लखनऊ: यूपी (UP News) के जिन इलाकों में कम बारिश की वजह किसान धान की बोआई नहीं कर पाए हैं या बाढ़ से उनकी फसल क्षतिग्रस्त हुई है, सरकार उनकी मदद के लिए आगे आई है. किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार मक्का, बाजरा, ज्वार , दलहन और तिलहन के बीज अनुदान पर दे रही है. कृषि विभाग के प्रसार कर्मी किसानों को लगातार जागरूक भी कर रहे हैं कि कैसे वे अपने नुकसान की भरपाई कर सकते हैं.
मध्य यूपी और बुंदेलखंड में औसत से कम बारिश
इस साल जुलाई में सामान्य से करीब 42 फीसदी कम बारिश हुई है. इसका असर खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई पर पड़ा है. सेंट्रल यूपी और बुंदेलखण्ड में औसत से काफी कम वर्षा हुई है. इन क्षेत्रों में अभी भी 25 से 30 प्रतिशत खेतों में बोआई होना बाकी है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अब जुलाई के शेष दिनों में भी अधिक बारिश की उम्मीद नहीं है. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों को सलाह दी है कि बारिश के सहारे जो किसान अब भी धान बोने या रोपने की उम्मीद कर रहे हैं, उनको कम समयावधि और कम बारिश में होने वाली वाली दूसरी फसलों की खेती के बारे सोचना चाहिए. विकल्प के रूप में किसान मक्का, बाजरा, ज्वार तथा दलहन-तिलहन की फसल की बोआई कर सकते हैं.
संकर मक्का के सामान्य बीज पर 50 फीसदी अनुदान
यूपी के सभी जिलों में त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत संकर मक्का के सामान्य बीज पर 50 फीसदी अनुदान की व्यवस्था की गई है. बहुपयोगी होने के कारण मक्के की मांग भी है और प्रति कुंतल उपज भी बेहतर है. देशी मक्का, संकर मक्का एवं पॉपकार्न मक्का के प्रदर्शन पर सरकार 6000 रुपए प्रति हेक्टेयर, बेबी कॉर्न मक्का पर प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपए और स्वीट कॉर्न मक्का पर 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दे रही है. हर ब्लॉक पर मक्का, बाजरा एवं ज्वार के हाइब्रिड बीज के निजी कंपनियों के स्टॉल लगाये जा रहे हैं. इन बीजों पर भी 50 प्रतिशत अनुदान किसानों के खातों में भेजा जाएगा.
मिलेट्स के नि:शुल्क मिनीकिट भी उपलब्ध
यूपी सरकार ने सभी ब्लाकों के विभागीय विक्रय केंद्रों पर मिलेट्स में मडुआ, सांवा, कोदो, बाजरा के निःशुल्क बीज मिनीकिट भी उपलब्ध कराए हैं. इसके अलावा दलहन और तिलहन के बीज विशेषकर उड़द, मूंग, अरहर एवं तिल के बीज सामान्य वितरण कार्यक्रम में उपलब्ध हैं. ये बीज पीओएस मशीन से बीज पर मिलने वाले अनुदान को समायोजित कर मात्र 50 प्रतिशत कीमत के भुगतान पर किसानों को मिलेंगे. इनमें से अधिकतर फसलें कम पानी और कम समय में होने वाली हैं. मक्का और बाजरा की तो बाजार में भी खासी मांग है. दलहन के जरिए किसान प्रोटीन से भरपूर एक अतिरिक्त फसल ले सकते हैं. इन फसलों में वातावरण से नाइट्रोजन लेकर भूमि में स्थिरीकरण का गुण होता है. इसलिए इसका लाभ उनको अगली फसल में बढ़ी उपज के रूप में मिल सकता है. साथ ही समय से रबी की फसलों की बोआई भी की जा सकती है.
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