बीरभूम, मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मुरारई इलाके में पति के गुजरने के बाद उसके सहेजे गये शुक्राणु की बदौलत एक महिला की सूनी गोद हरी हो गयी. आइवीएफ (IVF) यानी इनविट्रो फर्टिलाइजेशन के जरिये उस शुक्राण के इस्तेमाल से यह महिला ना सिर्फ गर्भवती हुई, बल्कि एक स्वस्थ शिशु को जन्म भी दे दिया. इस घटना को लेकर इलाके में चर्चा का बाजार गर्म है. पति के देहांत के बाद उसके सहेजे गये शुक्राणु के सधे हुए उपयोग से संगीता केशरी नामक महिला गर्भवती हुई और नौ माह बाद एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया. जच्चा-बच्चा रामपुरहाट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर यूनिट में भर्ती हैं. चिकित्सकों ने बताया कि मां व शिशु पुत्र दोनों ही स्वस्थ है.
संगीता मुरारई में अपने दिवंगत पति की छोटी किराना दुकान चलाती है. दो वर्ष पहले कोविड-19 से संक्रमित होकर उनके पति अरुण प्रसाद केशरी का देहांत हो गया था. उसके पहले अरुण ने कोलकाता में अपने शुक्राणु संरक्षित करा लिये थे. डॉक्टरों के मुताबिक संगीता के गर्भधारण में काफी जटिलता थी. उसे शुगर व हाइ ब्लड प्रेशर है. केशरी दंपती कई वर्षों से बच्चा पाने के लिए अपना इलाज करा रहे थे. लेकिन कोरोना से पति की मौत के बाद संगीता से ससुराल व मायका दोनों का नाता टूट गया. इस पड़ाव पर भी संगीता ने हिम्मत नहीं हारी. वह किराना दुकान चला कर जिंदगी गुजार रही है.
लेकिन रामपुरहाट हॉस्पिटल के चिकित्सक की मदद से कोलकाता में जमा दिवंगत पति के शुक्राणु का आइवीएफ के जरिये इस्तेमाल कर संगीता गर्भवती हुई और फिर स्वस्थ पुत्र संतान को जन्म दिया. इससे संगीता की खुशी का ठिकाना नहीं है. बताया गया है कि अरुण प्रसाद से संगीता की शादी 27 वर्ष पहले हुई थी. संगीता का मायका नैहाटी में है. अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि संगीता की इच्छाशक्ति व हिम्मत की बदौलत उसकी मनोकामना पूरी हुई. हमलोग तो बस माध्यम बने. उसके शिशु का वजन ढाई किलोग्राम है. डॉ पलास दास ने बताया कि संगीता ने कठिन परिस्थितियों में स्वस्थ शिशु को जन्म दिया है. मां बनने की अंतिम उम्र में स्वस्थ पुत्र संतान को पाकर संगीता खुद को धन्य मान रही है.
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