंशन योजना अथवा पुरानी पेंशन योजना, दोनों में से किसी एक में जाने का विकल्प दिया जाना चाहिए.
जेएन तिवारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी 26 अगस्त को मुलाकात के दौरान पुरानी पेंशन पर चर्चा की थी. इस पर सीएम ने कहा था कि केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन की बहाली के संबंध में एक समिति गठित की है. समिति की रिपोर्ट आने पर उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी. जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की समिति भी पुरानी पेंशन योजना के पक्ष में है. ऐसी हालत में कर्मचारियों को जबरिया नई पेंशन योजना में नहीं रखा जा सकता है.
नई पेंशन योजना को सरकार ने बहुत बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया है. इसमें सरकारी कर्मचारियों के अलावा निजी क्षेत्र के कर्मचारी एवं पब्लिक की भी भागीदारी सुनिश्चित कर ली गई है. ऐसी स्थिति में सरकार के लिए शायद यह योजना बंद करना मुश्किल होगा. लेकिन सरकारी कर्मचारियों के लिए विकल्प खोले जाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. जेएन तिवारी ने कहा है कि यदि देश एवं राज्यों के कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने के लिए विकल्प का अवसर नहीं दिया गया, तो आने वाले पांच राज्यों एवं लोकसभा के चुनाव में इसका अंजाम सरकार को भुगतना पड़ सकता है.