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सीआइएससीई ने पायलट मूल्यांकन की बनायी योजना

काउंसिल के मुख्य कार्यकारी और सचिव जोसेफ इमैनुएल ने जानकारी दी कि मूल्यांकन इन कक्षाओं में छात्रों की दक्षता का परीक्षण करेगा और एक निदान उपकरण होगा.

कक्षा तीसरी, चौथी व आठवीं में आयोजित करने की तैयारी कोलकाता. काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीई) ने मौजूदा शैक्षणिक सत्र के अंत तक कक्षा तीसरी, चौथी और आठवीं में मूल्यांकन के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट आयोजित करने की योजना बनायी है. काउंसिल के मुख्य कार्यकारी और सचिव जोसेफ इमैनुएल ने जानकारी दी कि मूल्यांकन इन कक्षाओं में छात्रों की दक्षता का परीक्षण करेगा और एक निदान उपकरण होगा. उन्होंने कहा : काउंसिल में इस शैक्षणिक वर्ष के अंत तक एक पायलट मूल्यांकन योजना आयोजित करने की तैयारी चल रही है. इसे शुरू करने से पहले हमें सिस्टम की दक्षता का परीक्षण करने की आवश्यकता है. इन मूल्यांकनों के जरिये बच्चे की दक्षता को आंका जायेगा. एक कार्यक्रम में सचिव ने कक्षा तीसरी, चौथी और आठवीं में मूल्यांकन शुरू करने की काउंसिल की योजना की घोषणा की, जो विद्यार्थियों की सीखने की योग्यता और कौशल के बारे में जानकारी देगा. यह कोई परीक्षा की तरह नहीं है, जिससे कि बच्चे को पास-फेल होने का डर दिखाया जा सके. मूल्यांकन कंप्यूटर आधारित होगा और स्कूल में आयोजित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि पायलट योजना का संचालन रैंडमली चुने गये स्कूलों के नमूने में किया जायेगा. काउंसिल ग्रामीण, शहरी, अर्द्ध-शहरी और बड़े शहरों से रैंडमली रूप से स्कूलों का चयन करेगी, ताकि देश भर के स्कूलों का सही प्रतिनिधित्व हो सके. देश के सभी स्कूलों में बुनियादी ढांचे का एक ही स्तर नहीं है. स्कूलों की तैयारियों का परीक्षण करने और चुनौतियों का सामना करने के लिए पायलट मूल्यांकन महत्वपूर्ण होगा. श्री इमैनुएल ने कहा कि जब आप बड़े पैमाने पर कुछ शुरू करते हैं, तो सभी तैयारियों का परीक्षण करने की आवश्यकता होती है. ये मूल्यांकन डिजिटल रूप से किये जायेंगे, इसलिए हमें यह देखना होगा कि स्कूल कितनी अच्छी तरह से तैयार हैं. किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्या होगा अगर मूल्यांकन के बीच में इंटरनेट बंद हो जाये. उन्होंने कहा कि पायलट असेस्मेंट से काउंसिल को छात्रों और शिक्षकों से फीडबैक प्राप्त करने में मदद मिलेगी. श्री इमैनुएल ने कहा कि स्कूलों को मूल्यांकन के लिए बच्चों को अलग से तैयार नहीं करना है. इन्हें डायग्नोस्टिक असेसमेंट कहा जाता है, जो स्कूल प्रणाली की सेहत और किसी सेक्शन, क्लास या स्कूल में होने वाले कक्षा के लेन-देन की सेहत का निदान करता है. छात्रों को उनके परिणाम पता चल जायेंगे, लेकिन कोई अंक नहीं दिये जायेंगे. परिणाम यह संकेत देंगे कि किसी छात्र ने आवश्यक योग्यता हासिल की है या नहीं.

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