संवाददाता, कोलकाता
जहां बांग्लादेश हर दिन ही भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है. भारत पर चढ़ाई करने की धमकी भी दे रहा है. वहीं, ऐसी स्थिति में महानगर के एक निजी अस्पताल ने जटिल बीमारी से जूझ रहे बांग्लादेश के एक शिशु की जान बचायी है. उक्त शिशु क्रेनियोसिनोस्टोसिस नामक गंभीर बीमारी से जूझ रहा था. यह मस्तिष्क में होने वाली एक बीमारी है. चिकित्सकों के अनुसार प्रति दो हजार में से एक बच्चे में यह बीमारी देखने को मिलती है. इस बीमारी से पीड़ित बांग्लादेशी शिशु रिदवान हबीब इल्हाम का महानगर के आनंदपुर स्थिति फोर्टिस अस्पताल में सफल इलाज किया गया. अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार क्रेनियोसिनोस्टोसिस एक जटिल बीमारी है, जिसमें खोपड़ी की हड्डियां समय से पहले जुड़ जाती हैं. इससे मस्तिष्क का विकास बाधित होता है और सिर का आकार असामान्य हो जाता है. अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक डॉ जीआर विजय कुमार के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने शिशु की खोपड़ी को फिर से बनाने के लिए सर्जरी की, जो लगभग पांच घंटे तक चली. सर्जरी के छह दिन के भीतर ही उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गयी. अब वह बेहतर स्थिति में है. अस्पताल से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिशु का सिर असामान्य तरीके से बढ़ रहा था. उसके अभिभावकों ने पहले बांग्लादेश में ही उसका इलाज करवाया. वहां चिकित्सकों ने जांच के बाद बताया कि शिशु क्रेनियोसिनोस्टोसिस नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित है. डॉक्टरों ने तत्काल सर्जरी कराने की सलाह दी. पर अभिभावक ने इस सर्जरी के लिए वहां के चिकित्सकों भरोसा नहीं जताया. वे कोलकाता के फोर्टिस अस्पताल पहुंचे. यहां अस्पताल के डॉक्टर विजय कुमार की देखरेख में शिशु की चिकित्सा शुरू हुई. पहले उसके सिर का एक्स-रे और सीटी स्कैन हुआ. फिर सर्जरी कराने की सलाह दी गयी.अब शिशु की उम्र बढ़ने के साथ ही उसकी खोपड़ी भी सामान्य रूप से बढ़ेगी : डॉ जीआर विजय कुमार
फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोसर्जरी के निदेशक डॉ जीआर विजय कुमार ने बताया : शिशु की खोपड़ी में छोटे व मुलायम खंड होते हैं, जो झिल्लीदार टांके से जुड़े होते हैं. ये खोपड़ी को जीवन के पहले दो वर्षों के दौरान मस्तिष्क के विकास को समायोजित करने और विस्तार करने की अनुमति देते हैं. क्रेनियोसिनोस्टोसिस में एक या अधिक खंड समय से पहले जुड़ जाते हैं, जिससे सामान्य खोपड़ी और मस्तिष्क का विकास बाधित होता है. परिणामस्वरूप सिर का आकार असामान्य हो जाता है. यदि इलाज नहीं हुआ, तो यह कॉस्मेटिक समस्याएं ही नहीं, बल्कि अन्य जटिलताओं को भी जन्म दे सकता है, जिसमें अविकसित मस्तिष्क, सीखने की अक्षमता, कौशल चुनौतियां, दृश्य गड़बड़ी या यहां तक कि दृष्टि हानि भी शामिल है. डॉक्टर ने बताया कि इस मामले में कोरोनल सिवनी (वह जोड़ जहां ललाट की हड्डी पार्श्विका हड्डियों से जुड़ती है) समय से पहले ही जुड़ गयी, जिससे शिशु की खोपड़ी और चेहरे की संरचना प्रभावित हुई. सर्जरी से विकृत भागों को सावधानीपूर्वक हटाया गया. आकार दिया गया और फिर से खोपड़ी जोड़ी गयी. अब शिशु की उम्र बढ़ने के साथ ही उसकी खोपड़ी भी सामान्य रूप से बढ़ेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है