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सीबीआइ हिरासत में भोजन व दवा खाने में ‘कालीघाटेर काकू’ ने दिखाये नखरे, फिर भी नहीं मिली राहत

इसके साथ ही सीबीआइ की ओर से यह भी कहा गया कि ऐसी हालत में भद्र को जांच एजेंसी फिलहाल अपनी हिरासत में नहीं लेना चाहती है.

जमानत का आवेदन हुआ खारिज अदालत ने आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में रखे जाने का दिया निर्देश

कोलकाता. राज्य के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों में हुईं नियुक्तियों के घोटाले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) द्वारा शोन अरेस्ट किये गये सुजय कृष्ण भद्र उर्फ ‘कालीघाटेर काकू’ ने केंद्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में रहने के दौरान भोजन व दवा खाने में नखरे दिखाये. शनिवार को सीबीआइ हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद उसे इस दिन विचारभवन स्थित स्पेशल सीबीआइ कोर्ट में पेश किया गया, जहां केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह आरोप लगाया. इसके साथ ही सीबीआइ की ओर से यह भी कहा गया कि ऐसी हालत में भद्र को जांच एजेंसी फिलहाल अपनी हिरासत में नहीं लेना चाहती है. हालांकि, सीबीआइ की ओर से भद्र को जमानत नहीं देने की अपील करते हुए यह भी कहा गया कि ऐसा होने पर वह जांच प्रभावित कर सकता है. इधर आरोपी के वकील ने अपने मुवक्किल के अस्वस्थ होने का हवाला देते हुए उसे जमानत देने का आवेदन किया. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने भद्र की जमानत के आवेदन को स्वीकार नहीं करते हुए उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में रखे जाने का निर्देश दिया.

आरोपी पर जांच में सहयोग नहीं करने का भी आरोप

इस दिन अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआइ के वकील ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में रहने के दौरान भद्र ने जांच में सहयोग नहीं किया. भोजन व दवा खाने में नखरे दिखाए. ऐसी हालत में उसकी शारीरिक हालत में थोड़ी समस्या हुई थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआइ हिरासत में रहने के दौरान भद्र ने मेडिकल इमरजेंसी के हालात तैयार करने की कोशिश की थी. शायद उन्हें लगा था कि अनशन करने से सभी समस्याओं का समाधान हो जायेगा. जांच में सहयोग नहीं किये जाने की बात पर न्यायाधीश ने यह जानना चाहा कि आरोपी ने कैसे सहयोग नहीं किया. ऐसे में सीबीआइ की ओर से बताया गया कि अयोग्य अभ्यर्थियों को नौकरी के बदले कितने रुपये लिये गये थे, इससे जुड़े प्रश्नों को लेकर वह गुमराह करने का कोशिश कर रहा था. ऐसे में न्यायाधीश की ओर से कहा गया कि अभ्यर्थियों के नाम व उनसे कितने रुपये लिये गये थे, जांच में इसको लेकर पहले भी तथ्य दिये गये हैं. ऐसे में जांच में सहयोग नहीं करने की बात कैसे कही जा रही है. यह जरूरी नहीं अदालत दी गयी हर दलील पर सहमति जताये. न्यायाधीश ने सीबीआइ से यह भी जानना चाहा कि यदि भद्र को जमानत मिल गयी, तो जांच कैसे प्रभावित हो सकती है? तब, सीबीआइ ने कहा कि वह महत्वपूर्ण गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी का मानना है कि इस मामले की जांच में कई सरकारी अधिकारियों का नाम आ सकता है. लेकिन सीबीआइ के मुताबिक भद्र उनका नाम नहीं ले रहा है.

भद्र की आवाज का नमूना संग्रह करना चाहती है सीबीआइ

भ्रष्टाचार के मामले गिरफ्तार हुए भद्र की आवाज का नमूना भी सीबीआइ संग्रह करना चाहती है. बताया जा रहा है कि मामले में एक फोन कॉल की रिकॉर्डिंग की जांच के तहत सीबीआइ ऐसा करना चाहती है. इस दिन हुई सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने भद्र की आवाज का नमूना संग्रह करने का भी अदालत में आवेदन किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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