Lucknow News: इजराइल और हमास के बीच कई महीनों से चल रहे युद्ध में दोनों जगहों में काफी जान माल का नुकसान हुआ है. अस्पताल, स्कूल, सड़क, सरकारी इमारतें बड़े पैमाने पर बमबारी से धराशायी हुई हैं. ऐसे में इजराइल एक बार फिर आम जनजीवन को सहायता मुहैया कराने में जुट गया है. इसके लिए निर्माण कार्यों को फिर शुरू किया जा रहा है. इजराइल सरकार तेजी से आम जनता से जुड़ी सभी सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास में जुट गई है. ऐसे में उसे निर्माण श्रमिकों की बड़े पैमाने पर जरूरत है. लेकिन, युद्ध के कारण उसे श्रमिक नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि फिलिस्तीनियों के वर्क परमिट पहले ही निरस्त किए जा चुके हैं. ऐसे में इजराइल सरकार ने भारत से मदद मांगी है, जिसके बाद अब यहां से निर्माण श्रमिक वहां भेजे जाएंगे. इसमें उत्तर प्रदेश से करीब दस हजार निर्माण श्रमिकों को इजराइल भेजने की तैयारी है, इसके लिए उन्हें विभिन्न स्तर पर निर्धारित प्रक्रिया को पूरा करना होगा, सभी मापदंडों पर खरे उतरने के बाद उन्हें इजराइल भेजा जाएगा.
उत्तर प्रदेश से आने वाले दिनों में 10000 से अधिक निर्माण श्रमिक इजराइल भेजे जाएंगे. श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने इसकी पहल शुरू कर दी है. इसके तहत सभी जनपदों को इच्छुक कामगारों का डाटा एकत्र करने को कहा गया है. इसके बाद इनका एक टेस्ट लिया जाएगा, जिसमें पास होने के बाद इन लोगों को इजराइल भेजा जाएगा. बताया जा रहा है कि हमास के हमले से नुकसान की भरपाई के लिए इजराइल को करीब एक लाख कामगारों की जरूरत है. इसके लिए उसने भारत से सहयोग मांगा है. इजराइल युद्ध की शुरुआत के साथ ही सभी फिलिस्तीनियों के वर्क परमिट को निरस्त कर चुका है, ऐसे में वहां श्रमिकों की काफी कमी हो गई है. निर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्यों के लिए श्रमिकों की दरकार है. अपने देश के स्तर पर इजराइल इस कमी को पूरा करने में अक्षम है. ऐसे में उसे भारत से उम्मीद है.
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बताया जा रहा है कि कारपेंटर, आयरन बेंडिंग, फ्रेमवर्क शटरिंग, सेरेमिक टाइल और प्लास्टरिंग आदि कार्यों के लिए सबसे ज्यादा श्रमिकों की जरूरत है. निर्माण श्रमिकों को एनएसडीसी यानी नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन इंटरनेशनल के जरिए विदेश भेजा जाएगा. फिलहाल जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक इजराइल जाने के इच्छुक लोगों के पास काम का अनुभव होने के साथी हाईस्कूल उत्तीर्ण होना आवश्यक है. आयु सीमा 25 से 45 साल के बीच होनी चाहिए. इससे अधिक उम्र के लोग वहां नहीं भेजे जाएंगे.
इजराइल जाने वाले निर्माण श्रमिकों को 6100 इजरायली न्यू शेकेल करेंसी (आईएलएस) मिलेगी. ये भारतीय मुद्रा के लिहाज से 1.38 लाख रुपए प्रतिमाह है. वहीं इजराइल जाने वाले श्रमिकों को अपने रहने और चिकित्सा बीमा का खर्च खुद देना होगा. श्रमायुक्त मार्कंडेय शाही ने इस पूरे मामले को लेकर श्रम और सेवायोजन के सभी जनपदों के अधिकारियों के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि सभी जनपदों से इजराइल जाने के इच्छुक और अर्हता रखने वाले निर्माण श्रमिकों का डाटा एकत्रित किया जाए, जिससे आगे की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके. एनएसडीसी के जरिए जो श्रमिक टेस्ट में उत्तीर्ण होंगे, उनका चयन करने के बाद प्रशिक्षण दिया जाएगा, इसके बाद वह इजराइल भेजे जाएंगे. माना जा रहा है कि यूपी से बड़ी संख्या में निर्माण श्रमिक अपनी इच्छा के मुताबिक इजराइल जाएंगे.