UP Assembly Monsoon Session 2023: यूपी विधानसभा में गुरुवार को विपक्ष ने उपाध्यक्ष पद काफी समय से रिक्त होने का मुद्दा उठाया. सपा के सदस्य ओमप्रकाश सिंह ने नियमों का हवाला देते हुए इस पद पर 30 दिनों के भीतर किसी सदस्य को जिम्मेदारी सौंपे जाने की बात कही. इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हंसी का माहौल देखने को मिला. हालांकि बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने इसे नियम 300 के अन्तर्गत नहीं माना.
इसकी शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने हंसी के माहौल में कहा कि क्या आप अध्यक्ष से संतुष्ट नहीं है, कि उपाध्यक्ष चाहिए. इस पर ओमप्रकाश सिंह ने चुटीले अंदाज में कहा कि हम सिर्फ आपको आराम देना चाहते हैं. आपसे हम बेहद संतुष्ट हैं, इतना आपके घरवाले संतुष्ट नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि अध्यक्ष जी मेरा कहने का जो मकसद है, हमारे अंदर की जो आत्मा है, जो हम चाह रहे हैं उसको आप समझ नहीं रहे हैं.
उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के सामने की जगह खाली है. नियम के तहत इसके लिए 30 दिनों के भीतर किसी सदस्य को जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सदन की नियमावली बनाने वालों ने सोच समझकर इसे बनाया गया. फिर आपकी उम्र अधिक है, हम आपको ज्यादा परेशान नहीं करना चाहते हैं.
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ओमप्रकाश सिंह ने हंसते हुए कहा कि आप ये मत कहिएगा कि आपकी उम्र अधिक नहीं है. यह इस पर कोई विवाद नहीं होगा. हम लोग समकक्ष हैं. इसमें सरकार से कोई मतलब नहीं है. आप मुस्कुरा देंगे तो कोई भी उपाध्यक्ष हो जाएगा. जो जगह खाली है, वह भर जाएगी. उन्होंने कहा हम लोग आपकी स्थिति को देखते हुए, आपकी पीड़ा, दर्द और वेदना को देखते हुए जो उपाध्यक्ष की रिक्त सीट सीट है, वह भरना चाहते हैं.
ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि इसलिए वह इस संबंध में प्रस्ताव लाए हैं कि अध्यक्ष की ओर से कोई व्यवस्था हो जाए. उन्होंने कहा कि हम आपसे नाराज तो हो ही नहीं सकते, कोई और भले ही हो जाए. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि वह आठ बार चुनकर आ गए हैं. उन्होंने अध्यक्ष से कहा कि यह आपकी पीठ से होना है. इसलिए मैंने कहा आप सच में बहुत अच्छे हैं दिल से अच्छे हैं, तबीयत से अच्छे हैं, चेहरे और व्यवहार से अच्छे हैं. चश्मा लगाते हैं तब भी अच्छे हैं.
उन्होंने कहा कि यह मामला सरकार के पाले में नहीं है. यह गेंद आपके पाले में है. यदि आप कर देंगे तो अच्छा होगा. इस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में मौजूद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद से क्षमा चाहते हुए कहा कि चार अध्यक्षों के बराबर तो आप काम कर चुके हैं, ऐसे में उपाध्यक्ष की आवश्यकता क्या है.
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि नेता विरोधी दल अखिलेश यादव कह रहे थे कि वर्तमान अध्यक्ष से और अधिक काम लिया जाना चाहिए. इस दौरान नेता विरोधी दल अखिलेश यादव की टिप्पणी पर अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि इससे ऊपर कौन सी सीढ़ी होती है. इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि आपके लिए यह आखिरी सीढ़ी नहीं है. उन्होंने कहा आपके लिए इसके ऊपर भी सीढ़ियां हैं. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने धन्यवाद जताया.
अखिलेश यादव ने संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना की ओर देखते हुए कहा कि ये आपके शुभचिंतक नहीं हैं. इस पर अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि बिलकुल हैं, उन्हीं की उंगली पकड़कर मैं यहां तक पहुंचा हूं.इसके बाद प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया.
समाजवादी पार्टी के विधायक सुरेश यादव की ओर से लगाए गए पक्षपात के आरोप से खिन्न विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बृहस्पतिवार को विधानसभा की कार्यवाही 20 मिनट के लिए स्थगित की. सदन की कार्यवाही पुनः शुरू होने पर महाना ने कहा कि उन्होंने सदैव सदन के सदस्यों और सदन की गरिमा को बढ़ाने का प्रयास किया है. सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष को सदैव समान और सम्मान दिया है.
दरअसल विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सपा विधायक सुरेश यादव ने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में आरोप लगाया कि विपक्ष के लोगों को मौका नहीं दिया जाता है. इससे खफा महाना ने कहा कि यह आरोप लगाना ठीक नहीं है. यदि इस तरह के आरोप लगाएं तो मैं सदन छोड़कर जा रहा हूं. उन्होंने पहले झांसी विधायक रवि शर्मा को अधिष्ठाता के रूप में पीठ पर बैठने के लिए आमंत्रित किया. फिर 12.10 बजे सदन की कार्यवाही को 20 मिनट के लिए स्थगित करने की घोषणा कर अपने कक्ष में चले गए। सपा विधायक अवधेश प्रसाद, लालजी वर्मा, रागिनी सोनकर सहित विधायकों ने महाना को रोकने का प्रयास किया. नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव, सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने महाना के कक्ष में जाकर उनसे मुलाकात की.
सदन की कार्यवाही पुनः शुरू होने पर महाना ने कहा कि बीते सवा साल में उन्होंने सदन गरिमा को बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष के सदस्य पहले की व्यवस्था भी याद है. पहले सदन के सदस्यों को लेकर क्या धारणा थी. सपा विधायक अवधेश प्रसाद ने कहा कि महाना ने सदन की गरिमा को बढ़ाया है. उनका जितना सम्मान है उतना सरकार का भी नहीं हैं. महाना के नेतृत्व में सदन ने नवाचार का इतिहास भी रचा है. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि विपक्ष के सदस्य आपसे इतने संतुष्ट हैं जितने आपके घरवाले भी नहीं होंगे. संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सदन के सदस्यों को अपनी बात और व्यवहार पर संयम होना चाहिए.
प्रदेश में बाढ़, सूखा के हालात और बिजली की किल्लत को लेकर बृहस्पतिवार को भी विधानसभा में चर्चा जारी रही. विपक्ष के 12 से ज्यादा विधायकों ने अपने-अपने इलाके की समस्याओं को उठाते हुए राज्य सरकार को घेरा, इसके जवाब में मंत्रियों ने आरोपों को खारिज करते हुए तमाम आंकड़े पेश किए. अब शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव और नेता सदन योगी आदित्यनाथ सदन में चर्चा में भाग लेंगे.
विधानसभा में विधायक सुरेंद्र मैथानी, वीरेंद्र यादव, संजय निषाद, उमर अली, सुरेश पासी, दुर्गा प्रसाद यादव, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, समर पाल सिंह आदि ने अपने इलाके की समस्याओं से सदन को अवगत कराया. कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि बाढ़ के दौरान बंधे पर बसने वालों को व्यवस्थित किया जाए ताकि अधिकारी दौरा करने के वक्त उनको परेशान न करें. उन्होंने सूखाग्रस्त क्षेत्रों में नदियों को जोड़ने की योजना पर काम करने की मांग की. वहीं राज्य सरकार की ओर से सिंचाई मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि प्रदेश की समस्त नहरों की टेल तक पानी पहुंचाया जा रहा है.
सपा सरकार में केवल आठ सिंचाई परियोजनाओं पर काम हुआ, जबकि बीते छह वर्षों में 85 परियोजनाओं को धरातल पर उतारा गया है. इससे 23 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि और 46.88 लाख से अधिक किसान लाभांवित हुए हैं. पहले 29 हजार किमी नहरों की सफाई होती थी, आज 75 हजार किमी से अधिक नहरें साफ हो रही हैं. बीते छह वर्षों में 982 तटबंध बनाए गए.
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि पहले बिगड़ा हुआ माहौल था, अब किसानों के लिए संवेदनशील सरकार है. प्रदेश में सारे तटबंध सुरक्षित हैं, कहीं चिंताजनक स्थिति नहीं है. जहां किसानों की फसल खराब हुई है, उसकी सरकार भरपाई करेगी. बाढ़ से हुए नुकसान की वजह से राज्य सरकार किसानों को मुफ्त बीज देगी.
समाजवादी पार्टी ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान गुरुवार को धान, गेहूं, ज्वार सहित अन्य फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का मुद्दा उठाया. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के जवाब से असंतुष्ट सपा के विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया.
विधानसभा में सपा विधायक जियाऊर्रहमान, पंकज पटेल, मनोज कुमार पांडेय, अभय सिंह, पल्लवी पटेल और देवेंद्र प्रताप सिंह ने कृपि उपज बढ़ाने और आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार की योजना पर सवाल किया. सपा विधायकों ने आरोप लगाया कि 2017 से सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रही है. लेकिन, हालत यह है कि किसानों को उनकी लागत भी नहीं मिल रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों का शोषण कर रही है और उनकी समस्या के प्रति गंभीर नहीं हैं. उन्होंने कीटनाशकों पर जीएसटी समाप्त करने, फसल लागत की तुलना में एमएसपी दोगुना करने और सांडों से फसलों को रहे नुकसान मुद्दा भी उठाया.
कृषि मंत्री ने कृषि उपज बढ़ाने और किसानों की आमदनी दोगुना करने के लिए संचालित योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में गौ आधारित प्राकृतिक खेती की योजना, प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलंबन योजना, नेशनल प्रोजेक्ट ऑन स्वायल हेल्थ एंड फर्टिलिटी, प्रमाणित बीजों के तिवरण पर अनुदान की योजना, संकर बीजों के उपयोग को बढ़ावा देने की योजना सहित अन्य योजना संचालित हैं.
कृषि मंत्री ने कहा कि जीएसटी समाप्त करने राज्य का विषय नहीं हैं. जीएसटी काउंसिल के स्तर से ही तय होता है. उन्होंने कहा कि 2014-15 में सपा सरकार के समय धान की एमएसपी 1360 रुपये क्विंटल थी, उसे बढ़ाकर 1983 रुपए किया है. ज्वार की एमएसपी को 1530 से बढ़ाकर 2180 रुपये, बाजरा की एमएसपी 1250 से बढ़ाकर 2500 रुपये और गेहूं की एमएसपी को बढ़ाकर 2010 रुपए किया है. उन्होंने कहा कि सरसों, चना, उड़द और मक्का की खरीद भी एमएसपी पर शुरू हुई है. कृषि मंत्री के जवाब से असंतुष्ट सपा विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया.
विधानसभा में गुरुवार को चार विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गए. इनमें उप्र दंड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उमशमन) (संशोधन) विधेयक 2023, उप्र माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2023, उप्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रयागराज (संशोधन) विधेयक 2023 और उप्र निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) विधेयक 2023 शामिल है.
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि उप्र दंड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) संशोधन विधेयक 2023 के तहत प्रदेश में 31 दिसंबर 2021 तक सीआरपीसी की धारा 107 और 109 के तहत दर्ज हुए ऐसे वाद, जो शमन शुल्क भरकर अथवा स्वत: समाप्त होने वाले हैं, उन्हें खत्म कर दिया जाएगा. दरअसल पुराने प्रकरणों में अभियुक्त बार-बार समन भेजने पर उपस्थित नहीं होते हैं. ऐसी स्थिति में लंबित वादों की संख्या बढ़ती जाती है. वहीं, उप्र माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक लागू होने से छोटे कारोबारियों को ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स के जरिए व्यापार करने में सुविधा होगी.
दरअसल, अभी तक कम टर्नओवर वाले व्यापारियों का पंजीकरण नहीं हो पाता था. इसी वजह से जीएसटी के तहत इसकी बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है. इसके अलावा उप्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रयागराज (संशोधन) विधेयक 2023 लागू होने से देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम से विधि विश्वविद्यालय की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है. इसकी शुरुआत 60 विद्यार्थियों से होगी. इसमें नियुक्तियों की प्रक्रिया भी जारी है. कानून की पढ़ाई की दृष्टि से यह विश्वविद्यालय बेहद उपयोगी साबित होगा. विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने उप्र निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) विधेयक 2023 को सदन में पेश किया. उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ेगा और सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.