Sanjay Roy Life Imprisonment: कोलकाता महानगर के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक जूनियर महिला चिकित्सक की हत्या मामले में सोमवार को सियालदह कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अनिर्बान दास ने घटना के मुख्य अपराधी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा है कि यह विरलतम मामला नहीं है. हालांकि, सोमवार को सजा सुनाने से पहले न्यायाधीश अनिर्बान दास ने संजय रॉय को अपना बयान देने के लिए कहा. इस पर मुख्य दोषी संजय रॉय ने एक बार फिर सोमवार को अदालत में दावा किया कि वह निर्दोष है और उसे गलत तरीके से दोषी ठहराया गया है. उसने दावा किया कि उसे इस मामले में फंसाया गया है.
गौरतलब है कि इससे पहले शनिवार को अदालत ने संजय रॉय को पिछले वर्ष अगस्त माह में महिला चिकित्सक से दुष्कर्म करने और उसकी गला दबाकर हत्या करने का दोषी ठहराया था और सोमवार को सजा देने की घोषणा की थी. सोमवार को मामले में सजा सुनाए जाने से पहले संजय रॉय ने अदालत से कहा कि मुझे फंसाया जा रहा है और मैंने कोई अपराध नहीं किया है. मैंने कुछ भी नहीं किया है फिर भी मुझे दोषी ठहराया गया है. संजय रॉय ने सोमवार को अदालत में एक बार फिर रूद्राक्ष माला को लेकर कहा कि अगर मैंने किसी से जबरदस्ती की होती तो इससे मेरे गले का रूद्राक्ष माला टूट जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अनिर्बान दास ने रॉय को शनिवार को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी ठहराया था. कार्यवाही के दौरान केंद्रीय अन्वेष्ण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिवक्ता ने दोषी को कड़ी से कड़ी सजा देने का अनुरोध किया. सीबीआई के अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि हम समाज में लोगों का विश्वास बनाये रखने के लिए कड़ी से कड़ी सजा का अनुरोध करते हैं.
वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान संजय रॉय के बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत करे, जिससे यह साबित हो सके कि दोषी के सुधरने की कोई संभावना नहीं है. बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने उसे सुधरने का मौका देने के लिए ‘मृत्युदंड के अलावा किसी अन्य वैकल्पिक सजा’ का अनुरोध किया.
वहीं, मृतक चिकित्सक के माता-पिता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ने कड़ी सजा का अनुरोध करते हुए तर्क दिया कि संजय रॉय सिविक वॉलेंटियर होने के नाते अस्पताल की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था, लेकिन उसने खुद ही पीड़ित चिकित्सक के साथ जघन्य अपराध किया, जिसकी रक्षा करना उसका कर्तव्य था. गौरतलब है कि पिछले साल नौ अगस्त को हुई इस जघन्य घटना के बाद देशभर में आक्रोश फैल गया और लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन जारी रहा.
कोर्ट ने शनिवार अपराह्न 2.30 बजे मामले में गिरफ्तार पूर्व सिविक वॉलटियर संजय राय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 64 (दुष्कर्म), 66 (दुष्कर्म के दौरान गंभीर चोट पहुंचाना, जिसके कारण मृत्यु होना) और 103 (1) यानी (हत्या) के तहत दोषी करार दिया था और सोमवार को अपराह्न 2.45 बजे सियालदह कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अनिर्बान दास ने अपना फैसला सुनाया. गौरतलब है कि यह फैसला पिछले साल नवंबर में बंद कमरे में शुरू हुई सुनवाई के लगभग दो महीने बाद और नौ अगस्त 2024 को घटित इस जघन्य अपराध के 164 दिन बाद सुनाया गया.
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