26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कोलकाता में मनाई गयी गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और सआदत हसन मंटो की जयंती

छात्रा त्रिरत्ना हलवाई ने महाराणा प्रताप के बलिदान पर राजस्थानी लोकगीत प्रस्तुत किया गया तथा सभी छात्रों के द्वारा रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित गीत "एकला चलो" का हिंदी व बांग्ला भाषा में गायन किया गया.

कोलकाता : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के कोलकाता स्थित क्षेत्रीय केंद्र पर मजदूर दिवस, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, शहीद सुखदेव, सआदत हसन मंटो की जयंती व जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर गुरुवार को परिचर्चा का आयोजन किया गया. साथ ही इस मौके पर भित्ती पत्रिका के मई अंक का अनावरण किया गया. पत्रिका के मई अंक का संयोजन अंजली तिवारी और प्रभाकर पांडेय के द्वारा किया गया. जबकि परिचर्चा में एम.ए. हिंदी साहित्य द्वितीय छमाही की छात्रा अपर्णा सिंह ने मजदूर दिवस के इतिहास और उनके द्वारा किए गए श्रम के महत्व और मर्म का जिक्र किया.

वहीं, प्रियंका शर्मा ने शहीद सुखदेव के राष्ट्र के प्रति बलिदान और उनके कार्यों का उल्लेख किया. जबकि एम.ए. गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग की छात्रा रूना अधिकारी ने सआदत हसन मंटो की प्रसिद्ध कहानी टोबा टेक सिंह, ठंडा गोश्त, खोल दो कहानी और उनके पत्रों का जिक्र किया. मौके पर रूपल गुप्ता, प्रभाकर पांडेय, प्रिया कुमारी प्रसाद व ज्योति अग्रहरी ने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया.

छात्रा त्रिरत्ना हलवाई ने महाराणा प्रताप के बलिदान पर राजस्थानी लोकगीत प्रस्तुत किया गया तथा सभी छात्रों के द्वारा रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित गीत “एकला चलो” का हिंदी व बांग्ला भाषा में गायन किया गया. क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता की प्रभारी डॉ.चित्रा माली ने मजदूर दिवस पर मजदूरों की शहादत और उनके प्रतीक चिन्ह व रंग पर चर्चा की. उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन की परिकल्पना, निर्माण और अनुदान को इकट्ठा करने के परिश्रम को बताया.

डॉ. चित्रा ने सआदत हसन मंटो को स्त्रीवादी लेखक और स्त्री अधिकारों का पैरोकार बताया. उन्होंने कहा कि मंटो उर्दू साहित्य के एक महत्वपूर्ण स्तंभ है जिसमें उन्होंने भाषा और लेखन की शैली में कई अभिनव प्रयोग भी किए हैं. मंटो कलम की आजादी को असली आजादी मानते थे. मंटो कहते थे कि जो बात महीनों की खुश्क तकरीरों से नहीं समझाई जा सकती, चुटकियों में एक फिल्म के जरिए से जहन नशीन कराई जा सकती है.

डॉ. चित्रा ने मंटो को जानने उनके लेखन को समझने के लिए 2018 में नंदिता दास की फिल्म “मंटो” को देखने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि मंटो ने धर्म से लेकर इंसानियत तक कुछ न कुछ अवश्य कहा है. मंटो कहते भी थे कि वे समाज के नग्न सच को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं और इसी सच को जाहिर करने के कारण उन पर छह कोर्ट केस हुए जिनमें से एक में भी वे दोषी नहीं पाए गए. मंटो कहते थे कि “मैं बगावत चाहता हूं, हर उस फर्द के खिलाफ बगावत चाहता हूं, जो हमसे मेहनत कराता है मगर उसके दाम अदा नहीं करता”.

इससे पहले परिचर्चा की अध्यक्षता केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित राय जी ने की. डॉ. राय ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू से की. उन्होंने कहा कि लोगों की भीड़ जब नेहरू को देखकर ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाती थी तो नेहरू उस भीड़ से पूछते थे कि यह भारत माता कौन है ? जिसकी जय आप सब बोल रहे हैं. दरअसल वे इस सवाल के जरिए लोगों को समझा रहे थे कि भारत माता कौन है? नेहरू लोगों को संबोधित कर कहते थे कि ‘जब हम भारत माता की जय’ बोलते हैं, तो हम भारत के 30 करोड़ लोगों की जय बोलते हैं, उन 30 करोड़ लोगों को आजाद कराने की जय बोलते हैं. इस तरह हम सब भारतमाता का एक-एक अंश हैं और हमसे मिलकर ही भारतमाता बनती हैं तो जब भी हम भारत माता की जय बोलते हैं तो हम अपनी ही जय बोल रहे होते हैं और जिस दिन हमारी ग़रीबी दूर हो जाएगी, हमारे तन पर कपड़ा होगा, हमारे बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मिलेगी, हम खुशहाल होंगे, उस दिन भारतमाता की सच्ची जय होगी.

उन्होंने कहा कि श्याम बेनेगल ने नेहरू की किताब ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ पर एक धारावाहिक ‘भारत एक खोज’ बनाया था जिसकी पहली कड़ी में ‘भारतमाता की जय’ के मायने समझाने की कोशिश की गई है. डॉ. राय ने मंटो के कथन “सिगरेट पीने से महिलाओं के भी फेफड़े ही खराब होते हैं चरित्र नहीं” की व्याख्या की. उन्होंने कहा कि मंटो ने समाज के इस दोहरे चरित्र को उजागर किया जो पुरुष के लिए अलग मापदंड निर्धारित करता है और महिलाओं के लिए अलग और इन विभेदों को विमर्श के केंद्र में लाने का महत्वपूर्ण कार्य मंटो ने किया है. वे इस दमनकारी व्यवस्था से अकेले ही लड़ते रहे हैं. डॉ. अमित राय ने सभी छात्र छात्राओं को बधाई दी और उत्साहवर्धन किया. आगामी अंक के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दीं.

परिचर्चा में केंद्र के छात्र – छात्राओं के साथ केंद्र के सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिलाष कुमार गोंड और केंद्र की सहायक प्रोफेसर डॉ. ऋचा द्विवेदी, अनुभाग अधिकारी डॉ. आलोक सिंह, कर्मी सुखैन शिकारी, रीता बैध भी उपस्थित थे. परिचर्चा का संचालन अंजली तिवारी और धन्यवाद ज्ञापन प्रभाकर पांडेय के द्वारा किया गया.

Also Read: Bengal Weather Forecast : कोलकाता समेत जिलों में बढ़ेगा गर्मी का पारा, लू को लेकर कई जिलों में अलर्ट

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें