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पश्चिम बंगाल : तृणमूल कांग्रेस की सरकार के खिलाफ कई बड़े फैसले दे चुके हैं जस्टिस अभिजीत गांगुली

पश्चिम बंगाल : जस्टिस गंगोपाध्याय हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्ति की बाद ही से विवादों में रहें. पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार के खिलाफ आने वाले भष्टाचार के मामलों पर तो उन्होंने जैसे जंग ही छेड़ दी. इसकी सराहना और आलोचना दोनों हुई.

पश्चिम बंगाल : जस्टिस गंगोपाध्याय हाईकोर्ट में बतौर जज नियुक्ति की बाद ही से विवादों में रहें. पश्चिम बंगाल (West Bengal) की तृणमूल कांग्रेस की सरकार के खिलाफ आने वाले भष्टाचार के मामलों पर तो उन्होंने जैसे जंग ही छेड़ दी. इसकी सराहना और आलोचना दोनों हुई. जस्टिस गांगुली पहले भी अपने फैसले, टिप्पणी और कामकाज के तरीके को लेकर चर्चा में रहे हैं. राज्य में शिक्षक नियुक्ति घोटाले की जांच और उसमें पार्थ चटर्जी सहित विभित्र नेताओं की गिरफ्तारी में उनके आदेश ने अहम भूमिका निभायी थी.

मुकदमे जिनके कारण विवादों में रहें जस्टिस अभिजीत गांगुली

  • मेडिकल कॉलेजों में एडिमशन का मामला : हाल के मुकदमों को अगर याद करें तो उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में सीनियॉरिटी में 5वें नंबर के जज सौमेन सेन पर एक राजनीतिक दल के लिए काम करने का आरोप लगाया. ये तब हुआ जब जस्टिस सेन की बेंच ने जज गंगोपाध्याय के आदेश पर रोक लगा दी. ये पूरा मामला पश्चिम बंगाल के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन से जुडी अनियमितताओं का था. जस्टिस गंगोपाध्याय ने अपने आदेश में पश्चिम बंगाल पुलिस को मामले से जुड़े दस्तावेज सीबीआई को सौंपने का डायरेक्शन दिया था.
  • पश्चिम बंगाल स्कूल घोटाला मामला : जस्टिस गंगोपाध्याय ने कई ऐसे ऑर्डर दिए जिसमें पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल घोटाले से लेकर और दूसरे मामलों की जांच सीबीआई और ईडी से कराने की बात की गई. सवाल बार-बार उठा कि जब पहले ही से राज्य सरकार की एजेंसी जांच कर रही है तो मामले को केंद्रीय एजेंसी को भेजने की जरुरत ही क्या है?मिसाल के तौर पर जस्टिस गंगोपाध्याय ने कथित स्कूल घोटाले में 32 हजार शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगाते हुए इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया. बाद में डिविजन बेंच ने जरूर फैसले पर रोक लगा दी लेकिन तब तक ये आदेश आम-आवाम में जा चुका था.
  • नाम लिए बगैर ममता बनर्जी की कविता पर टिप्पणी : बंगाल सरकार ने ममता बनर्जी की कविता और किताब को सभी सरकारी लाइब्रेरी में रखने का आदेश दिया था. इस पर जस्टिस गांगुली ने निशाना साधा था. ममता की कविता पर उनकी टिप्पणी ने खूब सुर्खियां बटोरी थी. जनवरी 2023 में एक कार्यक्रम में जस्टिस गांगुली ने मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर कहा कि एपांग, ओपंग और झपांग को कौन पढ़ना चाहेगा? उन्होंने कहा राज्य सरकार इसे पुस्तकालय में रखकर पैसा न बर्बाद करें.
  • शिक्षक भर्ती घोटाला : जस्टिस गांगुली ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में ही करीब 10 अलग-अलग आदेश पारित किए. इनमें सीबीआई जांच के आदेश, पार्थ चटर्जी से पूछताछ, परेश अधिकारी की बेटी को नोकरी से हटाना जैसा आदेश भी शामिल था.जस्टिस गांगुली ने बेरकपुर में ऑटो ड्राइवर के गुंडागर्दी के खिलाफ दाखिल एक याचिका पर कमिश्नर को तलब कर लिया था, जबकि पेंशन से जुड़े एक मामले में मिदनापुर कोर्ट के जज को बुला लिया था.
  • टीएमसी का सिंबल वापस लेने के लिए कह सकता हूं: शिक्षक भर्ती घोटाले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गांगुली की एक टिप्पणी काफी विवादों में रही थी. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि में चुनाव आयोग से कह सकता हूं कि तृणमूल कांग्रेस का सिंबल वापस ले लें. जस्टिस गांगुली ने आगे कहा कि दीदी इतने गुंडों से कैसे निपटती होगी? जस्टिस गांगुली के इस टिप्पणी पर खूब बवाल मचा और तृणमूल ने विरोध में मोर्चा खोल दिया. तृणमूल कांग्रेस ने जस्टिस गांगुली के इस बयान पर कहा था कि जज राजनीति में जाने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए माहोल बना रहे हैं. हालांकि, विरोध के बाद जस्टिस गांगुली ने कहा कि मुख्यमंत्री अच्छा काम कर रही है.

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