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संदीप का नार्को व मंडल का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की कोर्ट से मांगी अनुमति

आरोपियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत, जांच में सख्ती के संकेत

कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में गिरफ्तार मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष व टाला थाना के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल की न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने पर शुक्रवार को दोनों को सियालदह कोर्ट में पेश किया गया. सीबीआइ ने एक बार फिर अदालत में संदीप का नार्को टेस्ट व मंडल का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का आवेदन किया. दोनों आरोपियों ने किया टेस्ट कराने से इंकार : हालांकि, इस बार भी दोनों आरोपी टेस्ट कराने पर सहमत नहीं हुए. ऐसे में घोष का नार्को टेस्ट व मंडल का पॉलिग्राफ टेस्ट कराना फिलहाल संभव नहीं हो पायेगा. पिछले महीने भी सीबीआइ ने दोनों के उक्त टेस्ट कराने के लिए कोर्ट में आवेदन किया था. सूत्रों के अनुसार, सीबीआइ अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट हो चुका है. उसकी रिपोर्ट से पता चला है कि घोष के कुछ सवालों के जवाब में विसंगतियां मिली हैं. ऐसे में सही तथ्यों का पता लगाने के लिए उसका नार्को टेस्ट कराना मामले की जांच में काफी अहम हो सकता है. इसके साथ ही केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से यह भी कहा गया कि चिकित्सक का शव मिलने के बाद मामले में गिरफ्तार टाला थाने के पूर्व ओसी मंडल की भूमिका भी जांच के दायरे में है. मंडल व घोष, दोनों पर ही सबूतों से छेड़छाड़ करने व मामले को लेकर गुमराह करने कोशिश के आरोपी हैं. ऐसे में पूर्व ओसी का पॉलीग्राफ टेस्ट कराना भी महत्वपूर्ण हो सकता है. सीबीआइ के अधिवक्ता की ओर से यह भी कहा गया कि दोनों ही आरोपियों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच में मिले तथ्यों और कॉल लिस्टों को खंगालने के बाद महत्वपूर्ण तथ्य मिले हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि दोनों ही प्रभावशाली हैं और यदि उन्हें जमानत मिली, तो वे सबूतों और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. अदालत में सीबीआइ की ओर से यह भी दावा किया गया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में जूनियर महिला चिकित्सक का शव मिलने के बाद घोष और मंडल, दोनों ने ही कई फोन कॉल्स किये थे, जो जांच के दायरे में हैं. दुष्कर्म व हत्या के मामले को बार-बार आत्महत्या का मामला बताने की कोशिश की गयी. यहां तक कि पीड़िता के परिजनों को भी अस्पताल से फोन पर उनकी बेटी की मौत आत्महत्या के कारण होने की जानकारी दी गयी. सीबीआइ की ओर से दोनों आरोपियों को फिलहाल न्यायिक हिरासत में ही रखे जाने का आवेदन किया गया. हालांकि, आरोपियों के अधिवक्ताओं ने अपने मुवक्किलों को जमानत देने का आवेदन किया. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने दोनों आरोपियों की जमानत के आवेदन को स्वीकार नहीं किया और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में रखे जाने का निर्देश दिया.

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