वित्तीय अनियमितता का मामला
कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में वित्तीय अनियमितता के मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने अदालत में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया. शुक्रवार को केंद्रीय जांच एजेंसी ने अलीपुर कोर्ट स्थित स्पेशल सीबीआइ अदालत में आरजी कर मेडिकल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के अलावा अन्य आरोपियों आशीष पांडेय, मेडिकल सामान का आपूर्तिकर्ता विप्लव सिंह, सुमन हाजरा और घोष के पूर्व सुरक्षाकर्मी अफसर अली खान व तीन निजी कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी. घोष एक सरकारी कर्मचारी हैं और उनके करीबी माने जाने वाले पांडेय एक सरकारी डॉक्टर हैं. दोनों ही सस्पेंड हैं. ऐसे में दोनों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने से पहले सरकार की मंजूरी जरूरी है. बताया जा रहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने सरकारी अनुमोदन लिये बगैर ही कोर्ट में उनके खिलाफ चार्जशीट जमा दे दी. परिणामस्वरूप इसे स्वीकार नहीं किया गया.
चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये. चार्जशीट सीबीआइ की जांच के करीब 87 दिनों के बाद पेश की गयी थी. करीब 125 पन्नों की चार्जशीट के साथ लगभग एक हजार पन्नों के दस्तावेज भी अदालत को सौंपे गये थे. सूत्रों के मुताबिक, मामले की मुख्य आरोपी माने जाने वाला घोष किस तरह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अवैध तरीके से अपने सहयोगियों को टेंडर दिलवाने में मदद करता था, इसका जिक्र चार्जशीट में किया गया था. यह भी बताया गया था कि आरोपियों ने अपनी संपत्ति कैसे बढ़ायी.आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक जूनियर चिकित्सक से दुष्कर्म व हत्या की घटना के बाद मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल घोष पर कई तरह के आरोप लगे थे.
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