लखनऊ: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्में मुख्तार अंसारी ( Mukhtar Ansari News) ने 80 के दशक में अपराध की दुनिया में एंट्री की थी. मुख्तार दादा पक्ष ही नहीं नाना पक्ष की तरफ से भी प्रतिष्ठित परिवार का था. लेकिन गलत संगत के कारण वो अपराध की दुनिया में उतर गया. अपराध से ही उसने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और जेल में उसने अंतिम सांस ली.
अच्छा क्रिकेटर भी था
जानकार बताते हैं कि मुख्तार अंसारी ( Mukhtar Ansari News) ने गाजीपुर पीजी कॉलेज से मुख्तार अंसारी स्नातक की परीक्षा पास की थी. वो क्रिकेट का भी अच्छा खिलाड़ी था. लेकिन अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के कारण वो मनबढ़ हो गया था. इसीलिए गलत संगत में जुड़ता चला गया. 80 के दशक में उसने साधू-मकनू के गिरोह से जुड़कर अपराध की दुनिया में कदम रखा. यहीं से जरायम की एबीसीडी सीखी और फिर अपना गैंग बना लिया.
1997 में पुलिस ने अंतर्राज्यीय गिरोह में किया दर्ज
मुख्तार अंसारी ( Mukhtar Ansari News) के अपराध की दुनिया काफी बड़ी है लेकन उसे 1997 में पुलिस डोजियर में आईएस-191 (अंतर्राज्यीय गिरोह) के रूप में दर्ज किया गया. 25 अक्तूबर 2005 से वो जेल में था. जेल से बाहर हो या अंदर मुख्तार का साम्राज्य बेरोकटोक चलता रहा. यही कारण था कि वो मऊ सदर विधानसभा से पांच बार विधायक भी चुना गया. पहली बार 1996 में मुख्तार अंसारी बीएसपी के टिकट पर विधानसभा पहुंचा था. इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दलीय जीत हासिल की. 2012 में कौमी एकता पार्टी बनायी और विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. तीन चुनाव मुख्तार अंसारी ने जेल में रहते हुए जीते.
कृष्णानंद राय की हत्या से बुरे दिनों की शुरुआत
मुख्तार अंसारी ( Mukhtar Ansari News) के बुरे दिनों की शुरुआत कृष्णानंद राय (Krishna Nand Rai) की हत्या से हुई. उसका बड़ा भाई अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) गाजीपुर की मुहम्मदाबाद सीट से लगातार जीत हासिलकर रहा था. लेकिन 2002 में बीजेपी के कृष्णानंद राय ने मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को विधान सभा चुनाव में हरा दिया था. इसके तीन साल बाद 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की हत्याकर दी गई थी. वो एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के बाद वापस लौट रहे थे. तभी कई शूटर्स ने घेर कर एके-47 से 400 राउंड फायरिंग करके कृष्णानंद राय की हत्याकर दी थी. इस हत्याकांड में कुल छह लोग मारे गए थे. घटना के दौरान मुख्तार अंसारी जेल में था. इस मामले में उसे भी नामजद किया गया था. लेकिन बाद में वो बरी हो गया था.
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