लखनऊ: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को विधानसभा में बजट 2024-25 पर चर्चा में हिस्सा लिया. उन्होंने अपने संबोधन में यूपी सरकार के सबसे बड़े बजट की बड़ी बातों की जानकारी दी. साथ ही रहीम और तुलसीदास के दोहों के माध्यम से नेता विरोधी दल पर तगड़े हमले किए. उन्होंने 2016-17 के मुकाबले 2024-25 के बजट की तुलना की. जय श्री राम के नारों के बीच चौधरी चरण सिंह सहित देश की तमाम विभूतियों को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर हर्ष भी जताया और बजट चर्चा में हिस्सा लेने वाले सभी 93 सदस्यों का अभिवादन भी किया.
सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में निवेश का जो बेहतर माहौल बना है, उसी का परिणाम है कि 19 फरवरी को हम प्रदेश में 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश का कार्यक्रम ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के माध्यम से करने जा रहे हैं. यह दिखाता है कि यहां का युवा प्रतिभा से लैस था, उसकी आकांक्षा भी थी, लेकिन कुछ करने की जिजीविषा प्रदेश की लीडरशिप में नहीं थी. सोच नहीं थी, विजन नहीं था, कर्महीनता की स्थिति थी, नीतिगत जड़ता थी. आज हम उत्तर प्रदेश को रेवेन्यू सरप्लस स्टेट बनाने में सफल रहे हैं.
Also Read: यूपी में सुशासन अचानक नहीं आया, करने पड़े कई बड़े रिफॉर्म- योगी आदित्यनाथ
-
मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव पर कआक्ष करते हुए कहा कि जब ये सत्ता में थे, तब इनकी अपनी प्राथमिकताएं थीं. तुलसी दास जी ने कहा है, ‘सकल पदारथ ऐही जग माहीं, करमहीन नर पावत नाहीं…इन्हीं के लिए कहा है. इसी कर्महीनता और अकर्मण्यता के लिए कहा है.
-
सीएम योगी ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि लगा था कि बजट भाषण में जब किसानों की बात आएगी तो नेता विरोधी दल अवश्य चौधरी साहब का स्मरण करेंगे, लेकिन ‘बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय, रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होए.’
-
मुख्यमंत्री ने तुलसीदास के दोहे का जिक्र करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम भरत जी से कहते हैं कि ‘बरसत हरषत लोग सब करषत लखै न कोई, तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होई.’ उन्होंने बताया कि जैसे सूर्य, समुद्र, नदी, तालाब से पानी लेता है, लेकिन किसी को पता नहीं चलता. परंतु जब वह बादल के रूप में बरसते हैं तो सबको पता चलता है. यही स्थिति इस लोककल्याणकारी और लोकमंगल बजट की भी है.
-
आज उत्तर प्रदेश बीमारू नहीं, रेवेन्यू सर प्लस स्टेट है. यह 7 वर्ष में बिना कोई टैक्स लगाए हुए हुआ है. मंडी शुल्क को आधा किया गया है. प्रदेश में डीजल पेट्रोल की दर देश में सबसे कम है. इसके पीछे रामराज्य की ही अवधारणा है. नेता विरोधी दल को इन सारी चीजों से चिढ़ थी.
-
सीएम योगी ने कहा कि 2017 में जब हमने अपना पहला बजट सदन में प्रस्तुत किया था, उस समय भी हमने कहा था कि हम यह बजट मर्यादा पुरुषोत्म प्रभु श्रीराम को साक्षी मानकर प्रस्तुत कर रहे हैं. ये हमारा सौभाग्य है कि हमारी सरकार ने जब अपना आठवां बजट प्रस्तुत किया है तो अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य और दिव्य मंदिर बनकर के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी बड़ी धूमधान के साथ संपन्न हो चुका है.
-
बजट में अंत्योदय से एक विकसित अर्थव्यवस्था तक, इंफ्रास्ट्रक्चर से ईज आफ लिविंग तक, ईज आफ डूइंग बिजनेस से इनवेस्टमेंट के ड्रीम डेस्टिनेशन तक, कृषि और किसान से लेकर के गरीब कल्याण तक, आस्था से लेकर अर्थव्यवस्था तक, शिक्षा और स्वास्थ्य से स्वावलंबन की ओर, संस्कृति से समृद्धि की ओर और महिला सशक्तिकरण के संकल्प को समावेशित किया गया है.
Also Read: यूपी में लिफ्ट एंड एस्केलेटर बिल पास, कराना होगा रजिस्ट्रेशन, हादसे की देनी होगी तुरंत सूचना
-
2012-13 की तुलना में देखेंगे तो यह तीन गुना से अधिक है और 2016-17 की तुलना में दोगुना बजट है. गत वर्ष की तुलना में 7 प्रतिशत वृद्धि के साथ इसे प्रस्तुत किया गया है.
-
2016-17 की तुलना में देखेंगे तो पिछले 7 वषों के दौरान, 3 वर्ष कोरोना जैसी महामारी का सामना करने के बावजूद हमारी सरकार जीडीपी को दोगुना करने में सफल रही है. 2017 तक उत्तर प्रदेश की कुल जीडीपी 12 और 13 लाख करोड़ के बीच में थी. मात्र 7 वर्ष में उससे दोगुना करने में सफलता प्राप्त की.
-
उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय को दुगुना करने में सफलता प्राप्त की. आज जब हम 2024-25 के बजट में चर्चा कर रहे हैं तब उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था दूसरे नंबर पर पहुंच चुकी है. उत्तर प्रदेश भारत की अर्थव्यवस्था में 9.2 फीसदी का योगदान कर रहा है. अगले वर्ष इसे 10 प्रतिशत तक बढ़ाएं और 5 वर्ष में कम से कम अपनी आबादी के बराबर योगदान कर सकें.
-
हम कर चोरी को नियंत्रित करने में सफल रहे, राजस्व की लीकेज को रोका और प्रदेश के सीडी रेशियो को हमने कम किया. 2017 के पहले अगर प्रदेश में 100 रुपया जमा होता तो मात्र 44 रुपया ही व्यापारी,उद्यमी और युवकों को अपने रोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए मिल पाता था.
-
डिजिटल लेन-देन में प्रदेश आज नंबर वन है. इस साल यह संख्या बढ़कर 1174 करोड़ 32 लाख हो गई है. यानी आधे से अधिक लेनदेन यूपीआई के माध्यम से हो रहा है.
-
डिजिटल बैंकिंग की आसान पहुंच गांवों में इंटरनेट और वित्तीय जागरूकता के माध्यम से हो चुकी है. डीबीटी के माध्यम से आज 11 विभाग 70 हजार करोड़ रुपए प्रदेश की गरीब जनता तक पहुंचाने में सफलता प्राप्त हुई है.
Also Read: यूपीसीडा 84 इंडस्ट्रीयल प्लॉट्स की ई-नीलामी कराएगा, 14 फरवरी है आवेदन की अंतिम तिथि
-
प्रदेश में बैंकिंग व्यवसाय जो 2017 में 12 से 13 लाख करोड़ के आसपास था, आज लगभग 26 लाख करोड़ हो चुका है. प्रदेश में 19705 बैंक की शाखाएं हैं, लेकिन 2 लाख 28 हजार से ज्यादा बैंकिंग करेस्पांडेंट सखी प्रदेश के अंदर गांव और कस्बे में बेहतर सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं.
-
आरबीआई के बुलेटिन भी इस बात को प्रदर्शित करते हैं कि बैंक और वित्तीय संस्थाओं से प्रोजेक्ट फाइनेंशिंग के लिए फंड आकर्षित करने में 16 फीसदी से अधिक इनवेस्टमेंट की हिस्सेदारी है, वह उत्तर प्रदेश से है जो देश के अंदर शीर्ष स्थान पर है.
-
प्रधानमंत्री जनधन योजना में उत्तर प्रदेश 9 करोड़ खातों के साथ नंबर एक पर है. इनमें से आधे खाते महिलाओं के हैं.
-
पीएम स्वनिधि योजना में 17 लाख से अधिक रेहड़ी पटरी व्यवसायी लाभान्वित हो रहे हैं, जो देश में नंबर एक पर है.
-
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में 5 करोड़ 55 लाख लाभार्थियों के साथ उत्तर प्रदेश नंबर एक पर है.
-
आईटीआर फाइल करने में उत्तर प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है. जून 2014 में 1.65 लाख आयकर रिटर्न उत्तर प्रदेश में फाइल होते थे, जो जून 2023 में बढ़कर लगभग 12 लाख हुए हैं. यह दिखाता है प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है.
-
प्रदेश को 2022-23 की तुलना में राष्ट्रीय फलक पर देखेंगे तो राष्टीय आर्थिक विकास की दर 7.2 रही, जबकि प्रदेश की 14.3 प्रतिशत की विकास दर रही है.
-
प्रदेश के अंदर बेरोजगारी दर 2017 से पहले 19 फीसदी से अधिक थी. जो आज 2.4 प्रतिशत है. यह दिखाता है कि यहां रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं.
Also Read: मिर्जापुर में स्कूल में जर्मन शेफर्ड डॉग ने छात्रा पर किया हमला, प्रबंधक पर एफआईआर