कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की सावधि जमा (एफडी) भुनाने संबंधी याचिका पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) से रिपोर्ट मांगी थी. संदीप घोष के आवेदन पर सीबीआइ ने एफडी भुनाने पर आपत्ति जतायी. सीबीआइ के अधिवक्ता ने हाइकोर्ट में रिपोर्ट जमा कर बताया है कि संदीप घोष को वर्ष 2021-23 के दौरान एफडी सर्टिफिकेट जारी किया गया था. उसी समय आरजी कर अस्पताल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था, इसलिए मामले की जांच अभी भी जारी है. ऐसे में एफडी भुनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. बताया गया है कि संदीप घोष को एफडी भुनाने की अनुमति दी जायेगी या नहीं, इसे लेकर सोमवार को हाइकोर्ट अपना फैसला सुनायेगा.गौरतलब है कि इससे पहले जस्टिस शुभेंदु सामंत ने संदीप घोष को अपनी याचिका में सीबीआइ को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया था, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक को पूर्व प्रिंसिपल के परिवार की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनकी सावधि जमा को भुनाने देने का निर्देश दिये जाने का आग्रह किया गया है.
संदीप घोष को दो सितंबर को सरकारी आरजी कर हॉस्पिटल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में और बाद में ड्यूटी पर मौजूद एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.संदीप घोष के वकील ने कोर्ट के समक्ष दावा किया कि उनके मुवक्किल की हिरासत के दौरान उनकी पत्नी ने परिवार की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनकी सावधि जमा को भुनाने के लिए बैंक से संपर्क किया. उन्होंने दावा किया कि उक्त सावधि जमा के मूल दस्तावेज याचिकाकर्ता के कब्जे में हैं और सीबीआइ ने इन्हें जब्त नहीं किया था. वहीं, बैंक के वकील ने कहा कि चूंकि संदीप घोष के खिलाफ सीबीआइ जांच अभी जारी है, इसलिए सावधि जमा को भुनाना संभव नहीं है.
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