Lucknow News: भारत के मशहूर कारोबारी और सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख सुब्रत रॉय के मंगलवार रात निधन के बाद लोगों के शोक संवेदना प्रकट करने का सिलसिला जारी है. सहारा समूह के प्रबंध कार्यकर्ता और अध्यक्ष सुब्रत रॉय का मुंबई के अस्पताल में कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण निधन हो गया. वह अपने पीछे पत्नी स्वप्ना राय और दो बेटों सुशांतो और सीमांतो को छोड़ गए हैं. तीनो कई साल से विदेश में हैं. बताया जा रहा है कि बुधवार को उनका पार्थिव शरीर लखनऊ लाया जाएगा, जहां उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी. इस मौके पर कई बड़े नेताओं, कारोबारियों, खिलाड़ियों और चर्चित हस्तियों के पहुंचने की संभावना है. सुब्रत राय को लोग यूपी का शोमैन भी कहते हैं. दरअसल उन्होंने लखनऊ जैसे शहर में सियासी रहनुमाओं से लेकर स्टारडम तक को आने को आने को मजबूर कर दिया था. लोग इसे बहुत बड़ा मौका समझते थे. सुब्रत राय ने कभी सियासत में आने की रुचि नहीं दर्शाई. लेकिन, करीबन हर बड़े राजनेता को अपनी चौखट तक आने को मजबूर कर दिया. सहारा समूह से जुड़े आम निवेशक, कायकर्ता और कई लोगों की नजर में सुब्रत रॉय एक करिश्माई व्यक्ति थे, जिन्होंने अननिगत लोगों की जिंदगी बदल दी. वे भारतीय उद्योग जगत के पहले सुपर स्टार थे, जिनका जीने का अंदाज और भव्य आयोजन में बड़ी बड़ी हस्तियों की मौजूदगी उन्हें सबसे जुदा करती थी. एक दौर था, जब उनकी शोहरत बुलंदियों पर थी. बड़े बड़े नेता उनके आगे पीछे लाइन लगाकर खड़े रहते थे. बॉलीवुड के सुपर स्टार उनके घर सामान्य लोगों की तरह नजर आते थे. उद्योग जगत के कई बड़े लोग सुब्रत रॉय के आगे नतमस्तक नजर आते थे. लोगों को उन्हें सहारा प्रणाम करके बेहद गौरव की अनुभूति होती थी.
उत्तर प्रदेश की शख्सियत सुब्रत रॉय ने जिस पर भी हाथ रख दिया वो दौलत, शोहरत और ताकत की बुलंदी पर होता था. चिट फंड से लेकर एयरलाइंस तक के कारोबार के कारण वह हमेशा सुर्खियों में रहे. उनके बेटों की शादी में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री, कई केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल और पूरा उद्योग जगत रॉय के बुलावे पर आया. सुब्रत रॉय के वहां आयोजन पर क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी, फिल्मी सितारों को घर के सदस्य की तरह मेहमानों को खाना परोसते लोगों ने देखा. तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि अपने लोगों के बीच सहाराश्री के नाम से मशहूर सुब्रत रॉय बुरे दिनों में इतनी खामोशी से चले जाएंगे. वक्त ने ऐसी करवट ली कि उनके आर्थिक साम्राज्य पर ग्रहण लगता चला गया.
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सेबी के एक्शन के बाद सुब्रत राय और उनसे जुड़े लोगों ने अर्श से फर्श का दौर देखा. वह तमाम आलोचनाओं का शिकार हुए. यहां तक की जेल जाना पड़ा, जो लोग सुब्रत राय के आगे पीछे नजर आने में खुद को खुशनसीब समझते थे, उन्होंने भी पीठ दिखा दी. सुब्रत रॉय का साथ उन सबने छोड़ दिया जिन पर उन्हें बहुत भरोसा था. वो घिरते गए, काफी मशक्कत के बाद जेल से निकले. लेकिन, समय नहीं बदला. किसी ने उनका साथ नहीं दिया. वर्तमान में भी सेबी के पास सहारा का 25 हजार करोड़ रुपए है. सहारा में निवेश करने वालों की रकम लौटाने के लिए पोर्टल भी शुरू किया गया है.
सहारा की ओर से हमेशा दावा किया जाता रहा है कि उनके साथ गलत किया जा रहा है. सुब्रत रॉय ने भी इसके खिलाफ खड़े होने के कई बार बयान दिए. लेकिन, सहारा को फिर से बुलंदी पर पहुंचाने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका और वह वो जितने बड़े शो मैन थे, उतनी ही खामोशी से चले गए. वहीं अब लोगों की नजर इस बात पर टिकी है कि सहाराश्री के जाने के बाद इतने बड़े समूह का क्या होगा, क्या ये ग्रुप पतन की गहराइयों में चला जाएगा या एक बार फिर उठ सकेगा.
ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुब्रत रॉय की पत्नी स्वप्ना रॉय और बेटे सुशांतो रॉय काफी समय पहले भारत की नागरिकता को छोड़कर बॉल्कन देश मैसेडोनिया की नागरिकता ले चुके हैं. उन्होंने यह नागरिकता भारतीय कानून से बचने के लिए ली थी. सुब्रत रॉय के खिलाफ निवेशकों का धन न लौटाने को लेकर कई मामले चल रहे थे. ऐसे में उनके परिवार के सदस्यों ने दूसरे देश की नागरिकता लेकर खुद को भारतीय कानून से दूर करने की कोशिश की थी.
मैसेडोनिया दक्षिण पूर्वी यूरोप में स्थित देश है. ये देश निवेश के लिए लोगों को नागरिकता प्रदान करता है. रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी नागरिक जो मैसेडोनिया की नागरिकता लेना चाहता है, उसे बस 4 लाख यूरो के निवेश करने की घोषणा करनी होती है और 10 स्थानीय लोगों को नौकरी देनी होती है ऐसा करने से उसे मैसेडोनिया की नागरिकता आसानी से मिल सकती है. इसके अलावा जो विदेशी मैसेडोनिया के रियल एस्टेट में 40 हजार यूरो से अधिक का निवेश करता है, उसे एक साल तक रहने का अधिकार मिल जाता है.
मैसेडोनिया ऐसा अपने देश में बेरोजगारी की दर को कम करने के लिए कर रहा है. मैसेडोनिया में बरोजगारों का संख्या काफी अधिक है. रिपोर्ट्स से अनुसार, सुब्रत रॉय सहारा के मैसेडोनिया के साथ काफी अच्छे रिश्ते थे. वह कई बार मैसेडोनिया के राजकीय अतिथि भी रह चुके थे. मैसेडोनिया पहले युगोस्लाविया का हिस्सा था. बाद में वह 1991 में आजाद हो गया और 1993 में संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना.