एजेंसियां, कोलकाता/नयी दिल्ली
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने बुधवार को वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों की लागत में घोटाले का आरोप लगाया है. इससे पहले, रेलवे ने उनके इस दावे को ‘गलत सूचना’ बताकर खारिज कर दिया कि एक ट्रेन की लागत 50 प्रतिशत बढ़ गयी है. दो दिन पहले ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में गोखले ने आरोप लगाया था कि एक वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की लागत 290 करोड़ रुपये से बढ़कर 436 करोड़ रुपये हो गयी है.
रेल मंत्रालय ने कहा कि उसने स्लीपर ट्रेनों में डिब्बों की संख्या 16 से बढ़ा कर 24 कर दी है, जबकि अनुबंध में कुल डिब्बों की संख्या 16 रखी है.
मंत्रालय ने कहा कि ट्रेन की बढ़ती मांग की वजह से यह निर्णय लिया गया है. इसके बाद गोखले ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कई पोस्ट करके रेलवे के रुख को ””””हास्यास्पद”””” बताते हुए इसका खंडन किया और दावा किया कि ठेके ””””प्रति ट्रेन”””” के आधार पर दिये गये थे, न कि ””””प्रति डिब्बे”””” के आधार पर. सांसद ने कहा : ट्रेन की लागत में सिर्फ ””””डिब्बे बनाने”””” से कहीं ज्यादा चीजें जुड़ी होती हैं. गोखले ने एक अन्य पोस्ट में कहा : एक ट्रेन की लागत में केवल कोच का खर्च शामिल नहीं होता. 58 हजार करोड़ रुपये में 200 ट्रेन का अनुबंध दिया गया, लेकिन बाद में संशोधन कर ट्रेनों की संख्या 133 कर दी गयी. प्रति ट्रेन लागत 290 करोड़ रुपये से बढ़ कर 435 करोड़ रुपये हो गयी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बताना चाहिए कि इस घोटाले से किसे फायदा हो रहा है?
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