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कुल्टी इलाके की घटना,अदालत ने हीरापुर थाने से किया मामला ट्रांसफर

स्कूल को सेल की जमीन का एनओसी देने और बंगला आवंटन का मामला कुल्टी थाने में दर्ज

आसनसोल. सेल आइएसपी बर्नपुर के अतिरिक्त महाप्रबन्धक (लॉ) शुभमय सरकार द्वारा कंपनी के पूर्व महाप्रबंधक राजीव कुमार के खिलाफ हीरापुर थाना में 19 जुलाई 2024 को दर्ज मामले को आसनसोल अदालत ने कुल्टी थाने में ट्रांसफर कर दिया है. श्री सरकार ने पूर्व महाप्रबंधक श्री कुमार पर अवैध दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करके जालसाजी/धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करायी है. शिकायत के आधार पर हीरापुर थाने में कांड संख्या 203/24 में आइपीसी की धारा 465/468/471/420 के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई है. लेकिन यह पूरा घटना कुल्टी थाना इलाके से जुड़ी होने के कारण हीरापुर थाने ने मामले को कुल्टी में भेजने की अपील की थी. जिसके आधार पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) कोर्ट ने मामला कुल्टी थाने में ट्रांसफर कर दिया. जिसके आधार पर कुल्टी थाने में कांड संख्या 448/24 में आरोपी के खिलाफ आइपीसी की धारा 465/468/471/420 के तहत मामला दर्ज हुआ. इसमें काफी बड़े-बड़े लोगों के जुड़े होने की संभावना जतायी जा रही है. राजीव कुमार इस वर्ष फरवरी में सेवानिवृत्त हुए हैं. प्रबंधन का उनसे कोई संपर्क नहीं हो रहा है. जिसके उपरांत ही प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.

राजीव कुमार पर लगा पहला आरोप

श्री सरकार ने अपनी शिकायत में लिखा कि सेल इस्को ने सेल कुल्टी टाउनशिप में क्वार्टरों के आवंटन के लिए एक परिपत्र लाया था. जिसके तहत चार जनवरी 2014 को कृष्ण कुमार तिवारी को स्टेशन रोड कुल्टी में बंगला नंबर दो को दो वर्ष के लिए दिया गया. पत्र पर सेल जीडब्ल्यू के वरिष्ठ प्रबंधक (पीएंडए) राजीव कुमार ने हस्ताक्षर किये थे. जिसकी प्रतिधारण 2016 में समाप्त हो गयी.

श्री तिवारी ने रिटेंशन के लिए पुनः कभी आवेदन नहीं किया. कानून के तहत क्वार्टरों पर अनाधिकृत कब्जे को लेकर सेल आइएसपी स्टेट कोर्ट ने श्री तिवारी के खिलाफ बेदखली की कार्रवाई शुरू की. जिसके बाद श्री तिवारी ने एक और ऑर्डर लेटर का खुलासा किया जिसपर चार जनवरी 2014 को ही राजीव कुमार के ही हस्ताक्षर थे. जिसमें आवास को खाली करने की कोई समय अवधि नहीं दी गयी थी. श्री तिवारी को अनिश्चितकाल के लिए बंगले पर कब्जा बनाये रखने की अनुमति दी गयी थी. यह पत्र इस वर्ष 28 मार्च को प्रबंधन को प्राप्त हुआ. इस पत्र की कोई प्रति प्रबंधन के पास नहीं है. ऐसा प्रतीत होता है कि यह कंपनी की जानकारी और अनुमति के बगैर किया गया है. संदेह है कि राजीव कुमार ने कंपनी के खिलाफ जालसाजी की है. जिसमें कंपनी की अनुमति के बगैर श्री तिवारी को अवैध रूप से बंगला सौंपने के लिए नियम व शर्तों को बदलते हुए दूसरे दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया गया है, जो अनिश्चित काल के लिए है.

श्री सरकार ने राजीव कुमार पर दूसरा यह आरोप लगाया कि डब्ल्यूबीएसइडीसीएल (बराकर सीसीसी) के सहायक अभियंता और स्टेशन प्रबंधक के माध्यम से ईमेल पर चार जुलाई 2024 को एक पत्र प्राप्त हुआ. जिसमें प्रियदर्शिनी पब्लिक स्कूल को भूमि प्रदान करने का राजीव कुमार द्वारा हस्ताक्षरित अनापत्ति प्रमाण पत्र है.

स्कूल प्रबंधन ने सेल कुल्टी के टाउनशिप परिसर में डब्ल्यूबीएसइडीसीएल के माध्यम के अलग बिजली कनेक्शन प्राप्त करने के लिए बिजली विभाग से संपर्क किया था और 28 अप्रैल 2014 को सेल से राजीव कुमार का हस्ताक्षर किया हुआ एनओसी उन्हें मिला था. इस्को के आधिकारिक रिकॉर्ड की जांच की गयी लेकिन ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है. राजीव कुमार द्वारा प्रियदर्शिनी स्कूल को जारी किये गये एनओसी का इस्को में कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है. इस तरह के एनओसी जारी करने का कोई आदेश भी राजीव कुमार को नहीं दिया गया था. हस्ताक्षर अस्पष्ट और नकली प्रतीत होता है. राजीव कुमार सेल डीएसपी से इस वर्ष 29 फरवरी को रिटायर हुए. उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने कोई फोन नहीं उठाया. श्री सरकार ने इस्को बर्नपुर, इस्को कुल्टी और इस्को डीएसपी के रिकॉर्ड से राजीव कुमार के हस्ताक्षर के नमूनों को लेकर उचित फॉरेंसिक विश्लेषण करने की अपील की ताकि सच्चाई का पूरा खुलासा हो.

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