Lucknow: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे की जांच के लिए गठित आयोग के अंतिम रिपोर्ट सौंपने के बाद अब सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है, जिसके बाद इस मामले में 24 मार्च को सुनवाई होगी.
यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि आयोग ने 5 दिसंबर, 2022 को अधिसूचित शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर कई विसंगतियां पाई और उन्हें दूर करने की सिफारिश की है. सुप्रीम कोर्ट अगर ओबीसी आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लेता है और अदालत में इस पर सवाल नहीं खड़े होते हैं, तो निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो जाएगा. योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश में नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत चुनावों में सीटों के आरक्षण के लिए तय प्रक्रिया में संशोधन करेगी. इसके बाद आरक्षण सूची जारी की जाएगी.
संभावना जताई जा रही है कि अगर कोर्ट में रिपोर्ट को लेकर सवाल नहीं उठे तो आगे की प्रक्रिया का पालन करते हुए निकाय चुनाव की अधिसूचना अप्रैल में जारी कर दी जाएगी, साथ ही मई में चुनाव करा लिए जाएंगे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आयोग को 31 मार्च तक रिपोर्ट पेश करने का समय दिया था. लेकिन, आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) राम अवतार सिंह ने तीन महीने से भी कम समय में राज्य के सभी 75 जिलों का दौरा करने के बाद बीते दिनों रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी.
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इसके बाद यूपी कैबिनेट ने रिपोर्ट पर अपनी सहमति की मुहर लगाई. इस रिपोर्ट के आधार पर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की हिस्सेदारी तय करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार सुप्रीम कोर्ट से चुनाव कराए जाने की अनुमति मांगेगी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी, 2023 को ओबीसी आरक्षण दिए बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर रोक लगा दी थी.