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अंडाल में पुरजोर विरोध से बैरंग लौटे रेल अफसर

बुलडोजर व रेल पुलिस को देख कर स्थानीय दुकानदार भड़क गये और जोर देकर कहा कि पुनर्वास दिये बगैर वे लोग जगह नहीं खाली करेंगे.

अंडाल स्टेशन के पास स्थानीय व्यापारियों के विरोध से टला उच्छेद अभियान अंडाल. अंडाल रेलवे स्टेशन के पास रेलवे की भूमि को खाली करने की मोहलत पूरी होने के बाद रेल अधिकारी बुलडोजर व दल-बल के साथ अतिक्रमण हटाने आये, लेकिन स्थानीय व्यापारियों के पुरजोर विरोध से अभियान टाल देना पड़ा. बुलडोजर व रेल पुलिस को देख कर स्थानीय दुकानदार भड़क गये और जोर देकर कहा कि पुनर्वास दिये बगैर वे लोग जगह नहीं खाली करेंगे. ये लोग यहां पर कई दशकों से दुकान चला रहे हैं. पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाये, फिर जगह खाली कराने के बारे में रेलवे सोचे. स्थानीय व्यापारियों के गुस्से व तनाव को देखते हुए रेल अधिकारियों ने अतिक्रमण रोधी अभियान टाल दिया और कहा कि यहां की स्थिति से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जायेगा, फिर उचित कदम बढ़ाया जायेगा. इसके बाद रेल अधिकारियों को बैरंग लौटना पड़ा. मालूम रहे कि अंडाल स्टेशन पर लगभग 500 दुकानें हैं और रेलवे की भूमि से सटी हैं. यहां के व्यापारियों का दावा है कि वे यहां पर बीते 20-30 वर्षों से दुकान चला कर अपना परिवार चलाते हैं. कुछ साल पहले रेलवे ने दुकानों को हटाने की पहल की, पर स्थानीय लोगों के विरोध से काम नहीं हुआ. रेलवे की ओर से हाल में उस भूमि पर बड़ा हब बनाने का फैसला किया है. इसलिए गत 21 तारीख को दुकानदारों को स्वेच्छा से रेलवे की भूमि खाली करने का नोटिस दिया गया था. समय-सीमा 27 जनवरी तक थी. इस समय-सीमा के अंदर रेलवे की भूमि नहीं छोड़ी गयी. लिहाजा रेल अधिकारी, बुलडोजर व रेल पुलिस के साथ अंडाल स्टेशन के पास अतिक्रमण हटाने के वास्ते आये, लेकिन स्थानीय व्यापारी स्टेशन से लगे डाकघर मोड़ के पास जुट कर हंगामा करने लगे. इन व्यापारियों के समर्थन में कई स्थानीय लोग भी आ गये. ये लोग नारेबाजी करने लगे कि जब तक पुनर्वास की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक वे लोग यह जगह नहीं छोड़ेंगे. व्यापारियों में उबाल व उत्तेजना के मद्देनजर रेलवे के दल-बल को पीछे हटना पड़ा. हालांकि रेल अधिकारियों ने व्यापारियों को समझाने की कोशिश की, पर व्यापारी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे. वे लोग अपने पुनर्वास की मांग पर अड़े थे. व्यापारियों की ओर से दिलीप माजी ने कहा कि वे बीते चार दशकों से यहां व्यापार कर रहे हैं. उनका परिवार दुकान में ही रहता है. यहां से हटने पर वे कहां दुकान लगा कर अपने परिवार का पेट पालेंगे. ऐसी ही व्यथा कई अन्य व्यापारियों ने भी बयां की. दूसरी ओर, अंडाल रेलवे स्टेशन के सहायक अभियंता संतोष कुमार ने कहा कि रेलवे के उच्चाधिकारियों को बाधा के बारे में बता दिया गया है. अब जो फैसला होगा, उसके अनुरूप कार्रवाई की जायेगी.

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