लखनऊ. दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकल्प के रूप में विकसित किये जा रहा जेवर एयरपोर्ट (Noida International Airport) एक साल में सात करोड़ (70 मिलयन ) यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचायेगा. इस जरूरत को पूरा करने के लिये जेवर एयरपोर्ट पर दो की जगह पांच रनवे होंगे. एशिया पेसिफिक ट्रांजिट हब बनने जा रहे इस एयरपोर्ट को चार चरणों में विकसित किया जा रहा है. विश्व के किसी भी एयरपोर्ट पर मिलने वाली सुविधाएं यहां उपलब्ध होंगी. कई देशों की प्लाइट यहां से गुजरेंगी. जेवर एयरपोर्ट देश का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा. अभी इसका सेकेंड फेस का काम चल रहा है जिसको 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है.
जेवर एयरपोर्ट पर तीसरे रनवे का काम भी जल्दी शुरू होने जा रहा है. इसके लिये 1335 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी. जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. चौथे और पांचवे रनवे के लिये 2053 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा. आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एयरपोर्ट चार चरणों में विकसित किया जायेगा. 2019 में, स्विट्जरलैंड की कंपनी ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी जेवर हवाई अड्डे के निर्माण के बाद 40 वर्षों तक संचालन भी करेगी. दो इंटरकनेक्टिड टर्मिनल होंगे. दूसरे चरण की जमीन का अधिग्रहण पूरा होने के बाद एयरपोर्ट के पास कुल उपलब्ध जमीन 2699 हेक्टेयर हो जायेगी. इसके बाद अगले चरण के लिये जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा.
जेवर एयरपोर्ट के फर्स्ट फेस का काम पूरा होने के बाद जो तस्वीर बनेगी उसमें एक रनवे, कार्गो हब और एक टर्मिनल होगा. इससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन किया जायेगा. पहले फेस को एक करोड़ 20 लाख यात्रियों की सालाना क्षमता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. दूसरे रनवे का निर्माण तब शुरू होगा जब एक साल में करीब एक करोड़ यात्री इस एयरपोर्ट का उपयोग करने लगेंगे. जेवर एयरपोर्ट से हरियाणा के लोगों को भी सीधे लाभ मिलेगा. इसके लिये फरीदाबाद से जेवर एयरपोर्ट तक हाइवे का निर्माण जल्द पूरा होने जा रहा है. एनएचएआई दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर हवाई अड्डे से सेक्टर 65, फरीदाबाद तक 31 किमी लंबी ग्रीनफील्ड राजमार्ग का निर्माण कर रहा है.
एयरपोर्ट को विकसित करने में ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी ग्रेटर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (NIAL) के साथ मिलकर काम कर रही है. क्षेत्रफल को आधार मानें तो यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा.दूसरे चरण के लिये 7100 से अधिक किसानों की 1365 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है. एयरपोर्ट को सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल (पीपीपी) से विकसित किया जा रहा है. इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और हिंडन एयरपोर्ट के बाद यह एनसीआर रीजन में तीसरा कामर्शियल एयरपोर्ट होगा.