आसनसोल.
बिहारी बाबू के नाम से मशहूर पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा आसनसोल के सांसद व तृणमूल नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा से हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को हटाने को लेकर प्रभात खबर ने जो आवाज उठायी है वह सही और तार्किक है. दीदी (मुख्यमंत्री) ने हिंदी, उर्दू और संताली को पुनः शामिल करने की जब घोषणा कर दी, उसके बाद ऐसा कैसे हो गया. उन्होंने इसपर चिंता जताते हुए कहा कि इस मुद्दे से जुड़े जो भी कागजात हैं, कृपया मुहैया कराएं. सारे कागजात स्टडी करके वह देखेंगे. 10 दिनों के बाद आसनसोल लौटने पर इस मुद्दे पर राज्य के कानून मंत्री मलय घटक और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ वह बात करेंगे. इसे लेकर शुरू हुए मूवमेंट का उन्होंने समर्थन भी किया. श्री सिन्हा आसनसोल के सांसद हैं और यहां करीब 70 फीसदी की आबादी हिंदी, उर्दू और संताली भाषियों की है. ऐसे में उनपर इस मुद्दे को लेकर काफी दबाव रहेगा. श्री सिन्हा खुद भी हिंदीभाषी हैं, इसलिए उनसे लोगों की उम्मीदें भी ज्यादा है कि वह उनकी मदद के लिए जरूर कुछ न कुछ करेंगे.गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम से पढ़ायी करनेवाले छात्र अब डब्ल्यूबीसीएस अधिकारी नहीं बन पायेंगे. राज्य सरकार ने डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा के लिए जो पैटर्न और सिलेबस तैयार किया है, उसके तहत उक्त माध्यम के छात्र इस परीक्षा बैठने का ही नहीं सोच पायेंगे. राज्य सरकार की कार्मिक व प्रशासन सुधार विभाग की ओर से जारी संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन में कहा गया है कि मेन परीक्षा के पेपर-ए में बांग्ला या नेपाली भाषा के 300 नंबरों का पेपर देना होगा. जिसमें लेटर राइटिंग, रिपोर्ट ड्राफ्ट, प्रेसी राइटिंग, कम्प्रिहेंशन, अंग्रेजी से बांग्ला/नेपाली में ट्रांसलेशन करना होगा. ये सारे कक्षा 10 के स्टैंडर्ड के सवाल होंगे और पास मार्क्स न्यूनतम 30 प्रतिशत लाना होगा. नेपाली भाषा में परीक्षा सिर्फ पहाड़ी क्षेत्र के नागरिकों के लिए होगी. हिंदी/उर्दू/संताली माध्यम के विद्यार्थी क्या बांग्ला भाषा में इस तरह के सवालों का जवाब देकर 30 फीसदी अंक प्राप्त कर पायेंगे. इसके लिए अलग से कक्षा 10 के स्टैंडर्ड की बांग्ला भाषा सीखनी होगी.
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