लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए आयुक्त नियुक्त करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह के सर्वेक्षण पर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका पर हिंदू संगठन ‘भगवान श्रीकृष्ण विराजमान’ और अन्य से जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी. हालांकि कोर्ट को सुनवाई जारी रखने के लिए कहा गया है.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगायी है. मस्जिद कमेटी के वकील तसनीम अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जब पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत मथुरा मामले की याचिका खारिज करने का मामला लंबित है, तो ऐसे में हाईकोर्ट सर्वे का आदेश नहीं दे सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को सही मानते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है. गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में एक एडवोकेट कमिश्नर तैनात करने के लिए कहा था. कमिश्नर को मस्जिद के सर्वे की जिम्मेदारी दी गई थी.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह परिसर में एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग की अर्जी स्वीकार की थी. कमिश्नर की नियुक्ति औश्र सर्वे के तरीके की शर्तों पर 18 दिसंबर को सुनवाई हुई थी. इस सुनवाई को लेकर कटरा केशवदेव यानी भगवान श्रीकृष्ण का बालरूप को भी प्रतीकात्मक तौर पर इलाहाबाद हाई कोर्ट लाया गया था. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
हिंदू पक्ष का कहना है कि कटरा केशवदेव की 13.37 एकड़ भूमि श्रीकृष्ण विराजमान की है. इसे लेकर 12 अक्तूबर 1968 को हुआ समझौता अवैध है. हिंदू पक्ष ने इस समझौते को रद्द करने की मांग की थी. उनका कहना है कि कटरा केशवदेव के मालिकाना हक को लेकर लंबे समय से अदालती विवाद चल रहा है. इसको लेकर पूर्व में हिंदुओं के पक्ष में निर्णय दिया जा चुका है.
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