लखनऊ: यूपी निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान 4 मई को है. लेकिन इससे पहले ही समाजवादी पार्टी चुनावी मैदान में सरेंडर करती दिख रही है. एक के बाद एक मेयर प्रत्याशी बदले जा रहे हैं या फिर वह बीजेपी में जा रहे हैं. इस फैसले के बाद समाजवादी पार्टी की यूपी निकाय चुनाव जीतने की रणनीति पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है. वहीं सपा के थिंक टैंक के फैसलों पर सवाल भी उठ रहे हैं.
समाजवादी पार्टी ने मतदान के पांच दिन पहले अचानक मथुरा-वृंदावन के मेयर प्रत्याशी को बदल दिया है. सपा ने यहां से अपने अधिकृत प्रत्याशी पंडित तुलसीरा शर्मा की जगह अब निर्दलीय राजकुमार रावत को समर्थन देने की घोषणा की है. सपा रणनीतिकारों के इस फैसले से नेता से लेकर कार्यकर्ता तक हैरान है. उनका कहना है कि पहले पंडित तुलसीराम शर्मा को टिकट क्यों दिया गया? यदि दिया ही गया था तो अब यह बदलाव क्यों हुआ है?
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इससे पहले सपा ने झांसी में रघुवीर चौधरी को प्रत्याशी बनाया था. लेकिन बाद में सतीश जतारिया को प्रत्याशी घोषितकर दिया गया. इससे कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस की स्थिति हो गयी. सपा के इस फैसले से कार्यकर्ता दो धड़ों में बंट गये. अब झांसी का परिणाम सपा के पक्ष में होगा या उसे हार का सामना करना पड़ेगा, यह 13 तारीख को पता चलेगा.
इसी तरह शाहजहांपुर में सपा ने अर्चना वर्मा को प्रत्याशी बनाया था. वह टिकट मिलने के अगले दिन ही बीजेपी में शामिल हो गयीं. इससे समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों के फैसले पर सवाल खड़े हो गये. शाहजहांपुर से समाजवादी पार्टी को नये प्रत्याशी के नाम पर फैसला लेना पड़ा.
बरेली में समाजवादी पार्टी ने पहले संजय सक्सेना को अपना प्रत्याशी बनाया था. लेकिन बाद में उनका पर्चा वापस कराने का आदेश दिया गया. संजय सक्सेना पहले तो नाम वापस न लेने के लिये अड़ गये, लेकिन बाद में नाम वापस ले लिया. सपा ने बरेली से निर्दलीय प्रत्याशी आईएएस तोमर को समर्थन दिया है. आईएस तोमर दो बार बरेली के मेयर रह चुके हैं.