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एनटीपीसी में सीवर के पानी से बनेगी बिजली, 200 करोड़ की लागत से जल निगम लगाएगा प्लांट, इस काम में होगा इस्तेमाल

रायबरेली के ऊंचाहार में मौजूद एनटीपीसी को 2016 के एक शासनादेश के चलते पानी को लेना जरूरी है. इस पानी की आपूर्ति के लिए जल निगम और एनटीपीसी के बीच लगातार बातचीत चल रही है. जल निगम फिलहाल एनटीपीसी की सहमति का इंतजार कर रहा है, जिससे आगे की प्रक्रिया पर काम किया जा सके.

Lucknow: उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद में जल निगम के एसटीपी से निकलने वाले पानी का अब अहम काम में इस्तेमाल किया जाएगा. इस पानी से एनटीपीसी में बिजली बनाई जाएगी, जो लोगों के काम आ सकेगी. प्रदेश में बिजली की लगातार बढ़ती मांग के मद्देनजर इस फैसले को अहम माना जा रहा है.

जल निगम इस पहल के तहत रायबरेली में 200 करोड़ की लागत से टर्सरी ट्रीटमेंट वाटर प्लांट लगाने की व्यवस्था करने में जुट गया है. एनटीपीसी में लगाए जा रहे चौथे प्लांट से बिजली उत्पादन के लिए पानी की आपूर्ति जल निगम अपने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से करेगा. टर्सरी ट्रीटमेंट वाटर प्लांट में मानकों के मुताबिक बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा को कम किया जाता है. पानी को एसटीपी प्लांट में कई बार ट्रीट किया जाता है, जिससे इस पानी की गुणवत्ता और बेहतर होती है.

बताया जा रहा है कि एनटीपीसी को बिजली के उत्पादन के लिए लगभग 34 एमएलडी पानी की जरूरत पड़ेगी. अभी जल निगम ने जो एसटीपी लगाया है उसकी क्षमता 18 एमएलडी पानी को साफ करने की है. एनटीपीसी को पानी की आपूर्ति के लिए जल निगम को एक और 15 एमएलडी की क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की जरूरत पड़ेगी.

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इस तरह एक और एसटीपी को लगाने के लिए जल निगम को करीब 50 करोड़ रुपए की दरकार है. एसटीपी को लगाने के लिए जल निगम शासन स्तर पर पत्राचार कर रहा है. बताया जा रहा है कि वर्ष 2016 में ऊर्जा विभाग ने एक शासनादेश जारी करते हुए कहा था कि अगर किसी भी एनटीपीसी के 50 किलोमीटर के दायरे में कोई एसटीपी मौजूद है, तो एसटीपी के पानी को एनटीपीसी को इस्तेमाल करना जरूरी होगा.

ऐसे में रायबरेली के ऊंचाहार में मौजूद एनटीपीसी को इस शासनादेश के चलते पानी को लेना आवश्यक बताया जा रहा है. इस पानी की आपूर्ति के लिए जल निगम और एनटीपीसी के बीच लगातार बातचीत चल रही है. जल निगम फिलहाल एनटीपीसी की सहमति का इंतजार कर रहा है, जिससे आगे की प्रक्रिया पर काम किया जा सके.

एनटीपीसी को पानी साफ और शोधित करके देने के बाद जो पानी निकलेगा, उसका अहम कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकेगा. अब तक रायबरेली शहर में फेज- 1 और फेज- 2 को मिलाकर 30 किलोमीटर तक सीवर लाइन बिछाई जा चुकी है. वहीं अमृत योजना में 178 किलोमीटर सीवर लाइन को डालने का काम तेजी से किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इसमें से लगभग 65 किलोमीटर की लंबाई में सीवर लाइन डालने का काम कराया जा चुका है.

बताया जा रहा है कि एसटीपी से साफ किए गए पानी को रायबरेली शहर की सड़कों की साफ सफाई में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसके लिए जल निगम ने रेलवे से पत्राचार किया है. इसके साथ ही एनटीपीसी को शोधित जल देने के लिए एक ओवरहेड टैंक का निर्माण भी मुंशीगंज में कराया जाएगा.

टर्शरी वॉटर का कनेक्शन लेकर लोग पानी का इस्तेमाल अपने बगीचों में कर सकते हैं. इससे गाड़ियां भी धो सकते हैं. साफ-सफाई करने में भी इस पानी का इस्तेमाल होता है. टर्शरी वॉटर का इस्तेमाल इन कामों में करने से ड्रिंकिंग वॉटर की बबार्दी रुकती है. इसके साथ ही टर्शरी वॉटर का इस्तेमाल ग्रीन बेल्ट पार्क और बड़े गार्डन आदि में पानी देने के लिए भी किया जाता है. इसके अलावा कई इंडस्ट्री में बेहतर बीओडी का पानी चाहिए होता है, वहां इसका प्रयोग किया जाता है.

एनटीपीसी के साथ ओबरा डी परियोजना पर जल्द काम होगा शुरू

इसके साथ ही प्रदेश में सोनभद्र के ओबरा में 18 हजार करोड़ की लागत से 800-800 मेगावाट की 2 तापीय परियोजनाओं ‘ओबरा डी’ को मंजूरी मिलने के बाद इसे लेकर काम जल्द शुरू होगा. इन परियोजनाओं को एनटीपीसी के साथ 50-50 प्रतिशत हिस्सेदारी में पूर्ण किया जाएगा.

इस परियोजना में 30 प्रतिशत की इक्विटी दी जाएगी. जबकि 70 प्रतिशत राशि का प्रबंध वित्तीय संस्थानों से किया जाएगा. खास बात ये होगी कि यह राज्य की पहली अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट होगी. ऐसा प्लांट अब तक प्रदेश में नहीं बना है. इस तरह के प्लांट की टेक्नोलॉजी एडवांस होती है. इनकी एफिशिएंसी काफी ज्यादा होती है और कोयले की खपत भी काफी कम होती है. इसके चलते कॉस्ट में भी कमी आती है.

यह प्लांट लगभग 500 एकड़ की जमीन पर बनेगा और यदि आगे और जमीन की जरूरत होगी तो उसकी भी व्यवस्था कर ली जाएगी. पहली यूनिट के 50 महीने में और दूसरी यूनिट के 56 महीने में तैयार होने का लक्ष्य है.

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