लखनऊ. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देवरहा हंस बाबा आश्रम में करीब 20 घंटे का प्रवास कर कई धार्मिक अनुष्ठान किए. वे सोमवार शाम को देवरहा हंस बाबा के सत्संग में शामिल हुए. मंगलवार सुबह अखंड भारत निर्माण का संकल्प लिया. आश्रम में स्थित पवन पुत्र हनुमान को देसी घी से निर्मित 51 मन के लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाया. इसके बाद मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के लिए विंध्यधाम पहुंचे. मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन करने के बाद वे प्रयागराज के लिए रवाना हुए.
मोहन भागवत सोमवार की शाम देवरहा परमहंस आश्रम पहुंच गए थे. वहां उन्होंने सबसे पहले बाबा से मुलाकात की. बाबा ने उनसे कहा कि चीन और पाकिस्तान का सर्वनाश हो जायेगा. पाकिस्तान कंगाल हो गया है. कटोरा लेकर घूम रहा है पर उसे कुछ मिलेगा नहीं . वह खंडहर होने के कगार पर है. बाबा के सत्संग में शामिल होने के बाद आरएसएस प्रमुख अपने कक्ष में चले गए और वहीं प्रसाद पाया. मंगलवार सुबह स्नान-ध्यान के बाद आश्रम स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में 51 मन लड्डू का प्रसाद चढ़ाया और हवन किया. बगल में ब्रह्मऋषि देवरहा बाबा गीता मानस मंदिर में गए. वहां हंस बाबा के द्वारा स्पर्श कर रखे गए गीता और मानस की दो शिलाएं मोहन भागवत के हाथों से मंदिर में लगवाईं.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ब्रह्मऋषि देवरहा बाबा मंच धाम में पूजा पाठ के बाद तीसरी बार अखंड भारत का संकल्प लिया. बाबा ने आरएसएस प्रमुख को प्रसाद दिया. ब्रह्मवेत्ता श्री देवरहा हंस बाबा ट्रस्ट के ट्रस्टी अतुल कुमार सक्सेना ने बताया कि ये प्रसाद पीएम मोदी, विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्री सहित देश के कोने-कोने में भेजा जाएगा. महावीर बजरंगबली और देवरहा हंस बाबा से आशीर्वाद लेने के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन करने पहुंचे. संघ प्रमुख हाथ में पूजन सामग्री लेकर गर्भगृह में पहुंचे. विधि विधान व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां विंध्यवासिनी की पूजा की. फिर मंदिर परिसर में विराजमान समस्त देवी देवताओं की पूजा कर परिक्रमा लगाई. इस दौरान संघ के पदाधिकारियों ने मोहन भागवत को निर्माणाधीन विंध्य कॉरिडोर को दिखाया. इसके बाद वे प्रयागराज के लिए रवाना हो गए.इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था चौकस रही.
देवरहा बाबा के आश्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख का जाना कोई चौंकाने वाली घटना नहीं है. यह आश्रम इंदिरा गांधी सहित देश- दुनिया की दिग्गज हस्तियों की राजनीति में बदलाव ला चुका है. आजादी के बाद से लोकसभा चुनाव के समय नेताओं का बाबाद से आशीर्वाद लेना आम बात रही है. लोकसभा के चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेसी टूट चुके थे. कांग्रेस को ऐसा लग रहा था कि अब पार्टी बचेगी नहीं तभी कांग्रेस के किसी नेता ने इंदिरा गांधी को यूपी के पूर्वांचल में सिद्ध संत देवरहा बाबा के दर्शन करने की की सलाह दी थी. बाबा ने हाथ उठाकर इंदिरा गांधी को आशीष दिया था. इंदिरा गांधी ने हाथ को ही कांग्रेस का सिंबल बना दिया. इसके बाद इंदिरा पूरी दुनिया में एक ताकतवर नेता ही नहीं , कांग्रेस पार्टी का पर्यायवाची भी बन गयीं.