25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

RamLala: लखनऊ के इस ज्वेलर ने बनाए हैं रामलला के आभूषण, वस्त्रों का किसने किया निर्माण, जानें क्या है खास

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार रामलला के इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा आलवंदारर स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप शोध और अध्ययन के बाद किया गया है.

अयोध्या: मंदिर में विराजे रामलला का अद्भुत अलौकिक रूप सामने आया है. उनके शरीर पर विशेष कपड़े और आभूषण हैं. जिससे उनकी आभा में और निखार आ गया है. रामलला के इस रूप को देखकर भक्त भावविभोर हैं. हर भक्त उन्हें आंखें भरकर निहारना चाहता है. अपने महा प्रासाद में भगवान श्री रामलला जी दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सुसज्जति होकर विराजमान हैं.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार रामलला के इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा आलवंदारर स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप शोध और अध्ययन के बाद किया गया है.

शोध के अनुरूप यतींद्र मिश्र की परिकल्पना और निर्देशन से इन आभूषणों का निर्माण अंकुर आनंद के संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने किया है. ये संस्थान लखनऊ का है. इसके अलावा भगवान बनारसी वस्त्र की पीतांबर धोती और लाल रंग के पटुके/ अंगवस्त्रम में सुशोभित हैं. इन वस्त्रों पर शुद्ध स्वर्ण की ज़री और तारों से काम किया गया है. जिनमें वैष्णव मंगल चिन्ह-शंख, पद्म, चक्र और मयूर अंकित हैं. इन वस्त्रों का निर्माण अयोध्या धाम में रहकर दिल्ली के वस्त्र सज्जाकार मनीष त्रिपाठी ने किया है.

Also Read: Shri Ram Pran Pratishtha: प्राण प्रतिष्ठा के साथ भगवान श्रीराम विराजे गर्भगृह में, मन मोह रही मुस्कान
ये आभूषण किए हैं धारण

  • शीश पर मुकुट-यह उत्तर भारतीय परंपरा के अनुसार सोने से बनाया गया है. इसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है. मुकट के ठीक बीच में भगवान सूर्य अंकित हैं. मुकुट के दायीं ओर मोतियों लड़ियां पिराई गई हैं.

  • कुंडल-मुकुट या किरीट के अनुरूप ही उसी डिजाइन के भगवान के कर्ण आभूषण बनाए गए हैं. जिनमें मयूर आकृतियां बनी हैं. यह भी सोने और माणिक्य, पन्न से सुशोभित हैं.

  • कंठा- गले में अर्द्धचंद्राकार रत्नों से जड़ि कंठा सुशोभित है. जिसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हें. बीच में सूर्य देव बने हैं. सोने बना हुआ यह कंठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा हैं. कंठे के नीचे पन्ना की लड़ियां लगाई गई हैं.

  • भगवान के हृदय में कौस्तुभमिण धारण कराया गया है. जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है. यह शास्त्र विधान है कि भगवान विष्णु और उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैँ. इसलिए इसे धारण कराया गया है.

  • पदिक- कंठ से नीचे और नाभिकमल से ऊपर पहनाया गया ये हार होता है. जिसका देवता अलंकरण में विशेष महत्व है. यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेंडेंट लगाया गया है.

  • वैजयंती या विजयमाल-यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लंबा स्वर्ण निर्मित हार है. इसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाए गए हैं. इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है. जिसमें वैष्णवल परंपरा के सभी मंगल चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख, मंगलकलश दर्शाया गया है. इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है. जो क्रमश: कमल, चंपा, पारिजात, कुंद और तुलसी हैं.

  • कमर में कांची या करधनी-भगवान के कमर में करधनी धारण करायी गयी है. जिसे रत्नजणित बनाया गया है. इसमें सोने पर प्राकृतिक सुषमा का अंकन किया गया है. हीरे, मणिक्य, मोतियों और पन्ना से यह अलंकृत है. पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पांच घंटियां भी इसमें लगायी गई हैं.

  • भुजबंध या अंगद-भगवान की दोनों भुजाओं में सोने और रत्नों से जड़े भुजबंद पहनाए गए हैं.

  • कंकण या कंगन- दोनों हाथों में रत्नजड़ित सुदंर कंगन पहनाए गए हैं.

  • मुद्रिका- बांए और दाएं हाथों की मुद्रिकाओं में रत्नजड़ित मुद्रिकाएं हैं. जिनमें मोतियां लटक रही हैं.

  • पैरों में छड़ा और पैजनियां-रामलाल को पैरों में छड़ा और पैजनियां पहनाए गए हैं. ये भी सोने के बने हैं.

  • धनुष बाण- भगवान के बाएं हाथ में सोने का धनुष है. इसमें मोती, माणिक्य, पन्ने की लटकने लगी हैं. दाहिने हाथ में सोने का बाण धारण कराया गया है.

  • गले में वनमाना-भगवान के गले में रंग बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गई है. जिसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है.

  • भगवान के मस्तक पर पारंपरिक मंगल तिलक को हीरे और माणिक्य से रचा गया है.

  • भगवान के चरणों के नीचे जो कमल है उसे नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गई है.

  • पांच वर्ष के बालक के रूप में रामलला विराजे हैं इसलिए पारंपरिक ढंग से उनके पास खेलने के लिए चांदी से बने खिलौने रखे गए हैं. इसमें झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौना गाड़ी व लट्टू रखा गया है.

  • भगवान के प्रभा मंडल के ऊपर सोने का छत्र लगा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें