आसनसोल/रानीगंज: राज्य सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक ‘स्वास्थ्य साथी’ हमेशा ही विवादों में रही है. इसका ताजा उदाहरण रविवार को देखने को मिला. रानीगंज मजार शरीफ इलाके के निवासी शेख फरीद हुसैन अपने बेटे के इलाज के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे फिर भी उनका कार्ड काम नहीं आया और बेटे की तबीयत लगातार बिगड़ने पर बाध्य होकर नकदी देकर दुर्गापुर के एक निजी अस्पताल में उसे दाखिला कराया. शनिवार भोर चार बजे मरीज को भर्ती किया गया और रविवार सुबह तक 1.55 लाख रुपये का बिल अस्पताल ने थमा दिया, अस्पताल का मीटर अभी भी चालू है. फरीद हुसैन स्वास्थ्य साथी में उनके बेटे का इलाज हो, इसे लेकर हर दरवाजे पर पैरवी कर रहे हैं, लेकिन कहीं से उन्हें कोई राहत नहीं मिली है.
फरीद सभी जगह कर रहे हैं फरियाद, नहीं मिली है अबतक कोई उम्मीद
फरीद हुसैन अपने बेटे का इलाज स्वास्थ्य साथी कार्ड में कराने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. नेताओं से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक फरियाद लगा रहे हैं. कहीं से भी कोई उम्मीद नहीं मिली है. उनका कहना है कि इलाज पर अबतक जो पैसा खर्च हुआ वह अस्पताल को भुगतान किसी तरह कर देंगे, उसके बाद का इलाज स्वास्थ्य साथी के माध्यम से हो. प्रशासन की ओर से किसी दूसरे अस्पताल में सद्दाम के इलाज का एक प्रयास किया गया है. वहां भी सोमवार दोपहर के बाद पता चलेगा कि बेड मिलेगा या नहीं.गौरतलब है कि कोलकाता में कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद दर-दर भटक रहे एक मरीज को सरकारी अस्पताल में बेड तो मिला, लेकिन जबतक बेड मिला तब तक मरीज की मौत हो चुकी थी. यह खबर काफी चर्चा में रही. विपक्ष भी सरकार को स्वास्थ्य साथी कार्ड पर लगातार घेरती रहती है.क्या है पूरा मामला
रानीगंज मजार शरीफ इलाके के निवासी व पेशे से मोबाइल फोन रिपेयरिंग करनेवाले फरीद हुसैन का बेटा सद्दाम शेख थैलेसीमिया का मरीज है. छह साल उम्र से ही उसका इलाज सीएमसी वेलोर में चल रहा है. 31 साल का सद्दाम अपनी जांच के लिए 15 नवंबर को वेलोर जानेवाला था, ट्रेन का टिकट भी कट चुका था. इस बीच शनिवार रात को अचानक उसके पेट में तेज दर्द शुरू हुआ. तत्काल उसे रानीगंज में स्थित एक निजी अस्पताल में ले जाया गया. 20 मिनट तक उसे वहां रखकर जांच करने के बाद चिकित्सक ने उसे बेहतर इलाज के लिए किसी दूसरे अस्पताल में ले जाने को लेकर रेफर कर दिया. सद्दाम को दुर्गापुर में स्थित दो बड़े अस्पतालों में ले जाया गया. स्वास्थ्य साथी कार्ड सुनते ही एक ने कहा बेड नहीं है, दूसरे ने कहा हेमाटोलॉजी विभाग में कोई डॉक्टर नहीं है. अस्पताल के चक्कर लगाने के दौरान सद्दाम की हालत और ज्यादा बिगड़ गयी. रात से भोर होने को आयी. दुर्गापुर के एक अन्य अस्पताल में उसे ले जाया गया, वहां भी स्वास्थ्य साथी कार्ड पर टालमटोल होने पर आखिरकार कैश में दाखिला करवाया गया. शनिवार भोर चार बजे मरीज को आइसीयू में दाखिल किया गया. रविवार सुबह 1,55,066 रुपये का बिल आ गया. शाम तक 1.95 लाख का बिल पार कर गया. अस्पताल का मीटर अभी भी चालू है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है