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वाममोर्चा के नाम बदलने के प्रस्ताव पर शुरू हुई चर्चा

पार्टी इसमें शामिल होने पर विचार करेगी. उनके प्रस्ताव पर इस समय चर्चा तेज हो गयी है.

भाकपा (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने रखा है प्रस्ताव कोलकाता. भाकपा (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य द्वारा वाममोर्चा के नाम को बदलने के प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो गयी है. सोमवार को भट्टाचार्य ने कहा था कि वृहत्तर वाम एकता के लिए वाममोर्चा का नाम बदलना ही सही होगा. पार्टी इसमें शामिल होने पर विचार करेगी. उनके प्रस्ताव पर इस समय चर्चा तेज हो गयी है. गौरतलब है कि वाममोर्चा में शामिल नहीं होने के बावजूद भाजपा माले को उपचुनाव में नैहाटी सीट दी गयी है. पहले भी उठ चुकी है नाम बदलने की मांग : अतीत में भी इस तरह की मांग उठी थी. 2016 में वाममोर्चा ने कांग्रेस के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था. उस समय भी वाममोर्चा के एक घटक दल ने नाम बदलने का प्रस्ताव दिया था. पार्टी का कहना था कि यदि कांग्रेस के साथ सीटों पर समझौता कर चुनाव लड़ा जा रहा है, तो वाममोर्चा की जगह राष्ट्रवादी गणतांत्रिक फ्रंट के नाम के साथ चुनावी मैदान में होना चाहिए. आरएसपी के एक नेता ने बताया कि उस समय वाममोर्चा के चेयरमैन बिमान बसु ने फोन कर कहा था कि वे लोग क्या साइनबोर्ड को भी हटा देना चाहते हैं. अंत में वाममोर्चा ही बना रहा और आज भी वाममोर्चा ही है. बता दें कि वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस के साथ सीटों पर बंटवारा हुआ था. इस दौरान आइएसएफ का नाम भी गठबंधन से जुड़ा था. इसे संयुक्त मोर्चा का नाम दिया गया था. इसी नाम से ब्रिगेड रैली भी हुई थी. लेकिन वाममोर्चा का नाम नहीं बदला. उस समय वाम उम्मीदवारों द्वारा यह लिखा गया था कि संयुक्त मोर्चा के वाममोर्चा उम्मीदवार. विधानसभा में एक भी सीट जीतने में वाममोर्चा नाकाम रहा. नाम बदलने से क्या सफलता मिलेगी, इसे कई नेता मानने को तैयार नहीं हैं.

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