कोलकाता. माकपा की युवा शाखा डीवाइएफआइ के नेता कलतान दासगुप्ता की गिरफ्तारी के खिलाफ कलकत्ता हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को अदालत के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा. बुधवार को न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज ने मामले की सुनवाई के दौरान पूछा कि फोन पर सामने वाले व्यक्ति किसी से क्या कहेगा, इसकी जिम्मेदारी के लिए क्या किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है. फोन के दूसरी तरफ कौन क्या कहेगा, इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है. ये क्या किसी के हाथ में है. इसमें कोई कैसे दोषी हो सकता है? क्या किसी व्यक्ति को केवल टेलीफोन पर बातचीत के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है? सुनवाई के दौरान कलतान दासगुप्ता की ओर से वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि उनके मुवक्किल को एक दिन में 30 से अधिक कॉल आते हैं. जिस संजीव दास से उनके मुवक्किल की बात होने का दावा किया जा रहा है, उसको वह पहचानते ही नहीं. उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ सुओमोटो मामला दायर किया गया है. कलतान दासगुप्ता के पास जब यह फोन आया था, उस समय वह श्यामबाजार में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. उन्होंने अदालत में कहा कि 196 बीएनएस को छोड़ कर सभी धाराएं जमानत योग्य हैं. ऐसे में पुलिस को पहले नोटिस देना चाहिए था, लेकिन यह नहीं दिया गया. यहां तक कि संजीव दास की गिरफ्तारी की एफआइआर भी नहीं दी गयी है. साथ ही श्री भट्टाचार्य ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का कॉल रिकॉर्डिंग करना अधिकारों का उल्लंघन है. दूसरी ओर, महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने अदालत को बताया कि संजीव दास नाम के व्यक्ति ने कलतान दासगुप्ता को फोन किया था. कलतान का नंबर संजीव दास के कॉल डिटेल रिकॉर्ड में मिला है. दोनों के मोबाइल जब्त कर लिये गये हैं. हालांकि कलतान दासगुप्ता ने मोबाइल को अनलॉक नहीं किया है. मामले की गुरुवार को दोबारा सुनवाई होगी.
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