अयोध्या: 500 साल के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में श्री रामलला (Ram Mandir) अपने मंदिर में विराजमान हो चुके हैं. टेंट से निकलकर भव्य मंदिर में पधार चुके रामलला को देखने के लिए श्रद्धालु रामनगरी में उमड़ रहे हैं. इस बीच श्रीराम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. अभी प्रथम व द्वितीय तल बनना है. मंदिर के नए तल पर कार्य शुरू हो गया है.
भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू
श्रीराम जन्मभूमि पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि राम मंदिर का पूरा परिसर 70 एकड़ में फैला है. मुख्य मंदिर 2.7 एकड़ में बन रहा है. इसकी ऊंचाई 161 फीट होगी. राम मंदिर के निर्माण में अब तक 1100 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. अनुमानित लागत लगभग 1800 करोड़ रुपये है. अभी गर्भगृह और प्रथम तल का निर्माण हुआ है. दूसरे तल का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. मंदिर में तीन तल (भूतल, प्रथम और द्वितीय तल) होंगे. इसमें 12 द्वार बनाए गए हैं. पूरा मंदिर तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. इसके बाद राम मंदिर का भव्य स्वरूप सामने आएगा. भूतल पर गर्भ गृह और पांच मंडप गृह मंडप, कीर्तन मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप, प्रार्थना मंडप बने हैं. मंदिर की परिक्रमा का पथ गोल बनाया गया है.
द्वितीय तल पर सात मंदिर बनेंगे
ट्रस्ट के अनुसार द्वितीय तल पर परकोटा बनाया जाएगा. ये 60 फीट का होगा. चौड़ाई 14 फीट होगी. इसमें सात मंदिर बनेंगे. जिसमें भगवान विष्णु, शिव, ब्रह्मा, गणेश, हनुमान, माता दुर्गा और सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाएंगी. साथ ही भारतीय संस्कृति को दर्शाने वाली नक्काशी भी जाएगी. अभी मंदिर में एक मुख्य शिखर, पांच उप शिखर का निर्माण होना है. कुल 392 खंभे मंदिर में होंगे. इनमें से भूतल पर 166 खंभे, प्रथम तल पर 136 खंभे, द्वितीय तल पर 90 खंभे होंगे. इन पर देवी देवताओं, यक्ष, गंधर्व, देव कन्याओं, नृत्यांगनाओं की लगभग 6 हजार मूर्तियां उकेरी जा रही हैं. बताया जा रहा है कि मुख्य शिखर को सोने से मढ़ा जाएगा. दिसंबर 2024 तक मुख्य शिखर का निर्माण पूरा होने की संभावना है.
महर्षियों को भी मिलेगा स्थान
इसके अलावा मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, गोस्वामी तुलसी दास, अहिल्या, अग्यत्स, निषाद राज, माता शबरी के मंदिर भी बनेंगे. इस मंदिर के निर्माण में ऐसी तकनीक इस्तेमाल की गई है, जिससे यह 1000 साल तक सुरक्षित रहेगा. रामलला की मूर्ति काली शिला से बनी है. यह शिला लगभग ढाई अरब साल पुरानी है. 31 इंच की पांच साल के मुस्कुराते हुए रामलला की मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है.
ऐसे खुला मंदिर निर्माण का रास्ता
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता खुला. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 2.77 एकड़ भूमि रामलाल विराजमान की मानी गई. 5 फरवरी 2020 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा हुई. इसके छह महीने बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को श्रीराम मंदिर की आधारशिला रखी. 22 जनवरी 2024 को मंदिर में रामलाल की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में पीएम मोदी शामिल हुए. इस आयोजन में हजारों अतिविशिष्ट, विशिष्ट अतिथि, साधु संत, आचार्य भी शामिल हुए. इसके अलावा सभी धर्मों के गुरुओं को भी निमंत्रण दिया गया था.