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UP News: यूरोपियन देशों में बासमती के निर्यात में 15 फीसदी की गिरावट, 30 जिलों में 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध

पश्चिमी यूपी में बासमती धान की खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में किसान बड़े पैमाने पर बासमती धान की खेती कर रहे हैं. सहारनपुर क्षेत्र सहित अन्य मंडियों में बासमती धान की महक से ग्राहक बढ़ने लगे हैं. मंडी में बासमती की आवक शुरू होते ही इसकी बोली शुरू हो जाती है.

Basmati Rice News: यूपी में बासमती चावल की खेती के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा इलाका है. यहां के किसान बड़े पैमाने पर बासमती की खेती करते हैं. इसका निर्यात कई देशों में किया जाता है. बासमती की खेती किसानों के आर्थिक लाभ के लिहाज से भी अहम मानी जाती है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में इस खेती में कीटनाशक के अंधाधंध प्रयोग के कारण काफी नुकसान पहुंचा है और बासमती की साख प्रभावित हुई है. यहां तक की इस वजह से विदेशों में इसके निर्यात में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर एमआरएल 0.01 पीपीएम निर्धारित किया है, लेकिन पश्चिमी यूपी के बासमती चावल में ये निर्धारित मानकों से अधिक पाया गया है, इस वजह से इसका निर्यात प्रभावित हो रहा है. ऐसे में बासमती का स्वाद और साख बचाने के लिए अहम निर्णय किया गया है. इसके तहत 10 कीटनाशक पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है, इन कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिससे बासमती की खेती को होने वाले नुकसा से बचाया जा सके. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 30 जनपदों में बासमती की खेती की जाती है.इन सभी जगहों पर इन कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जा सकेगा.

पश्चिमी यूपी में बढ़ रहा बासमती की खेती का रकबा

देखा जाए तो पश्चिमी यूपी में बासमती धान की खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है. उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में किसान बड़े पैमाने पर बासमती धान की खेती कर रहे हैं. सहारनपुर क्षेत्र सहित अन्य मंडियों में बासमती धान की महक से ग्राहक बढ़ने लगे हैं. मंडी में बासमती की आवक शुरू होते ही इसकी बोली शुरू हो जाती है. बड़ी संख्या में किसान बासमती की अगेती खेती करने लगे हैं जिसके चलते उन्हें फायदा भी अच्छा हो रहा है. अच्छा भाव मिलने से किसान भी काफी खुश रहते हैं, लेकिन ज्यादा मुनाफा के लिए कीटनाशकों का अधिक प्रयोग अब इस खेती की साख पर भारी पड़ रहा है.

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यूरोपियन देशों के निर्यात में 15 फीसदी तक की गिरावट

ऐसे में बासमती का स्वाद और गुणवत्ता बचाने के लिए 10 कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर दिया गया है. किसानों के कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल करने के कारण बासमती का असली स्वाद बिगड़ रहा था और यूरोपियन देशों में बासमती के निर्यात में 15 फीसदी तक कमी हो गई थी. दरअसल बासमती चावल उत्तर प्रदेश की जीओग्राफिकल इंडेकेशन जीआई श्रेणी की फसल है. इसमें लगने वाले कीटों और रोगों की रोकथाम के लिए कृषि रसायनों का प्रयोग किया जाता है. इन रसायनों के अवशेष बासमती चावल में पाए जा रहे हैं.

ये कीटनाशक किए गए प्रतिबंधित

ट्राइसाक्लाजोल, बुप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरपाइरीफोंस, हेक्साकलोनोजॉल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड और कार्बेनडाजिम शामिल है.

30 जनपदों में 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध

एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट ऑथरिटी के मुताबिक यूरोपियन यूनियन ने बामसती चावल में ट्र्राइसाइक्लाजोल का अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर एमआरएल 0.01 पीपीएम निर्धारित किया है. वहीं निर्धारित पीपीएम की मात्रा से अधिक होने के कारण यूरोप, अमेरिका एवं खाड़ी देशों के निर्यात में वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-2022 में 15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. इसके मद्देनजर अपर निदेशक (कृषि रक्षा) त्रिपुरारी प्रसाद चौधरी ने 30 जनपदों में 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इनके प्रतिबंधित करने का मकसद बासमती की गुणवत्ता और इसके असली स्वाद को बचाया जाना है, जिससे बासमती का निर्यात फिर से बढ़ाया जा सके और उत्पादकों को भी इसका सीधा लाभ मिले.

इन जनपदों में की जाती है बासमती की खेती

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में बासमती की खेती काफी लोकप्रिय है. बासमती की खेती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 30 जनपदों में होती है. इनमें आगरा, अलीगढ़, औरैया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर, संभल आदि शामिल हैं.

अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से बिगड़ा बासमती का स्वाद

बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ), मोदीपुरम के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.रितेश शर्मा के मुताबिक उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड आदि राज्यों में किसानों को रसायनों का कम प्रयोग करने के लिए कहा जा रहा है. कीटनाशक के ज्यादा प्रयोग से यूरोपियन देशों में निर्यात में दिक्कत आई है, जिसे दूर करने के लिए संस्थान के वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं. बासमती की फसल में अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से बिगड़ रहे स्वाद को बचाने के लिए इन कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया गया है. किसानों को इसके प्रति जागरूक भी किया जा रहा है.

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