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गर्भगृह के द्वार सोने के जड़ित होंगे, दिवाली तक पूरा होगा अयोध्या राम मंदिर का भूतल

रामलला की प्रतिमा के अभिषेक की तारीख तय नहीं की गई है.इसके मकर संक्रांति के बाद होने की संभावना है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को इसकी आधारशिला रखी थी वह समारोह के लिए उपस्थित रहेंगे.

लखनऊ.दीपावली तक अयोध्या के राम मंदिर का भूतल तैयार हो जाएगा.सूत्रों ने कहा है कि भूतल पर काम अंतिम चरण में है.राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य नृपेंद्र मिश्रा ने सोमवार को मंदिर निर्माण की स्थिति का जायजा लिया.रामलला की प्रतिमा के अभिषेक की तारीख तय नहीं की गई है.इसके मकर संक्रांति के बाद होने की संभावना है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को इसकी आधारशिला रखी थी वह समारोह के लिए उपस्थित रहेंगे.

गर्भगृह के ऊपर 161 फीट ऊंचा

360 X235 वर्ग फीट की संरचना में भूतल पर 160 कॉलम, पहली मंजिल पर 132 कॉलम और दूसरी मंजिल पर 74 कॉलम होंगे. पांच मंडप होंगे. मंदिर में सागौन की लकड़ी से बने 46 दरवाजे होंगे. गर्भगृह के द्वार सोने के जड़ित होंगे. मंदिर संरचना के लिए राजस्थान से लगभग चार लाख क्यूबिक फीट पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया जाएगा. मंदिर गर्भगृह के ऊपर 161 फीट ऊंचा होगा . स्टील या ईंटों का कोई उपयोग नहीं होगा.

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शिव मंदिर और जटायु की मूर्ति लगेगी

इसके अलावा मंदिर के अंदर कुबेर टीले पर एक शिव मंदिर और जटायु की मूर्ति भक्तों को आकर्षित करेगी. परिसर में एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, संग्रहालय, अभिलेखागार, अनुसंधान केंद्र, सभागार, एक पशु शेड, अनुष्ठानों के लिए एक स्थान, एक प्रशासनिक भवन और पुजारियों के लिए कमरे भी बनाए जा रहे हैं.

अयोध्या फोर लेने की कनेक्टिविटी से जुडे़गी

सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रतापगढ़ में सोमवार को कहा कि अगले साल के शुरुआत में ही रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. इस तरह से सैकड़ों वर्ष का इंतजार समाप्त हो जाएगा. इसको देखते हुए जल्द फोर लेने की कनेक्टिविटी से प्रतापगढ़ प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या से जुड़ जाएगा. उसके अगले साल 2025 में प्रयागराज में भव्य और दिव्य कुंभ का आयोजन होगा. इसी को ध्यान में रखकर यहां फोर लेन सड़क परियोजना का शिलान्यास किया जा रहा है, जो प्रतापगढ़ को प्रयागराज से जोड़ेगा.

सत्तारूढ़ भाजपा के लिए यह एक मील का पत्थर होगा, भाजपा 1990 के दशक में मंदिर आंदोलन को एक राष्ट्रीय चुनावी ताकत के रूप में उभरने का आधार मानती है.सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2019 में दशकों के कानूनी विवाद को समाप्त करते हुए मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था. अगस्त 2020 में मंदिर निर्माण शुरू हुआ.

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