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Mamata Banerjee : राज्यपाल बोस बनाम ममता बनर्जी मामले की सुनवाई खत्म, जज ने अंतरिम आदेश रखा लंबित

Mamata Banerjee : सुनवाई में दोनों पक्षों के सवाल-जवाब के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश को स्थगित रखा. सोमवार की सुनवाई में राज्यपाल के वकील ने कहा, राज्यपाल के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं.राज्यपाल के खिलाफ टिप्पणी उचित नहीं है

Mamata Banerjee : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (CV Ananda Bose) ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया था. मामले की सुनवाई सोमवार को जस्टिस कृष्णा राव की बेंच में हुई. सुनवाई में दोनों पक्षों के सवाल-जवाब के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश को स्थगित रखा. सोमवार की सुनवाई में राज्यपाल के वकील ने कहा, राज्यपाल के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं. राज्यपाल ने दोनों नवनिर्वाचित विधायकों को पत्र लिखा था. उस पत्र में कोई डर नहीं था. फिर भी महिलाएं राजभवन जाने से डरती हैं. ऐसी टिप्पणियां की गई हैं.यह एक घृणित टिप्पणी है. राज्यपाल के खिलाफ टिप्पणी उचित नहीं है.

ममता बनर्जी के वकील ने कहा, टिप्पणी मानहानिकारक नहीं थी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वकील ने सोमवार को कहा कि सीएम ने महिलाओं ने कोलकाता में राजभवन में जाने को लेकर डर जाहिर किया था. वकील ने मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के अन्य नेताओं के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में अंतरिम आदेश के लिए राज्यपाल सीवी आनंद बोस की ओर से कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल याचिका का विरोध भी किया.ममता के वकील एसएन मुखर्जी ने न्यायमूर्ति कृष्ण राव के समक्ष दलील दी कि मुख्यमंत्री की टिप्पणी सार्वजनिक हित के मुद्दों पर एक निष्पक्ष टिप्पणी थी और यह मानहानिकारक नहीं थी.

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महिला कर्मचारी ने बोस के खिलाफ लगाया था छेड़छाड़ का आरोप

मुख्यमंत्री के अपने बयान पर कायम रहने की बात कहते हुए मुखर्जी ने दलील दी कि उन्होंने केवल राजभवन में कुछ कथित गतिविधियों पर महिलाओं की आशंकाओं को प्रतिध्वनित किया था.मुखर्जी ने कहा कि वह हलफनामे में उन महिलाओं के नाम बताने को तैयार हैं, जिन्होंने ऐसी आशंका जाहिर की है.दो मई को राजभवन में कार्यरत एक संविदा महिला कर्मचारी ने बोस के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने मामले की जांच शुरू की थी.संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत किसी राज्यपाल के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है.

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