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Ayodhya Ram Mandir: श्री रामलला के आभूषणों में लखनऊ की कारीगरी, मुकुट-कंठहार से उभरी अलौकिक छवि

प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनकी अलौकिक छवि सामने आई है. मुस्कुराते श्री राम प्रभु की मूर्ति को विशेष आभूषणों से सुसज्जित किया गया है. ये विशेष आभूषण बनाए हैं लखनऊ के ज्वेलर्स अंकुर आंनद के संस्थान ने. प्रभात खबर ने उनसे बातचीत की...

अयोध्या: प्रभु श्री रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं. उनकी अलौकिक मूर्ति की आभा देखते ही बन रही है. प्रभु की मूर्ति को विशेष आभूषणों से सुसज्जित किया गया है. ये विशेष आभूषण बनाए हैं लखनऊ के हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड ने. संस्थान के एमडी अंकुर आनंद ने बताया कि ज्वैलरी को मात्र 13-14 दिन में तैयार किया गया है. 132 कारीगरों की टीम ने इसे तैयार किया है. वह स्वयं रामलला के आभूषणों की नाप लेने अयोध्या गए थे. उन्हें प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी शामिल होने का मौका मिला.

अंकुर आनंद ने बताया कि 1 जनवरी को ट्रस्ट की तरफ से यतींद्र मिश्र जी ने संपर्क किया. उन्होंने बताया कि चंपत राय आपसे मिलना चाहते हैं. प्रभु श्री राम के आभूषण बनाने के लिए. इसके बाद वह 2 जनवरी को अयोध्या पहुंच गए. वहां उन्हें बताया गया कि श्री रामलाल के आभूषण बनाना है. जैसे उन्हें ये बताया गया वह भाव विभोर हो गए. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि लाखों ज्वेलर्स को छोड़कर उन्हें प्रभु राम के आभूषण बनाने का सौभाग्य मिला है.

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132 कारीगरों की मेहनत का कमाल

उन्होंने ने बताया कि आभूषण बनाने का आदेश मिलने के बाद उन्होंने श्री रामलला की मूर्ति के अंगों की नाप ली और वापस लखनऊ आ गए. उन्हें बताया गया था कि पांच साल के बालक रूपी रामलला के आभूषण बनना है. साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि वह एक रॉयल फैमिली हैं तो उसकी झलक भी आभूषण में दिखनी चाहिए. ट्रस्ट से मिले निर्देशों के अनुसार 132 श्रेष्ठ कारीगर लगाकर भगवान श्री राम के आभूषणों का निर्माण शुरू कराया गया.

शीश से नख तक 14 आभूषण हैं रामलला के शरीर पर

मात्र 13-14 दिन में श्री रामलला के आभूषणों का निर्माण किया गया है. इन आभूषणों को बनाने में 15 किलोग्राम सोना, 18500 हीरे, 3500 माणिक्य और 600 पन्ना इस्तेमाल हुआ है. प्रभु श्री राम के शीश से नख तक कुल 14 आभूषण बने हैं. इसमें मुकुट से लेकर पैरों की पैजनिया भी शामिल हैं. इसके अलावा सोने का धनुष और तीर भी उन्होंने बनाया है.

प्राण प्रतिष्ठा का अनुभव अविस्मरणीय: अंकुर आनंद

अंकुर आनंद ने बताया कि वह बदायूं के रहने वाले हैं. 130 साल से उनका परिवार आभूषण निर्माण के पेशे में है और अब पांचवी पीढ़ी इस व्यवसाय को संभाल रही है. लखनऊ में दो शोरूम के अलावा बरेली और मुरादाबाद में भी उनके शोरूम हैं. उन्होंने कहा कि प्रभु राम के लिए आभूषण बनाने जैसा आशीर्वाद उनके परिवार को मिला, इससे ज्यादा और कुछ नहीं सोच सकता. अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि इतने बड़े कार्य के लिए हमें चुना गया है. अंकुर आनंद ने बताया कि उन्हें रामलला के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में निमंत्रण मिला था. वह पत्नी कनुप्रिया के साथ अयोध्या गए थे. प्राण प्रतिष्ठा के अलौकिक अनुभव को वो दोनों कभी नहीं भूलेंगे.

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