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UP News: महिला जज ने पत्र लिखकर मांगी इच्छामृत्यु, CJI चंद्रचूड़ ने मामले का लिया संज्ञान, जानें पूरा मामला

बांदा में तैनात सिविल जज अर्पिता साहू ने सीजेआई को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांगी की थी. उनका आरोप है कि बाराबंकी तैनाती के दौरान जिला जज ने उनके साथ शारीरिक और मानसिक प्रताड़ित किया था. इस मामले में शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई.

यूपी में बांदा के बबेरू कोर्ट में तैनात महिला सिविल जज जूनियर डिवीजन ने देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अपने जीवन को समाप्त करने की अनुमति मांगी थी. इस मामले को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने संज्ञान में लिया है. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. वहीं हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने भी पत्र का संज्ञान लिया है. महिला सिविल जज अर्पिता साहू के तरफ से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे खुला पत्र में भारत की सभी कामकाजी महिलाओं के लिए एक संदेश संबोधित किया गया है. यह पत्र सोशल मीडिया में तेजी से वायरल है. वायरल पत्र में सिविल जज अर्पिता साहू ने लिखा है कि इसे बेहद निराशा में लिख रहीं हूं. इस पत्र का मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कोई उद्देश्य नहीं है. मेरे सबसे बड़े अभिभावक (सीजेआई) मुझे अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति दें. पत्र में लिखा गया है कि मैं बहुत उत्साह और इस विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी. मुझे क्या पता था कि मैं जिस भी दरवाजे पर जाऊंगी, मुझे जल्द ही न्याय के लिए भिखारी बना दिया जाएगा.

मेरी सेवा के थोड़े समय से मुझे खुली अदालत में डायस पर दुर्व्यवहार का दुलर्भ सम्मान मिला है. मेरे साथ हद दर्जे तक यौन उत्पीड़न किया गया है. मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है. मैं एक अवांछित कीट की तरह महसूस करती हूं और मुझे दूसरों को न्याय दिलाने की आशा थी. मैं कितनी भोली हूं. मैं भारत की सभी महिलाओं से कहना चाहती हूं कि यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीखे. यह हमारे जीवन का सत्य है. पोस एक्ट हमसे बोला गया एक बड़ा झूठ है. कोई सुनता नहीं, कोई परेशान नहीं करता. शिकायत करोगी, तो प्रताड़ित किया जाएगा. विनम्र रहें और जब मेरा मतलब है कि कोई नहीं सुनता, तो इसमें सुप्रीम कोर्ट भी शामिल है. आपको आठ सेकेंड की सुनवाई, अपमान और जुर्माना लगाने की धमकी मिलेगी. तुम्हें आत्महत्या के लिए प्रेरित किया जाएगा. और यदि आप भाग्यशाली हैं तो आत्महत्या का आपका पहला प्रयास सफल होगा. अगर कोई महिला सोचती है कि आप सिस्टम के खिलाफ लड़ेंगे तो मैं आपको बता दूं, मैं ऐसा नहीं कर सकती. और मैं जज हूं. न्याय तो दूर, मैं अपने लिए निष्पक्ष जांच तक नहीं जुटा सकती. मैं सभी महिलाओं को सलाह देती हूं कि वे खिलौना या निर्जीव वस्तु बनना सीखें.

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हाईकोर्ट की आंतरिक शिकायत समिति से शिकायत की

बाराबंकी में तैनाती के दौरान एक विशेष जिला न्यायाधीश और उनके सहयोगियों द्वारा मेरा शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया गया. मुझे रात में जिला जज से मिलने को कहा गया. अगले पैरे में लिखा है कि मैनें 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से शिकायत की. आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. किसी ने मुझसे पूछने की जहमत नहीं उठाई कि क्या हुआ. आप परेशान क्यों हैं. मैंने फिर जुलाई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की आंतरिक शिकायत समिति से शिकायत की. एक जांच शुरू करने में छह महीने और एक हजार ईमेल लग गए. यह भी जांच को दिखावा साबित हुआ. गवाह जिला जज के अधीनस्थ थे. ऐसे में बॉस के खिलाफ गवाह कैसे जा सकते हैं. निष्पक्ष जांच तभी हो सकती है कि जब गवाह अभियुक्त के प्रशासनिक नियंत्रण से आजाद हो. मैंने जांच लंबित रहने के दौरान जिला जज को ट्रांसफर किए जाने का निवेदन किया था. लेकिन मेरी प्रार्थना पर भी ध्यान नहीं दिया गया. जांच अब जिला जज के अधीन होगी. हमें मालूम है ऐसी जांच का नतीजा क्या निकलता है. इसलिए मुख्य न्यायाधीश से जिंदगी को खत्म करने की अनमुति मांग रही हूं.

वायरल पत्र की जानकारी मिली है- जिला जज, बांदा

वहीं बांदा के जिला जज बब्बू सारंग ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए उन्हें वायरल पत्र की जानकारी मिली है. जब तक पीड़ित जज से बात नहीं होती पत्र की जांच या पुष्टि नहीं होती. इसलिए कुछ भी कहना संभव नहीं है. बता दें कि सिविल जज जूनियर डिवीजन अर्पिता साहू लखनऊ की रहने वाली हैं. वे वर्ष 2019 में वह जज बनी थीं. उनकी पहली तैनाती बाराबंकी में हुई थी. इसके बाद मई 2023 में उनका ट्रांसफर बांदा में हुआ था. इसके बाद से वह यहां तैनात हैं. प्रतिदिन वह बबेरू कोर्ट में मुकदमों की सुनवाई के लिए जाती हैं. वर्तमान में उन्हें छुट्टी में बताया जा रहा है. वह बांदा के शहर कोतवाली क्षेत्र के मवई बाईपास पर स्थित सर्किट हाउस के बागैन नदी के नाम से रूम में रहती हैं. वर्तमान में उनके रूम में ताला लटका हुआ है. उनके मोबाइल नंबर पर कई बार कॉल की गई, लेकिन उन्होंने किसी कॉल का जवाब भी नहीं दिया है. वहीं बबेरू सहायक अभियोजन अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि महिला जज चार दिन से अवकाश पर है. यह उनका व्यक्तिगत मामला है. इस संबंध में मैं कुछ नहीं कह सकता.

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