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यूपी में 427 फार्मेसी कॉलेजों की NOC निरस्त, फ्रॉड से बचना है तो पढ़ें पूरी लिस्ट

उत्तर प्रदेश 427 फार्मेसी कॉलेजों को एनओसी नहीं दी गई है. प्रदेश में प्राविधिक शिक्षा परिषद में पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई हुई है. फार्मेसी कॉलेजों को एनओसी जारी करने में बड़े पैमाने पर धांधली और अनियमितता की शिकायतें मिली थी.

Lucknow : उत्तर प्रदेश में फार्मेसी कोर्स में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए एक काम की खबर सामने आई है. अगर आप किसी कॉलेज में फार्मेसी कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं तो पहले उसके बारे में अच्छे जानकारी कर लें, क्योंकि प्रदेश सरकार ने 427 फार्मेसी कॉलेजों की एनओसी निरस्त कर दी गई है. बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजूकेशन यूपी ने पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई की है. फार्मेसी कॉलेजों को एनओसी जारी करने में बड़े पैमाने पर धांधली और अनियमितता की शिकायतें मिली थीं.

सीएम योगी के निर्देश पर हुई कार्रवाई

इस पर सीएम योगी के निर्देश पर सभी जिलों में जिलाधिकारी की देखरेख में जांच करायी गयी तो 427 कॉलेजों की एनओसी जारी करने में गड़बड़ी की पुष्टि हुई थी. इसमें राजधानी लखनऊ के तीन फार्मेसी कॉलेज भी शामिल हैं. पूर्वाचल के अधिकतर कॉलेज फंसे हुए हैं. इसमें आजमगढ़ जिले के 78 फार्मेसी कॉलेज शामिल हैं. वहीं मऊ जिले के 33 कॉलेज और गाजीपुर जिले के 32 फार्मेसी कॉलेज शामिल किए गए हैं.

इसके अलावा मेरठ जिले में 19 कॉलेज, जौनपुर में 14, बरेली में 13, बलिया में 12, अंबेडकर नगर में 11, चंदौली में 11, एटा में 10, सोनभद्र, अमेठी, मथुरा में 9 कॉलेज, बहराईच में 8 कॉलेज और मुरादाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, आगरा में 8 कॉलेज हैं. वहीं, अलीगढ़ जिले में 7 फार्मेसी कॉलेज, कानपुर, गोरखपुर और हरदोई में 6-6 फार्मेसी कॉलेज शामिल किए गए हैं. इसके अलावा गोंडा, बाराबंकी, बुलंदशहर, सुल्तानपुर के 5-5 फार्मेसी कॉलेज को इस सूची में शामिल किया गया है.

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इसके अलावा अयोध्या, बांदा, कासगंज, लखीमपुर खीरी, मुजफ्फरनगर, फिरोजाबाद, उन्नाव के चार-चार फार्मेसी कॉलेजों को भी इस सूची में शामिल किया गया है. वहीं तीन फार्मेसी कॉलेज मैनपुरी, प्रयागराज, अमरोहा, बदायूं, बागपत, गाजियाबाद, हाथरस जिलों के भी इस सूची में शामिल किया गया है. इसके अलावा सीतापुर, सिद्धार्थनगर, इटावा, मिर्ज़ापुर, शाहजहाँपुर, चित्रकूट, देवरिया, हमीरपुर, हापुड, बलरामपुर, कानपुर देहात, बस्ती के दो-दो फार्मेसी कॉलेज काली सूची में शामिल हैं. वहीं औरैया, भदोही, फ़तेहपुर, जालौन, झाँसी, कौशांबी, कुशीनगर, पीलीभीत, रामपुर और महोबा भी अछूते नहीं हैं. इन जिलों के एक-एक कॉलेज को इस सूची में शामिल किया गया है.

इस तरह हुई नियमों की अनदेखी

फार्मेसी कॉलेज चलाने के लिए एनओसी लेने वालों ने जमकर गुमराह करने का काम किया है. कुछ महाविद्यालय तो ऐसे निकले कानपुर देहात में कॉलेज चला रहे हैं और एफिडेविट में उरई की जमीन को दिखा दिया है. इसी तरह डिग्री या इंटर कॉलेज की जमीन को भी एफिडेविट में दिखाया गया है. सूत्रों ने बताया कि कुछ तो ऐसे हैं, जिन्होंने जमीन को कॉलेज की जगह बता दिया. मौके पर जांच में वहां पर कोई भवन ही नहीं मिला.

सोसाएटी भी होगी निरस्त

एफिडेविट में गलत जानकारी देने वाले कॉलेजों की सोसाएटी को निरस्त करने के लिए रजिस्ट्रार ऑफ सोसाएटी को लेटर लिखा गया है. यह कॉलेज अब सोसाएटी पर किसी अन्य एकेडमिक इंस्टीट्यूट को भी नहीं चला पाएंगे. हालांकि इन सोसाएटीज की ओर से यदि पूर्व में कोई कॉलेज चल रहा है तो वहां के स्टूडेंट्स के समायोजन या कोर्स पूरा कराने पर फैसला शासन स्तर पर होगा.

दो बोर्ड सेक्रेटी पद से हटे

फार्मेसी कॉलेजों को एनओसी जारी करने के मामले में अभी तक दो बोर्ड सेक्रेटी को पद से हटाया जा चुका है. साल 2022 में एनओसी जारी होने के शुरुआती दिनों में बीटीईयूपी के सेक्रेटी सुनील सोनकर को पद से हटाकर कानपुर स्थित प्राविधिक शिक्षा निदेशालय अटैच किया गया था. निदेशालय से प्रधानाचार्य मुख्यालय पद पर कार्यरत एफआर खान को बोर्ड सेक्रेटी बनाया गया था. 427 कॉलेजों के हलफनामे में गड़बडी उजागर होने के बाद एफआर को प्रधानाचार्य मुख्यालय के पद पर वापस भेज दिया गया है.

उठाए गए कई सवाल

दोनों अधिकारियों को पद से जरुर हटाया गया, लेकिन विभागीय कार्रवाई कुछ भी नहीं हुई. ऐसे में सवाल है कि अगर एनओसी देने में बोर्ड सेक्रेटी की भूमिका नहीं है तो वह पद से क्यों हटाए गए. यदि भूमिका है तो एक्शन क्यों नहीं हुआ. हालांकि दोनों मामलों में अधिकारियों ने अपनी कलम बचाते हुए संबद्धता या वापसी की कार्रवाई जनहित में की है. फिलहाल एफआर खान प्रधानाचार्य मुख्यालय पद पर हैं और सुनील सोनकर का राजकीय पॉलिटेक्निक बलिया में प्रिंसिपल पद पर ट्रांसफर किया गया है.

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