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यूपी में उद्यमियों, अस्पतालों, होटल मालिकों पर एफआईआर से पहले इस बात की पड़ताल करेगी पुलिस, जानें पूरा मामला

डीजीपी मुख्यालय के इन निर्देशों के बाद दावा किया जा रहा है कि इससे निवेशकों के लिए प्रतिकूल वातावरण होने से बचा जा सकेगा. साथ ही उत्तर प्रदेश को पहले से अधिक निवेश प्राप्त हो सकेगा. इन निर्देशों का उद्देश्य यह बिलकुल नहीं है कि संज्ञेय अपराध होने के हर मामले में जांच कराई जाएगी.

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में अब सिविल प्रवृत्ति के मामलों में किसी खास मंशा के तहत एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश करने वाले लोग सफल नहीं हो पाएंगे. डीजीपी मुख्यालय ने अहम निर्देश जारी किए हैं, जिसके बाद उद्यमियों, व्यापारी, शैक्षिक संस्थाओं, अस्पतालों, भवन निर्माताओं, होटल एवं रेस्टोरेंट मालिकों और प्रबंधन स्तर के कर्मचारियों को बेवजह निशाना नहीं बनाया जा सकेगा.

इनका उत्पीड़न रोकने के लिए ये पहल की गई है. इस संबंध में यूपी डीजीपी मुख्यालय जारी निर्देशों में कहा गया है कि ऐसे प्रकरण जो सिविल प्रवृत्ति के हैं और व्यवसायिक विवाद, आकस्मिक दुर्घटनाओं से संबंधित हैं, उनमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जाएगी. इसके आधार पर ही मुकदमा दर्ज होगा.

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में अहम फैसला

स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था एवं अपराध प्रशांत कुमार ने बताया कि शासन ने उत्तर प्रदेश के विकास कार्यों को गति देने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में अहम निर्णय किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न नहीं हो, इसके लिए सभी महत्वपूर्ण संस्थानों, प्रतिष्ठानों जैसे चिकित्सा, शिक्षा, विनिर्माण आदि में आकस्मिक दुर्घटना होने पर एफआईआर दर्ज करने से पहले इस बात की पड़ताल की जाएगी कि तहरीर में नामित व्यक्ति का घटना से प्रत्यक्ष संबंध है कि नहीं.

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नामजद करने के पीछे कोई निजी वजह तो नहीं

इसके साथ ही यह भी देखा जाएगा कि कहीं आरोपी को व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता, विवाद, स्वेच्छाचारिता के कारण तो नामित नहीं किया गया है. कई बार इस तरह के मामले भी सामने आए हैं. एफआईआर दर्ज करने से पहले इस बात की तस्दीक की जाएगी कि कहीं आरोपी को अनावश्यक दबाव या अनुचित लाभ के उद्देश्य से तो नामित नहीं किया गया है.

सिविल प्रकृति के विवादों को आपराधिक रंग देने पर लगेगी रोक

डीजीपी मुख्यालय ने साफ तौर पर कहा है ​कि इन निर्देशों को जारी करने का एकमात्र मकसद यह है कि सिविल प्रकृति के विवादों को आपराधिक रंग देते हुए एफआईआर दर्ज करने की प्रवृत्ति को कम किया जा सके. इसके साथ ही न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर एफआईआर दर्ज कराने वाले अभ्यस्त शिकायतकर्ताओं पर काबू पाया जा सके. किसी भी बेकसूर व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जानी चाहिए.

यूपी में बढ़ेगा निवेश का दायरा

डीजीपी मुख्यालय के इन निर्देशों के बाद दावा किया जा रहा है कि इससे निवेशकों के लिए प्रतिकूल वातावरण होने से बचा जा सकेगा. साथ ही उत्तर प्रदेश को पहले से अधिक निवेश प्राप्त हो सकेगा. वहीं यह भी स्पष्ट किया गया है कि इन निर्देशों का उद्देश्य यह बिलकुल नहीं है कि संज्ञेय अपराध होने के हर मामले में जांच कराई जाएगी.

संज्ञेय अपराध के मामलों में तत्काल होगी कार्रवाई

ऐसे मामले जिनमें शिकायती प्रार्थना पत्र से संज्ञेय अपराध का होना पूरी तरह से स्पष्ट है, उनमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप तत्काल एफआईआर दर्ज करते हुए आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी. ऐसे मामलों में कानूनी प्रक्रिया का पालन करने में किसी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए.

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