पुरुलिया.
जिले के प्राचीन एवं ऐतिहासिक मौवतोड़ मां बड़ा काली के मंदिर में सुबह से ही भक्तों का जन सैलाब देखा गया. रघुनाथपुर प्रखंड दो में स्थित मौवतोड़ मां बड़ा काली मां की महिमा केवल बंगाल में ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में फैली है. स्थानीय लोगों का कहना है लगभग 300 वर्ष पहले एक सिद्ध पुरुष यहां पंचामुंडी आसान बनाकर मां की आराधना करते थे. बाद में मां के स्वप्न में आने के बाद उन्होंने अपने हाथों से मां काली की मूर्ति तैयार की. जहां मां को वह पशु का चढ़ावा दिया करते थे. वही प्रथा आज भी चलती आ रही है. काली पूजा के दिन हजारों की तादाद में श्रद्धालु सुबह से ही 500 मीटर की दूरी पर तालाब में स्नान कर दांडी देते हुए मां के मंदिर पहुंचकर पूजा आराधना करते हैं. गुरुवार सुबह से ही हजारों की तादाद में श्रद्धालु मां बड़ा काली की पूजा करने इस मंदिर में उपस्थित होने लगे. केवल पुरुलिया से ही नहीं बल्कि राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा पड़ोसी राज्य झारखंड, बिहार, ओडीशा, असम से भी श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर में पहुंचते देखे गये. आयोजकों ने बताया गुरुवार अमावस्या की रात नौ बजे से मां की विशेष पूजा अर्चना होने के बाद यहां पशु बलि आरंभ होगी जो शुक्रवार दोपहर तक चलेगी.जहां हजारों के तादाद में पाठा एवं भैंस की बलि चढ़ाई जायेगी. श्रद्धालुओं का कहना है जो भी सच्चे मन से मन से कुछ मांगता है उसकी मनोकामना यहां पूरी होती है और मनोकामना पूरा होने पर लोग मां को पशु बलि चढ़ाने का रिवाज है. सुरक्षा के लिए बुधवार रात जिला पुलिस अधीक्षक अभिजीत बनर्जी मौके पर पहुंचे और पूरे इलाके का जायजा लिया. पूरे इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी. सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाये गये. ताकि किसी तरह की अशांति या समस्या भक्तों को न हो. इस पूजा को देखते हुए यहां सात दिनों का मेला आरंभ हो चुका है.
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