लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने सोमवार को कहा कि डिजिटल फसल सर्वेक्षण परियोजना उत्तर प्रदेश (यूपी) में शुरू करने के लिए तैयार है. इससे सरकार को शुद्ध बोए गए क्षेत्र की सटीक फसल-वार स्थिति प्राप्त करने और राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि उत्पाद आधारित आय के योगदान का आकलन करने में मदद मिलेगी. मिश्रा ने डिजिटल कृषि सार्वजनिक अवसंरचना के तहत फसलों का डिजिटल सर्वेक्षण करने के लिए पहचाने गए जिला और तहसील स्तर के मास्टर प्रशिक्षकों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए यह बात कही. कार्यक्रम का आयोजन कृषि एवं राजस्व विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.
मुख्स सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा, “डिजिटल फसल सर्वेक्षण से किसान क्रेडिट कार्ड और फसल बीमा सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किसानों को अपने रिकॉर्ड को बार-बार सत्यापित करने की आवश्यकता भी समाप्त हो जाएगी.” उन्होंने कहा कि डिजिटल फसल सर्वेक्षण से राज्य में कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने और किसानों को बिचौलियों के बिना बाजार से जोड़ने में मदद मिलेगी. डिजिटल फसल सर्वेक्षण के माध्यम से तैयार किया गया डेटाबेस किसानों के लिए ‘वन स्टॉप सॉल्यूशन’ की तरह काम करेगा, जहां उन्हें फसल से संबंधित मुद्दों के समाधान, सरकारी सब्सिडी और उद्धरण प्रबंधन के साथ-साथ बड़े पैमाने पर पहुंच जैसी कई सुविधाएं मिल सकेंगी.
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उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े नौकरशाह ने दावा किया गया कि राज्य में चालू खरीफ सीजन के दौरान सर्वेक्षण करने के लिए 3 करोड़ से अधिक पंजीकृत खेती योग्य भूमि की पहचान की गई है. ई-पोर्टल (ई-जांच) 10 अगस्त से 25 सितंबर तक दो चरणों में आयोजित की जाएगी. , पहले चरण में 21 जिले और दूसरे चरण में 54 जिले शामिल होंगे. सर्वेक्षण के लिए प्रदेश के 75 जिलों की 350 तहसीलों में लेखपाल के अंतर्गत 31002 क्षेत्रों में फैले 35983 ई-जांच समूहों से डेटा एकत्र करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जबकि इसके कार्यान्वयन की तैयारी शुरू हो गई है.