संवाददाता, कोलकाता
पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अब अपने राजस्व से आवास योजना का फंड मुहैया कराने का फैसला लिया है और इसके लिए सभी जिलों में समीक्षा कार्य चल रहा है. लेकिन समीक्षा के दौरान कई जगहों पर योजना के क्रियान्वयन को लेकर विवाद भी पैदा हो गया है. इन विवादों को खत्म करने के लिए राज्य के पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग की ओर से अब 11 सूत्री गाइडलाइंस जारी की गयी है. पंचायत विभाग द्वारा लेखा परीक्षकों अर्थात ऑडिटरों के लिए यह दिशा-निर्देश जारी किया गया है. जानकारी के अनुसार, आवास योजना के लिए लाभार्थियों की तालिका बनाने का काम लगभग पूरा हो चुका है. राज्य सरकार ने इस तालिका की क्रॉस-चेकिंग के लिए एसओपी तैयार किया है और 14 नवंबर तक सूची की क्रॉस-चेकिंग पूरी करने की समयसीमा तय की गयी है. वहीं, 20 नवंबर तक लाभार्थियों का डेटा सहित अंतिम सूची जारी होने की उम्मीद है. हालांकि, आवास योजना के सर्वे को लेकर कुछ जगहों पर छिटपुट विरोध की बात सामने आयी है. इसलिए इन विवादों के निबटारे के लिए पंचायत विभाग ने राज्य भर के जिलावार इंस्पेक्टरों के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है.क्या है गाइडलाइंस में
आवासीय सूची को लेकर राजनीतिक दलों और आम लोगों के बीच फैली गलतफहमी को दूर करना होगा. उन्हें सूचित करना होगा कि सूची के नामों का सत्यापन किया जा रहा है. विशेषकर स्थायी प्रतीक्षा सूची और सीएमआरओ या शिकायत निवारण कक्ष से आये नामों का सत्यापन किया जाना चाहिए.सभी रद्द किये गये नामों की दोबारा जांच की जाये. पक्का मकान के संबंध में कानूनी व्याख्याएं क्या हैं, इसकी जानकारी रखनी होगी और किसी भी संदेह की स्थिति में ऑडिटर्स को इसकी ठीक से जांच करनी होगा. ताकि कोई भी योग्य व्यक्ति किसी भी प्रकार से वंचित ना हो.
शिकायत निवारण सेल या सीएमआरओ से सभी नामों और गायब सूचनाओं को गंभीरता से सत्यापित किया जाना चाहिए. उपभोक्ता का नाम, बैंक खाता नंबर और आईडी सहित सभी जानकारी दर्ज करते समय विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. इसके लिए हर स्तर पर मॉनिटरिंग की जाये. ताकि किसी भी गलती को तुरंत सुधारा जा सके.पुलिस स्वतंत्र रूप से सूची में नामों का सत्यापन करेगी. उन्हें भी सूची की जांच में सहयोग करना होगा. प्राकृतिक आपदा प्रबंधन विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्राकृतिक आपदा से प्रभावितों के मकानों की सूची तैयार करनी होगी, जिसे ऑडिटर जमीनी स्तर पर सत्यापित करेंगे. स्थानीय ग्राम पंचायत प्रतिनिधि को इस बात की जानकारी देनी होगी कि उनके नामों की सूची किस प्रकार तैयार की गयी है. लोगों को इस बारे में जागरूक करने के लिए पर्याप्त प्रचार-प्रसार का अनुरोध किया गया है. ताकि कोई गलतफहमी पैदा न हो. नामों की सूची का सत्यापन कर उपभोक्ता के चयन एवं निरस्तीकरण के पक्ष में समस्त जानकारी एवं चित्र एवं वीडियो एकत्रित करने होंगे ताकि किसी भी समय चेकिंग करते समय इसे आसानी से समझा जा सके. ग्राम पंचायत और ग्राम संसद क्षेत्रवार सूची का विश्लेषण करेंगे. सत्यापन सर्वेक्षण करते समय किसी भी क्षेत्र में अधिकतम अथवा न्यूनतम संख्या में निरस्त किये गये अथवा स्वीकृत किये गये नामों की सूची संरक्षित रखनी होगी. बाद में उस आधार पर सैंपल सर्वे कराया जायेगा. 2022 में सर्वे के आधार पर इस सूची का सत्यापन किया जा रहा है. इसलिए, यदि सूची के सत्यापन के दौरान कोई कम या ज्यादा नाम अस्वीकार या स्वीकृत किया जाता है, तो उचित स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए. सुपर चेकिंग व्यवस्था को और अधिक सख्ती से किया जाये. ऑडिटरों को जमीनी स्तर पर जाकर सभी सूचनाओं की गहनता से जांच करनी होगी. ग्राम सभा और ब्लॉक स्तरीय समिति के अनुमोदन सहित सभी दस्तावेजों को उचित रूप से संरक्षित किया जाना चाहिए.
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